बच्चों को जबरदस्ती Santa बनाया तो होगी कार्रवाई, शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला; स्कूलों को दी चेतावनी
श्रीगंगानगर जिले में शिक्षा विभाग ने स्कूलों को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर कोई स्कूल जबरदस्ती बच्चों को Santa बनने के लिए मजबूर करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. शिक्षा विभाग ने कहा कि बच्चों की सहमति और अभिभावकों की अनुमति के बिना किसी भी गतिविधि में भाग लेने के लिए मजबूर करना अनुचित है.
क्रिसमस की तैयारियों के बीच राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में शिक्षा विभाग ने स्कूलों को चेतावनी जारी की है. विभाग ने स्पष्ट किया कि किसी भी स्कूल द्वारा छात्रों को क्रिसमस समारोह में सांता क्लॉज की पोशाक पहनने के लिए मजबूर किया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस आदेश का मकसद बच्चों और उनके अभिभावकों के अधिकारों की सुरक्षा करना और किसी पर अनावश्यक दबाव डालने से रोकना है.
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श्रीगंगानगर के अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी अशोक वाधवा के नेतृत्व में जारी आदेश ने स्कूलों को यह भी याद दिलाया कि बच्चों की सहमति और अभिभावकों की अनुमति के बिना किसी भी गतिविधि में भाग लेने के लिए मजबूर करना अनुचित है. यह कदम शिक्षा संस्थानों में बच्चों की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत पसंद का सम्मान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
शिक्षा विभाग का आदेश और चेतावनी
श्रीगंगानगर शिक्षा विभाग ने 22 दिसंबर को प्राइवेट स्कूलों को नोटिस जारी किया. इसमें कहा गया है कि "अगर कोई स्कूल छात्रों पर दबाव डालता पाया गया तो नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी." आदेश में यह स्पष्ट किया गया कि बच्चों और अभिभावकों की सहमति के बिना किसी भी सांस्कृतिक या त्योहार आधारित गतिविधि में भाग लेने के लिए मजबूर करना गलत है. अधिकारियों ने स्कूलों से अपील की कि वे क्रिसमस जैसे त्योहारों के जश्न को केवल वैकल्पिक गतिविधियों के रूप में आयोजित करें और किसी भी तरह के दबाव या अनावश्यक मजबूरी से बचें.
अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी अशोक वाधवा का बयान
अशोक वाधवा ने कहा "स्कूलों को छात्रों या पैरेंट्स पर ऐसी एक्टिविटीज में भाग लेने के लिए अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए. अगर इस संबंध में कोई शिकायत मिलेगी तो हम नियमों के तहत तुरंत कार्रवाई करेंगे." उन्होंने यह भी जोर दिया कि विभाग का उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है.
शिक्षा विभाग की सख्ती का मकसद
इस कदम के पीछे शिक्षा विभाग का मुख्य मकसद छात्रों की स्वतंत्रता का सम्मान करना और अभिभावकों की सहमति के बिना किसी भी सांस्कृतिक गतिविधि में बच्चों को शामिल करने से रोकना है. यह आदेश जिले के सभी प्राइवेट स्कूलों पर लागू होगा और भविष्य में ऐसे किसी भी मामले में विभाग तत्काल कार्रवाई करेगा.





