कौन हैं सुकमा के SP किरण चव्हाण? जिले के 80 फीसदी हिस्से को कर दिया नक्सल मुक्त, 587 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
सुकमा जिले के 10वें पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने पदभार संभालते ही ऐसी रणनीति अपनाई, जिसने दशकों से जमे नक्सली आधार को जड़ से हिला दिया. चव्हाण के नेतृत्व में 30 महीने के भीतर 24 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए. साल 2024 से अब तक 21 अतिरिक्त कैंप खोले गए. उनके कार्यकाल में 587 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया.
छत्तीसगढ़ के सुकमा–बीजापुर सीमांत क्षेत्र को कभी नक्सली संगठन पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) का सबसे सुरक्षित गढ़ माना जाता था. इस दुर्गम इलाके में माओवादी सैन्य बटालियन की गतिविधियां इतनी मजबूत थीं कि इसे संगठन की ‘रीढ़’ कहा जाता था. यहां टॉप कमांडर हिड़मा ने करीब 28 सालों तक अपनी दहशत कायम रखी थी.
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लेकिन पिछले ढाई सालों में यहां तेजी से बदलाव देखने को मिला है. सुकमा जिले के 10वें पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने पदभार संभालते ही ऐसी रणनीति अपनाई, जिसने दशकों से जमे नक्सली आधार को जड़ से हिला दिया. जहां पहले प्रशासन की मौजूदगी लगभग समाप्त थी, वहीं आज विकास कार्य, सड़कें, स्वास्थ्य सुविधाएं और सुरक्षा कैंप इन इलाकों में तेजी से विस्तार कर रहे हैं.
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कौन हैं किरण चव्हाण?
किरण चव्हाण का जन्म 20 अगस्त 1993 को हुआ था, वे एक किसान फैमिली से आते हैं. किरण पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. किरण छत्तीसगढ़ कैडर के 2018 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. बिलासपुर जिले से उन्होंने अपनी पुलिस सेवा की शुरुआत की थी. जब किरण इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे, तब से ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी.
ज्वाइनिंग के बाद बदला रणनीतिक फोकस
एसपी किरण चव्हाण ने कार्यभार संभालने के साथ ही उन स्थानों को प्राथमिकता सूची में रखा, जिन्हें माओवादी अपना अभेद्य किला मानते थे. पूवर्ती, टेकलगुड़ा, रायगुड, तुमलपाड़, गोमगुड़ा जैसे 12 से अधिक कट्टर PLGA क्षेत्रों में उन्होंने सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए, सड़क और राशन आपूर्ति की व्यवस्था बढ़ाई, स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाएं नियमित रूप से पहुंचाई और पहली बार प्रशासनिक पहुंच लगातार सुनिश्चित हुई. इन कदमों ने उन इलाकों में सरकारी मौजूदगी स्थापित कर दी, जहां चार दशकों तक केवल नक्सलियों का शासन चलता था.
30 महीनों में 24 सुरक्षा कैंप
एसपी चव्हाण के नेतृत्व में 30 महीने के भीतर 24 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए. साल 2024 से अब तक 21 अतिरिक्त कैंप खोले गए, जिससे माओवादियों की गतिविधि बेहद सीमित हो गई. सुरक्षा कैंपों के स्थापित होते ही माओवादियों का मूवमेंट घट गया, PLGA बटालियन को कई ठिकानों से पीछे हटना पड़ा और नक्सली नेटवर्क की सालों पुरानी संरचना टूटने लगी.
80 फीसदी सुकमा अब नक्सल मुक्त
किरण चव्हाण की अगुवाई में चलाए गए साहसिक अभियानों का परिणाम बेहद प्रभावशाली रहा है. सुकमा जिले में 80% से अधिक क्षेत्र नक्सल मुक्त घोषित और 587 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. इसके अलावा विभिन्न अभियानों में 68 माओवादी मारे गए और 450 नक्सली गिरफ्तार किए गए.





