आप हिंदू हैं, सिखों के साथ नहीं जा सकते...पाकिस्तान के ननकाना साहिब के दर्शन के लिए जा रहे भक्तों को बॉर्डर पर रोका
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के मौके पर जहां देशभर के श्रद्धालु भक्ति और उत्साह में डूबे थे, वहीं वाघा बॉर्डर पर एक ऐसी घटना सामने आई जिसने इस पवित्र अवसर की भावना को झकझोर दिया. ननकाना साहिब के दर्शन के लिए भारत से रवाना हुए जत्थे में शामिल हिंदू भक्तों को पाकिस्तान के अधिकारियों ने यह कहते हुए रोक दिया कि आप हिंदू हैं, सिखों के साथ नहीं जा सकते.
4 नंवबर की शाम गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व से एक दिन पहले हजारों श्रद्धालु पाकिस्तान के ननकाना साहिब की यात्रा पर निकले थे, वहीं वाघा बॉर्डर पर अचानक ऐसा मोड़ आया जिसने कई परिवारों की खुशी छीन ली. दिल्ली और लखनऊ से आए कुछ हिंदू श्रद्धालुओं को पाकिस्तान जाने से रोक दिया गया. हैरान की बात यह है कि जांच-पड़ताल और औपचारिकताएं पूरी थीं. इसके बावजूद भक्तों को ‘आप हिंदू हैं, आप नहीं जा सकते’ कहकर लौटा दिया गया.
इस बार सिख श्रद्धालुओं का जत्था खास महत्व रखता था, क्योंकि यह ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार जाने वाला पहला आधिकारिक जत्था था. शुरुआत में सुरक्षा हालात को देखते हुए भारत के गृह मंत्रालय ने इसकी अनुमति देने से मना कर दिया था. लेकिन बाद में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) और अन्य धार्मिक संगठनों के आग्रह पर सरकार ने विचार किया और आखिरकार इस यात्रा को हरी झंडी दे दी.
सीमा पार पहुंचकर भी नहीं मिली मंजूरी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू श्रद्धालु सभी जरूरी कागज़ी काम और औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पाकिस्तान पहुंचे थे. वे सिख जत्थे के साथ ही बस में सवार होकर ननकाना साहिब के दर्शन के लिए निकलने वाले थे, लेकिन उसी समय पाकिस्तानी अधिकारियों ने अचानक घोषणा की कि केवल वही लोग आगे जा सकेंगे जिनके कागज़ों में धर्म के रूप में ‘सिख’ लिखा हुआ है.
वीजा मिला, फिर भी ठुकरा दिए गए
इस साल पाकिस्तान ने भारत के 2100 से ज्यादा श्रद्धालुओं को वीजा जारी किए थे, लेकिन इनमें से करीब 1796 लोग ही सीमा पार कर पाए. लगभग 300 लोगों को पाकिस्तान जाने की मंजूरी नहीं मिली, जिनमें कुछ हिंदू और सिख भी शामिल थे. पाकिस्तानी अधिकारियों ने इसकी वजह बताई कि उनके कागज़ात में कुछ गलती थी या जरूरी प्रक्रिया अधूरी रह गई थी. हालांकि, कई हिंदू श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें सिर्फ उनके धर्म की वजह से रोका गया, न कि किसी दस्तावेज़ी गलती के कारण.
भारत सरकार की प्रतिक्रिया
भारत सरकार के सूत्रों के अनुसार, जिन लोगों को पाकिस्तान ने वापस भेज दिया, उनमें से कुछ पहले पाकिस्तान में रहते थे और बाद में उन्होंने भारतीय नागरिकता हासिल की थी. सरकार के मुताबिक, उनका मकसद धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि अपने पुराने जान-पहचान वालों से मुलाकात करना था. इसी वजह से पाकिस्तान ने उन्हें अंदर जाने की मंजूरी नहीं दी. चूंकि यह फैसला पाकिस्तान का अपना अधिकार है, इसलिए भारत इस पर आधिकारिक तौर पर आपत्ति नहीं जता सकता है.
भावनाओं पर चोट
गुरु नानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के अवसर पर जहां श्रद्धालु भक्ति और उल्लास से भरे थे, वहीं हिंदू परिवारों के लिए यह अनुभव गहरी निराशा छोड़ गया. उन्होंने सोचा था कि वे भाईचारे और श्रद्धा का प्रतीक बनेंगे, लेकिन सीमा पर ही उन्हें उनकी पहचान के नाम पर रोक दिया गया. यह घटना सिर्फ कुछ परिवारों की नहीं, बल्कि उस भावना की हार थी जो सरहदों से परे इंसानियत में भरोसा रखती है.





