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PESA कानून क्या है? सोरेन सरकार ने दी मंजूरी, झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र के ग्राम सभाओं को कैसे मिलेगी मजबूती?

हेमंत सरकार ने सालों इंतजार के बाद झारखंड के 15 शेड्यूल जिलों में स्थानीय स्वशासन के लिए पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996 (PESA) नियमों को मंजूरी दे दी. पेसा कानून 1996 भारत में आदिवासी अधिकारों का एक मजबूत स्तंभ है, लेकिन उसका वास्तविक लाभ तभी मिलेगा जब इसे भावना और अक्षर दोनों में सही तरीके से लागू किया जाए.

PESA कानून क्या है? सोरेन सरकार ने दी मंजूरी, झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र के ग्राम सभाओं को कैसे मिलेगी मजबूती?
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( Image Source:  Hemant soren facebook )

झारखंड की राजनीति में लंबे समय से यह सवाल उठता रहा है कि क्या आदिवासी बहुल इलाकों में फैसले सच में ग्राम सभा ले पा रही है? अब हेमंत सोरेन सरकार द्वारा PESA कानून (Panchayats Extension to Scheduled Areas Act) को मंजूरी देने के बाद यह बहस एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. यह कानून केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि आदिवासी समाज को संवैधानिक रूप से सशक्त करने का प्रयास है. इससे झारखंड के अनुसूचित क्षेत्रों में विकास, संसाधन और परंपरा, तीनों पर ग्रामसभा की पकड़ मजबूत होगी.

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हेमंत सोरेन सरकार द्वारा PESA कानून को मंजूरी देना झारखंड के आदिवासी समाज के लिए ऐतिहासिक अवसर है. अगर इसे सही भावना और सख्ती से लागू किया गया, तो ग्रामसभा केवल नाम की संस्था नहीं, बल्कि सच में सत्ता का केंद्र बन सकती है.

हेमंत सोरेन सरकार की मंजूरी का क्या मतलब?

झारखंड में PESA कानून तो लागू था, लेकिन स्पष्ट नियमों और प्रभावी क्रियान्वयन की कमी थी. हेमंत सोरेन सरकार की मंजूरी का अर्थ है ग्राम सभा की भूमिका को कानूनी मजबूती देना. स्थानीय फसलों में प्रशासनिक दखल कम करना. आदिवासी अधिकारों को राजनीतिक प्राथमिकता देना.

चुनौतियां क्या हैं?

अधिकारियों और स्थानीय संस्थाओं का तालमेल बनाना के लिए प्रेरित करना होगा. ग्रामसभा सदस्यों को कानूनी अधिकारों की जानकारी दी जाएगी. खनन और कॉरपोरेट दबाव से बाहर रखा जाएगा. पेसा नियमावली पर कैबिनेट की मुहर लगने पर खुशी जताते हुए ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह कहा कि विपक्ष इसको लेकर राजनीति करती रही है. अब इसकी मंजूरी मिलने से ग्राम सभा सशक्त होगा और जनजाति क्षेत्रों में तेजी से विकास होगा. इससे झारखंड में पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में 16,022 गांव, 2,074 पंचायत और 131 प्रखंड शामिल हैं.

पेसा कानून (PESA Act) क्या है?

पेसा कानून 1996 का पूरा नाम Panchayats (Extension to Scheduled Areas Act 1996) पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996 है. इसका मकसद अनुसूचित क्षेत्रों (Scheduled Areas) में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन को संवैधानिक अधिकार देना है. 73वें संविधान संशोधन से पंचायत व्यवस्था तो बनी, लेकिन वह अनुसूचित क्षेत्रों पर सीधे लागू नहीं हो सकी. आदिवासी इलाकों की सामाजिक-सांस्कृतिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए 1996 में पेसा कानून लाया गया. ताकि ग्रामसभा को असली ताकत मिल सके.

पेसा (PESA) कानून की प्रमुख विशेषता

  • कानूनी रूप से ग्राम सभा को सबसे शक्तिशाली इकाई बनाना. बिना ग्राम सभा की मंजूरी कोई बड़ा फैसला नहीं लेना.
  • जल, जंगल, जमीन पर ग्राम सभा का नियंत्रण बनाए रखना. खनन, भूमि अधिग्रहण, विकास परियोजनाओं पर ग्राम सभा की सहमति लेना जरूरी.
  • आदिवासी रीति-रिवाज, सामाजिक और धार्मिक परंपराओं को मान्यता देना. ग्रामसभा को शराब की बिक्री और उत्पादन रोकने का अधिकार देना.
  • तेंदूपत्ता, महुआ, साल बीज जैसी लघु वनोपज पर ग्राम सभा को अधिकार देना. स्थानीय स्तर पर विवाद सुलझाने की शक्ति ग्राम सभा को देना है.

किन-किन राज्यों में लागू है पेसा कानून?

पेसा कानून 5वीं अनुसूची वाले 10 राज्यों में लागू होता है. इन राज्यों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं.

किस राज्य ने कब बनाए कानून?

राजस्थान ने 1999 में नियम बनाया और 2011 में संशोधन किया. आंध्र प्रदेश 2011, हिमाचल प्रदेश ने 2011, महाराष्ट्र ने 2014, गुजरात ने 2017, मध्य प्रदेश ने 2022, छत्तीसगढ़ ने 2022 में नियम बनाए. जबकि तेलंगाना आंध्र प्रदेश के नियमों को अपनाया.

कानून से जुड़ी चुनौतियां

कई राज्यों में नियमों का अधूरे तरीके से लागू हुआ है. ग्राम सभाओं की शक्तियां व्यवहार में सीमित दिए गए हैं. खनन और बड़ी परियोजनाओं में सहमति की अनदेखी की गई है.

क्या है अहमियत?

आदिवासी स्वशासन को संवैधानिक मजबूती देना, संसाधनों पर स्थानीय नियंत्रण, लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक ले जाने की कोशिश करना है. बता दें कि झारखंड सरकार पर लगातार केंद्र सरकार के साथ-साथ झारखंड हाईकोर्ट द्वारा इसको लेकर दबाव बनाया जा रहा था. आखिरकार लंबे इंतजार के बाद राज्य के 15 अनुसूचित जिलों में स्थानीय स्वशासन की दिशा में हेमंत सरकार ने पेसा नियमावली पर मुहर लगाकर बड़ा कदम उठाया है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही अधिसूचना जारी होने की संभावना है.

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