महाराष्ट्र के बाद अब हरियाणा में भी करना पड़ेगा ज्यादा काम, लेकिन कर्मचारियों के लिए खुशखबरी भी है
हरियाणा की राजनीति और श्रम जगत में इन दिनों एक फैसले को लेकर खूब चर्चा है. राज्य में दुकानों और निजी व्यावसायिक संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों के रोज़ाना काम के घंटे बढ़ाने का रास्ता साफ हो गया है. विधानसभा से पास हुए नए कानून के बाद अब कर्मचारी पहले की तरह 9 नहीं, बल्कि 10 घंटे तक रोज़ाना काम कर सकेंगे. सरकार इसे आर्थिक तरक्की से जोड़कर देख रही है, वहीं विपक्ष इसे मज़दूरों पर बढ़ता बोझ बता रहा है.
महाराष्ट्र के बाद अब हरियाणा सरकार ने भी काम के घंटों से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है. नए श्रम कानून के तहत दुकानों और निजी कमर्शियल संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों को अब रोज़ पहले से ज्यादा समय तक काम करना होगा. इस फैसले को लेकर जहां एक तरफ कर्मचारियों के बीच चिंता है, वहीं दूसरी ओर सरकार इसे आर्थिक विकास और रोज़गार बढ़ाने से जोड़कर देख रही है.
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दिलचस्प बात यह है कि ज्यादा काम के साथ-साथ कर्मचारियों और छोटे कारोबारियों के लिए कुछ राहत भरे प्रावधान भी किए गए हैं, जिन्हें सरकार ‘खुशखबरी’ बता रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि नए नियम कर्मचारियों के लिए बोझ बनेंगे या वाकई उन्हें कुछ फायदे भी मिलेंगे.
क्या है नया कानून?
हरियाणा विधानसभा ने हरियाणा शॉप्स और कमर्शियल एस्टैब्लिशमेंट्स (संशोधन) बिल, 2025 को मंजूरी दे दी है. यह बिल 1958 से लागू पुराने कानून में बदलाव लाता है. इसके नए नियमों के मुताबिक अब दुकानों और प्राइवेट कमर्शियल संस्थानों में कर्मचारियों को रोज़ाना 9 घंटे की बजाय 10 घंटे तक काम करना होगा. हालांकि, पूरे हफ्ते में कुल काम के घंटे अभी भी 48 घंटे ही तय रहेंगे.
बड़े ओवरटाइम के घंटे
इस बिल में अब तिमाही (तीन महीने) के हिसाब से ओवरटाइम की अधिकतम सीमा 50 घंटे से बढ़ाकर 156 घंटे कर दी गई है. इसका मकसद यह है कि व्यापार अपनी बढ़ती मांग को आसानी से पूरा कर सके. इसके अलावा, लगातार बिना ब्रेक काम करने की सीमा भी बढ़ा दी गई है. पहले कर्मचारियों को 5 घंटे काम के बाद आराम करना जरूरी था, लेकिन अब यह समय 6 घंटे कर दिया गया है.
व्यापार और रोजगार दोनों को फायदा
श्रम मंत्री अनिल विज का कहना है कि यह बदलाव व्यापार को तेजी देने के लिए जरूरी है. उनके अनुसार, इससे छोटे कारोबारियों पर कागज़ी काम-काज का बोझ कम होगा और नए रोज़गार के मौके भी पैदा होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि ओवरटाइम की सीमा में बड़ा बदलाव किया गया है, ताकि बिज़नेस अपनी बढ़ती मांग को बेहतर तरीके से पूरा कर सके.
विपक्ष क्यों कर रहा विरोध?
कांग्रेस नेता आदित्य सुरजेवाला ने इस बिल का विरोध किया. उन्होंने सवाल उठाया कि यह बदलाव सच में कारोबार को आसान बनाने के लिए है या फिर मजदूरों को ज्यादा काम के लिए मजबूर करने का तरीका. उनका कहना था कि अगर रोज़ाना 10 घंटे काम और इसके अलावा ओवरटाइम भी लिया जाएगा, तो कर्मचारियों के पास अपने परिवार और निजी जीवन के लिए समय ही नहीं रहेगा. सुरजेवाला ने विधानसभा में यह प्रस्ताव रखा कि रोज़ाना काम की सीमा 9 घंटे ही रखी जाए, लेकिन सदन ने इसे ध्वनि मत से खारिज कर दिया.
छोटे कारोबारियों को राहत या कानून से बाहर?
सरकार ने यह तय किया है कि 20 से कम कर्मचारियों वाले छोटे संस्थानों को अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं होगी. इन्हें सिर्फ अपने बिज़नेस की जानकारी देना पर्याप्त होगा. श्रम मंत्री के अनुसार, इससे छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी और नियमों के डर से मुक्ति भी मिलेगी. वहीं, विपक्ष का दावा है कि इस फैसले के कारण 80 प्रतिशत से ज्यादा छोटे संस्थान कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगे.
हरियाणा का यह नया कानून एक ओर जहां विकास और व्यापार को बढ़ावा देने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर कामगारों के समय, सेहत और पारिवारिक जीवन पर सवाल खड़े करता है. आने वाले समय में इसका असर ज़मीन पर कैसा दिखेगा, यह देखना दिलचस्प होगा.





