रांची में फ्लाई ओवर बन रहा है या एलिवेटेड कॉरिडोर? आधे लोगों को नहीं है पता
रांची में 558 करोड़ रुपये की लागत से बने अत्याधुनिक रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का 3 जुलाई को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उद्घाटन किया. यह परियोजना शहर में ट्रैफिक को सुगम बनाने और भीड़भाड़ कम करने में मदद करेगी. हालांकि, स्थानीय लोग इसे फ्लाईओवर कह रहे हैं, जबकि एलिवेटेड कॉरिडोर और फ्लाईओवर में बड़ा अंतर है. फ्लाईओवर छोटे ट्रैफिक प्वाइंट्स को पार करता है, जबकि एलिवेटेड कॉरिडोर एक लंबी, ऊंची सड़क होती है जो मुख्य मार्ग के समानांतर चलती है.

Elevated Corridor vs Flyover: झारखंड की राजधानी रांची के लोग आज 3 जुलाई को एक अहम बदलाव के गवाह बने. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने आज रातू रोड एलिवेटेड कॉरिडोर का उद्घाटन किया. 558 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ यह कॉरिडोर अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और शहर के यातायात को गति देने में अहम भूमिका निभाएगा.
हालांकि, रांची के अधिकतर लोग इस कॉरिडोर को 'रातू रोड फ्लाईओवर' कहकर संबोधित कर रहे हैं, जो तकनीकी रूप से गलत है. असल में फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर में बुनियादी अंतर होता है.
एलिवेटेड कॉरिडोर और फ्लाईओवर में क्या अंतर होता है?
फ्लाईओवर आमतौर पर किसी चौक, रेलवे क्रॉसिंग या ट्रैफिक हॉटस्पॉट पर बनाए जाते हैं और इनकी लंबाई सीमित होती है. वहीं एलिवेटेड कॉरिडोर लंबी दूरी की एक ऊँचाई पर बनी सड़क होती है, जो मुख्य सड़कों के ऊपर बनी होती है और जिसका मकसद ट्रैफिक को सुगम और तेज़ बनाना होता है. उदाहरण से समझिए, रांची में कांटाटोली और सिरमटोली जैसे स्थानों पर जो संरचनाएं बनी हैं, वे फ्लाईओवर हैं, जहां एक छोटा पुल किसी चौराहे या रेलवे ट्रैक को पार करता है, जबकि रातू रोड पर बना एलिवेटेड कॉरिडोर कई किलोमीटर लंबा है और यह मुख्य सड़क के ऊपर बनाया गया है ताकि ट्रैफिक निर्बाध रूप से आगे बढ़ सके.
एलिवेटेड कॉरिडोर और फ्लाईओवर में अंतर इस प्रकार है:
बिंदु | एलिवेटेड कॉरिडोर | फ्लाईओवर |
परिभाषा | एक लंबा, लगातार ऊँचाई वाला मार्ग जो कई किलोमीटर तक फैला होता है और मुख्यतः ट्रैफिक डाइवर्जन और तेज़ आवाजाही के लिए बनाया जाता है. | एक छोटी दूरी का पुल जो किसी चौराहे या सड़क को पार करने के लिए बनाया जाता है. |
लंबाई | आमतौर पर लंबा (कई किलोमीटर तक) | तुलनात्मक रूप से छोटा (कुछ सौ मीटर से लेकर 1-2 किलोमीटर तक) |
उद्देश्य | पूरे मार्ग में बाधा-मुक्त तेज यातायात सुनिश्चित करना | किसी खास पॉइंट जैसे जंक्शन या रेलवे लाइन को पार करना
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डिज़ाइन | मल्टीलेवल, कई रैंप और एंट्री/एग्जिट पॉइंट्स हो सकते हैं | साधारण ब्रिज जैसा, सिर्फ ऊपर से गुजरने के लिए |
उदाहरण | दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज से रोहिणी कॉरिडोर | दिल्ली का धौलाकुआं फ्लाईओवर |
संक्षेप में फ्लाईओवर एक छोटा ऊंचा पुल होता है जो ट्रैफिक को नीचे से गुजरने वाले रास्ते से अलग करता है. एलिवेटेड कॉरिडोर एक बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट होता है जो लंबी दूरी तक फैला होता है और ट्रैफिक को पूरी तरह से ग्राउंड लेवल से अलग करता है. रातू रोड की यह बहुप्रतीक्षित परियोजना न केवल रांची के ट्रैफिक को राहत देगी, बल्कि लोगों को शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में भी जागरूक होने का अवसर देगी. अब समय है कि लोग फ्लाईओवर और एलिवेटेड कॉरिडोर के बीच के फर्क को समझें और सही शब्दों का इस्तेमाल करें.