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गरीबी बड़ी जालिम है साहब... बीमार पत्नी के इलाज के लिए पिता ने 50 हजार में मासूम को बेचा; बारिश में उजड़ गया था आशियाना

झारखंड के पलामू जिले से आई यह खबर हर किसी का दिल दहला देती है. गरीबी और लाचारी की ऐसी तस्वीर शायद ही कहीं और देखने को मिले. एक दंपती, जिनके पास न इलाज के पैसे थे, न खाने का सहारा, उन्हें अपना दो महीने का मासूम बेटा महज़ 50 हजार रुपये में बेचना पड़ा.

गरीबी बड़ी जालिम है साहब... बीमार पत्नी के इलाज के लिए पिता ने 50 हजार में मासूम को बेचा; बारिश में उजड़ गया था आशियाना
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( Image Source:  Meta AI: Representative Image )
हेमा पंत
Edited By: हेमा पंत

Updated on: 17 Oct 2025 6:38 PM IST

गरीबी इंसान को किस हद तक मजबूर कर सकती है, इसका दर्दनाक उदाहरण झारखंड के पलामू से सामने आया है. यहां एक दंपती ने अपनी दो महीने की मासूम जान को महज 50 हजार रुपये में बेच दिया. वजह थी पत्नी की बीमारी, जेब में पैसों की कमी और सिर से छत का उजड़ जाना. बारिश ने उनकी झोपड़ी छीन ली, कामकाज बंद हो गया और परिवार दो वक्त की रोटी के लिए भी तरसने लगा. ऐसे हालात में मां-बाप ने वो कदम उठा लिया, जिसकी कल्पना भी दिल दहला दे.

यह मामला उजागर होते ही पूरे इलाके में सनसनी फैल गई. रक्षाबंधन के दिन पैदा हुए इस मासूम को लातेहार के एक दंपती को सौंप दिया गया था. लेकिन जैसे ही खबर मीडिया तक पहुंची, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संज्ञान लिया और तुरंत बच्चे को मां-बाप की गोद में लौटाने का आदेश दिया. इस घटना ने फिर साबित कर दिया कि गरीबी सबसे बड़ी मजबूरी है, जो इंसान से उसका सबसे अनमोल रिश्ता भी छीन लेती है.

गरीबी से जूझती जिंदगी

पलामू जिले के लेस्लीगंज थाना क्षेत्र के लोटवा कमल केडिया गांव के रहने वाले रामचंद्र राम दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं. उनकी पत्नी पिंकी देवी और बच्चे किसी तरह इस गरीबी भरी जिंदगी को गुजार रहे थे. शुरुआत में वे ससुराल में रहते थे, लेकिन बाद में आधा कट्ठा जमीन मिलने पर वहां एक छोटी सी झोपड़ी खड़ी कर ली. मगर इस साल हुई मूसलधार बारिश ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. झोपड़ी पूरी तरह ढह गई और बेघर हुए परिवार को मजबूरी में सरकारी शेड में शरण लेनी पड़ी.

बीमारी और बेरोजगारी की मार

रक्षाबंधन के दिन पिंकी देवी ने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिनडिलीवरी के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. ऊपर से लगातार हो रही बारिश के कारण रामचंद्र मजदूरी पर भी नहीं जा सके. घर में न तो खाने के लिए पैसे थे और न ही पत्नी का इलाज कराने की क्षमता. धीरे-धीरे परिवार भूख और बीमारी की मार झेलने लगा. हालात इतने विकट हो गए कि आखिरकार रामचंद्र और पिंकी देवी को ऐसा कदम उठाना पड़ा, जिसकी कल्पना भी कोई मां-बाप नहीं कर सकता. दोनों ने सोच-समझकर फैसला किया कि अपने नवजात बेटे को किसी और को बेच दें, ताकि बाकी परिवार की जिंदगी बच सके.

पचास हजार रुपये में बेचा बच्चा

लातेहार के एक दंपती से बातचीत कर सौदा तय हुआ. बीच में रिश्तेदारों ने मध्यस्थता की और बच्चे को पचास हजार रुपये में बेच दिया गया. यह सौदा लोटवा चटकपुर में तय हुआ था. पैसे मिलते ही मासूम अपने माता-पिता की गोद से हमेशा के लिए छिन गया.

सरकार और प्रशासन की दखलअंदाजी

जैसे ही खबर मीडिया में आई, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तुरंत संज्ञान लिया. उन्होंने पलामू के उपायुक्त को जांच का आदेश दिया और पीड़ित परिवार को हरसंभव मदद पहुंचाने के निर्देश दिए. साथ ही यह भी कहा कि बच्चे को जल्द से जल्द उसके माता-पिता को सौंपा जाए. बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की टीम मौके पर पहुंची और दंपती को भरोसा दिलाया कि बच्चा वापस लाया जाएगा. साथ ही बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार की मदद के लिए योजनाएं भी शुरू की जाएंगी.

मदद का भरोसा

बीडीओ सुकेशनी केरकेट्टा ने भी परिवार से मुलाकात की और आश्वासन दिया कि सरकारी योजनाओं के तहत उन्हें आर्थिक और सामाजिक मदद दी जाएगी. यह कदम न सिर्फ इस परिवार के लिए, बल्कि उन तमाम जरूरतमंदों के लिए उम्मीद की किरण है, जो आज भी भूख और गरीबी से जूझ रहे हैं.

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