Begin typing your search...

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया खुलासा, उमर और उसके साथियों के बीच क्यों पड़ी दरार? अफगानिस्तान छोड़कर ऐसे चुना भारत को टारगेट

दिल्ली कार ब्लास्ट केस में नया खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी उमर और उसके साथियों के बीच ब्लास्ट से पहले ही दरार पड़ चुकी थी. जिसके चलते उमर अपने साथी आदिल राथर की शादी में शामिल नहीं हुआ था.

दिल्ली ब्लास्ट केस में नया खुलासा, उमर और उसके साथियों के बीच क्यों पड़ी दरार? अफगानिस्तान छोड़कर ऐसे चुना भारत को टारगेट
X
( Image Source:  X/@Bhupesh )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 23 Nov 2025 8:26 AM

दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में अब हर दिन नए चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं. फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से जुड़े आतंकियों के बीच मतभेद इतने बढ़ गए थे कि मॉड्यूल से जुड़े अहम सदस्य एक-दूसरे से दूरी बनाने लगे थे. ताजा जांच में सामने आया है कि इसी आंतरिक खींचतान के कारण धमाका करने वाला आतंकी उमर नबी अपने साथी आदिल राथर की शादी में शामिल होने तक नहीं गया.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक जांच एजेंसियों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े इस मॉड्यूल में विचारधारा, फंडिंग के उपयोग और हमले की रणनीति को लेकर गंभीर विवाद चल रहे थे. हालांकि बाद में घाटी में मौलवी मुफ्ती इरफान वागे की हिरासत के बाद उमर ने अपने साथियों से संबंध सुधारने की कोशिश भी की थी.

आतंकियों में विचारधारा को लेकर मतभेद

सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए डॉक्टर आतंकी मुजम्मिल गनई, आदिल राथर और मौलवी मुफ्ती इरफान वागे कई मुद्दों पर उमर से सहमत नहीं थे. मॉड्यूल के ज्यादातर सदस्य जहां अल-कायदा की विचारधारा से प्रभावित थे, वहीं उमर आईएसआईएस को अपना मॉडल मानता था. अधिकारियों के अनुसार,“अलकायदा दूर के दुश्मनों और पश्चिमी संस्कृति पर हमला करने पर जोर देता है, जबकि आईएसआईएस का लक्ष्य खिलाफत स्थापित कर नजदीकी टारगेट को चुनना होता है.”

सूत्रों का यह भी कहना है कि मौलवी मुफ्ती को छोड़कर बाकी आतंकियों ने अफगानिस्तान जाकर लड़ाई में शामिल होने की असफल कोशिश भी की थी, जिसके बाद उन्होंने भारत में ही टारगेट चुनने का फैसला किया. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जांच में पता चला है कि उमर नबी खुद को कश्मीर के कुख्यात आतंकियों बुरहान वानी और जाकिर मूसा की चरमपंथी विरासत का उत्तराधिकारी समझता था. वह 2023 से लगातार IED तकनीक पर शोध कर रहा था और हमलों की नई तकनीक सीख रहा था.

फंड को लेकर भी था बड़ा विवाद

आतंकी मॉड्यूल के अंदर मतभेद की एक बड़ी वजह फंडिंग भी थी. उमर पर आरोप था कि वह पैसे के उपयोग को लेकर पारदर्शी नहीं था. कहा जाता है कि फंड का बड़ा हिस्सा अल-फला यूनिवर्सिटी में मुजम्मिल की सहयोगी शाहीन के जरिए आता था. शाहीन को भी हाल ही में गिरफ्तार किया गया.

काजीगुंड की बैठक के तीन हफ्ते बाद हुआ दिल्ली ब्लास्ट

सूत्र बताते हैं कि घाटी के काजीगुंड में 18 अक्टूबर को हुई बैठक के बाद उमर ने बाकी सदस्यों के साथ मतभेद खत्म करने का प्रयास किया. माना जाता है कि इसी सुलह के बाद उसने अपनी योजना को अंजाम देने का फैसला मजबूत किया. 10 नवंबर की शाम उमर ने विस्फोटक से भरी i20 कार को लाल किले के पास उड़ा दिया, जिसमें कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई. इससे पहले आतंकी मुजम्मिल को गिरफ्तार किया जा चुका था, जिसके कारण उमर ने पैनिक में आकर यह ब्लास्ट किया.

India NewsDELHI NEWS
अगला लेख