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कौन हैं BJP विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौड़, जिनके फरमान से इंदौर में मच गया सियासी बवाल? जानें पूरा मामला

एकलव्य सिंह गौड़ हाल ही में मुस्लिम कर्मचारियों को दुकानों से हटाने का फरमान जारी किया था. उनके इस आदेश से विवाद हो गया है. उनका दावा है कि मुस्लिम सेल्समैन 'लव जिहाद' की मानसिकता से काम करते हैं. विशेषकर महिलाओं के कपड़े खरीदने वाले बाजारों में. इसलिए, उन्होंने व्यापारियों से अपील की है कि वे मुस्लिम कर्मचारियों को अपनी दुकानों से हटा दें.

कौन हैं BJP विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौड़, जिनके फरमान से इंदौर में मच गया सियासी बवाल? जानें पूरा मामला
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( Image Source:  @JyotiDevSpeaks )

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के माता शीतला रोड बाजार पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है. इसकी वजह मुस्लिम सेल्समैन के खिलाफ भाजपा नेता का फरमान है. बीजेपी नेता के आदेश के बाद से बाजार और आसपास के इलाकों में हड़कंप मचा गया. यह मामला इंदौर का सबसे पुराना और सबसे लोकप्रिय शीतला माता बाजार से जुड़ा है. यह बाजार दशकों से महिलाओं के कपड़ों के केंद्र के रूप में जाना जाता है. अब राजनीति का ताजा मुद्दा बन गया है.

कौन हैं एकलव्य सिंह?

एकलव्य सिंह गौड़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र हैं. वे इंदौर में स्थित हिंद रक्षक संगठन के प्रमुख हैं और भाजपा युवा मोर्चा के राज्य सचिव भी हैं. उनका राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता का इतिहास विवादों से जुड़ा रहा है. विवादों से एकलव्य का पुराना नाता है. इस तरह के विवादों को जन्म देना उनके लिए कोई नई बात नहीं है.

हाल ही में उन्होंने एक व्यापारी एसोसिएशन में दिए गए अपने एक फरमान में 'जिहादी मानसिकता' को बाजार से हटाने की बात कही थी. उनके फरमान से शहर में तनाव पैदा हो गया. इस बयान के विरोध में हिंदू और मुस्लिम कर्मचारियों ने मिलकर रैली निकाली, जिससे यह मुद्दा और व्यापक हो गया. वे इंदौर में स्थित हिंद रक्षक संगठन के प्रमुख हैं और भाजपा युवा मोर्चा के राज्य सचिव भी हैं. उनका राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता का इतिहास विवादों से जुड़ा रहा है, जिसमें उन्होंने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोपों के खिलाफ शिकायत दर्ज की हैं.

200 मुस्लिम कर्मचारियों की रोजी रोटी पर संकट

एकलव्य सिंह गौड़ का दावा है कि मुस्लिम सेल्समैन 'लव जिहाद' की मानसिकता से काम करते हैं. विशेषकर महिलाओं के कपड़े खरीदने वाले बाजारों में. इसलिए, उन्होंने व्यापारियों से अपील की है कि वे मुस्लिम कर्मचारियों को अपनी दुकानों से हटा दें. इस अपील के बाद कई दुकानदारों ने मुस्लिम कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया, जिससे लगभग 200 मुस्लिम कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है.

फरमान का दिखा बाजार में असर

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि, यह कोई सरकारी आदेश नहीं था, लेकिन एकलव्य गौड़ के बयान का बाजार में व्यापक प्रभाव पड़ा. कई मुस्लिम कर्मचारियों ने विरोध में रैलियां निकालीं और प्रशासन से न्याय की मांग की. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया और शीतला माता बाजार का दौरा किया, जहां उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा.

प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल

इस मामले में प्रशासन की चुप्पी और बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया ने सवाल उठाए हैं कि क्या यह कदम संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. क्षेत्र के लोगों का मानना है कि इस तरह के फैसले से सामाजिक सौहार्द और रोजगार के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

स्थानीय भाजपा नेता और विधायक के बेटे एकलव्य सिंह गौर द्वारा जारी एक मौखिक आदेश ने सैकड़ों मजदूरों में आक्रोश, भय और गहरी अनिश्चितता पैदा कर दी है, जो अपनी आजीविका के लिए बाजार पर निर्भर हैं. व्यापारियों के अनुसार श्री गौर ने हाल ही में एक बैठक में घोषणा की थी कि बाजार की 501 दुकानों में से किसी में भी किसी भी मुस्लिम सेल्समैन को काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

उन्होंने आगे 'निर्देश' दिया कि अगर कोई दुकान मुस्लिम व्यापारियों को किराए पर दी जाती है, तो उसे दो महीने के भीतर खाली कर देना चाहिए. इसके पीछे तर्क दिया गया कि तथाकथित 'लव जिहाद' पर अंकुश लगाने की जरूरत है. इस निर्देश का रोजी-रोटी पर गहरा असर पड़ा है. इन दुकानों में वर्षों से काम कर रहे मुस्लिम युवाओं पर अब अचानक बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है.

व्यापारियों ने किया आदेश पर अमल

एनडीटीवी ने शीतला माता मार्केट के महासचिव पप्पू माहेश्वरी के हवाले से कहा है कि बैठक हुई थी और एकलव्य सिंह के आदेश को मान लिया गया था. उन्होंने कहा, "आदेश दिया गया है कि शीतला माता मार्केट में काम करने वाले सभी मुस्लिम लड़कों को तुरंत हटा दिया जाए और जिसकी दुकान किराए पर हैं, उन्हें भी. उन्हें दो महीने में यह तय करने का समय दिया गया है कि वे कहां काम करना चाहते हैं."

पप्पू माहेश्वरी ने यह दावा किया कि इस फैसले को नरम बनाने की कोशिश की कि मुस्लिम महिला ग्राहकों को अब भी बिना किसी भेदभाव के सेवा दी जाएगी. फिर भी, बाजार के लगभग 50 प्रतिशत ग्राहक मुस्लिम समुदाय से आते हैं, आलोचक इस स्पष्ट विरोधाभास की ओर इशारा करते हैं. जहां मुस्लिम महिलाओं का खरीदारों के रूप में स्वागत है, वहीं मुस्लिम युवाओं को विक्रेताओं के रूप में बाहर धकेला जा रहा है.

इंदौर इस मुद्दे पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. शहर कांग्रेस अध्यक्ष चिंटू चौकसे ने मीडिया से बातचीत में कहा, "भारतीय जनता पार्टी सरकार और उसके नेताओं ने एक ही एजेंडा अपना रखा है, जिसमें लोगों को धर्म, समाज और जाति के नाम पर आपस में लड़ाया जा रहा है. यह नया घटनाक्रम सीधे तौर पर शासन-प्रशासन को चुनौती दे रहा है. इस देश में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं. भाईचारा और एकता भारत की नींव है."

एकलव्य सिंह से जुड़े विवाद

मुनव्वर फारूकी केस (2021) : एकलव्य सिंह गौड़ ने स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने और कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इंदौर के तुकोगंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.

बीजेपी आईटी सेल के सहसंयोजक के बेटे ये मारपीट (2023): जुलाई 2023 में एक अन्य विवाद में एकलव्य गौड़ पर आरोप लगा कि उन्होंने बीजेपी आईटी सेल के सहसंयोजक और व्यापारी नीतेश जैन को घर बुलाकर उनके साथ मारपीट की. नीतेश जैन ने इस घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत करने की बात कही थी.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट (2023): नवंबर 2023 में, एकलव्य गौड़ और उनके सहयोगी महेश कुकरेजा पर इंदौर के सिंधी कॉलोनी क्षेत्र में मतदान के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट करने का आरोप लगा था. पुलिस ने उन पर विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया था. इन घटनाओं ने एकलव्य गौड़ को इंदौर की राजनीति में एक विवादास्पद और चर्चित व्यक्ति बना दिया है. इन घटनाओं ने एकलव्य गौड़ को इंदौर की राजनीति में एक विवादास्पद और चर्चित व्यक्ति बना दिया है.

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