पहले कबड्डी खिलाड़ी तेजपाल सिंह, फिर गुरविंदर की मौत से दहले लोग, क्यों फिर सामने आया बिश्नोई गैंग का नाम, जानें अब तक-क्या हुआ?
पंजाब एक बार फिर गैंगवार की लपटों में घिर गया है. पहले राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी तेजपाल सिंह की दिनदहाड़े हत्या और अब गुरविंदर सिंह की गोली मारकर हत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया है. कुछ ही दिनों के अंतर पर हुई इन दो वारदातों ने न सिर्फ खेल जगत को सदमे में डाल दिया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि कबड्डी के मैदान में अब सिर्फ खिलाड़ी नहीं, बल्कि गैंगस्टर भी सक्रिय हैं.
पंजाब एक बार फिर गैंगवार की चपेट में है. लुधियाना जिले में बीते कुछ दिनों में कबड्डी खिलाड़ियों की लगातार हो रही हत्याओं ने न सिर्फ खेल जगत को झकझोर दिया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि आखिर लॉरेंस बिश्नोई गैंग जैसे अपराधी अब खिलाड़ियों को क्यों निशाना बना रहे हैं.
हाल ही में समराला ब्लॉक में कबड्डी खिलाड़ी गुरविंदर सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई. वारदात की जिम्मेदारी खुद को लॉरेंस बिश्नोई का भाई बताने वाले अनमोल बिश्नोई के सोशल मीडिया अकाउंट से ली गई.
गुरविंदर सिंह को सरेआम मारी गोली
हमला 3 नवंबर की रात समराला के पास स्थित मानकी गांव में हुआ, जब दो बाइक पर सवार चार नकाबपोश बदमाशों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी. गोली लगने से गुरविंदर गंभीर रूप से घायल हो गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. उसके साथ मौजूद दूसरा व्यक्ति भी गोलीबारी में जख्मी हुआ, हालांकि अब उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है.
बिश्नोई गैंग ने ली जिम्मेदारी
गुरविंदर सिंह की हत्या में बिश्नोई गैंग ने जिम्मेदारी ली है. जहां सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर बिश्नोई गैंग ने लिखा 'यह हमारे दुश्मनों का साथ देने वालों के लिए चेतावनी है. या तो रास्ता बदलो, वरना अगली गोली तुम्हारे सीने में होगी.' इस पोस्ट के साथ ही पंजाब के खेल जगत में सनसनी फैल गई. बताया जा रहा है कि हत्या को कुख्यात गैंगस्टर करण माडपुर और तेज चक ने अंजाम दिया, जबकि इसकी जिम्मेदारी हरी बॉक्सर और अर्जू बिश्नोई ने ली.
लॉरेंस बिश्नोई की बढ़ती पकड़ और डर का खेल
लॉरेंस बिश्नोई गैंग अब सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि देशभर में अपनी पैठ बढ़ा रहा है. गुरविंदर सिंह की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि यह गैंग अब सिर्फ अपराध तक सीमित नहीं रहा, बल्कि समाज के प्रभावशाली तबकों पर दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है. खिलाड़ियों को निशाना बनाना इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है ताकि डर का माहौल कायम रहे और गैंग का नाम हर जुबान पर हो.
31 अक्टूबर को खिलाड़ी तेजपाल की हत्या
यह कोई पहली वारदात नहीं है. पिछले हफ्ते भी एक नेशनल लेवल के कबड्डी खिलाड़ी तेजपाल सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस वक्त किसी गैंग ने जिम्मेदारी नहीं ली थी, लेकिन अब हालात साफ होते जा रहे हैं कि पंजाब का यह पारंपरिक खेल गैंगस्टरों के पैसे और वर्चस्व की जंग में फंस गया है.
पंजाब में खेल और खून का रिश्ता
साल 2016 से अब तक पंजाब में 10 कबड्डी खिलाड़ियों की हत्या हो चुकी है. हर बार एक नई कहानी, लेकिन वजह लगभग वही रंजिश, वर्चस्व और गैंगवार. गुरविंदर सिंह की मौत के बाद पुलिस अलर्ट पर है, मगर लोगों के मन में सवाल वही है कि क्या पंजाब में कबड्डी फिर से सिर्फ एक खेल बन पाएगी या गैंगस्टर इसकी पहचान को हमेशा के लिए दागदार कर देंगे?





