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बस्तर में दिल दहला देने वाला खुलासा, 20 साल तक कमरे में कैद रही युवती; छेड़छाड़ के डर से पिता ने छीना पूरा जीवन

बस्तर जिले के बकावंड ब्लॉक एक पिता ने अपनी बेटी को छेड़छाड़ के डर से 8 साल की उम्र में एक अंधेरे कमरे में बंद कर दिया. बच्ची की सुरक्षा के नाम पर शुरू हुई यह कैद 20 सालों तक चलती रही. वो बच्ची आज 28 साल की हो चुकी है. इस घटना ने हर किसी को हिला दिया है.

बस्तर में दिल दहला देने वाला खुलासा, 20 साल तक कमरे में कैद रही युवती; छेड़छाड़ के डर से पिता ने छीना पूरा जीवन
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( Image Source:  AI: Sora )
विशाल पुंडीर
Edited By: विशाल पुंडीर

Published on: 4 Dec 2025 12:27 PM

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के बकावंड ब्लॉक से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है. यहां एक पिता ने अपनी बेटी को छेड़छाड़ के डर से 8 साल की उम्र में एक अंधेरे कमरे में बंद कर दिया. बच्ची की सुरक्षा के नाम पर शुरू हुई यह कैद 20 सालों तक चलती रही.

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आज 28 साल की हो चुकी युवती का बचपन, किशोरावस्था और युवावस्था सब कुछ उसी अंधेरे कमरे की दीवारों में सिमटकर रह गया. लगातार अंधेरे में रहने के कारण उसकी आंखों की रोशनी भी चली गई और उसका मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ.

8 साल की उम्र में शुरू हुई कैद

युवती का नाम लिसा बताया गया है. जब उसके पिता ने उसे कमरे में बंद किया, तब वह मात्र 8 साल की थी. कमरा पूरी तरह बंद था न रोशनी का कोई इंतजाम, न ताजी हवा आने का रास्ता. उसी अंधेरे कमरे में लिसा का खाना, पीना, नहाना और सोना हर जरूरत पूरी की जाती थी. पूरे 20 साल तक वह उसी बंद दुनिया में रही और पड़ोसियों को इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि उनके आसपास ही एक बच्ची की जिंदगी धीरे-धीरे घुट रही है.

पिता की मौत के बाद खुला राज

कुछ महीनों पहले पिता की मृत्यु होने पर यह दर्दनाक सच सामने आया. लिसा के नाना ने हिम्मत करके समाज कल्याण विभाग को पूरे मामले की शिकायत दी. शिकायत मिलते ही विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कमरे का दरवाजा खुलते ही जो दृश्य सामने आया, उसे देखकर हर कोई दंग रह गया.

रेस्क्यू कर घरौंदा आश्रम में कराया भर्ती

विभागीय टीम ने तुरंत लिसा को रेस्क्यू कर घरौंदा आश्रम में भर्ती कराया. यहां चिकित्सकों और विशेषज्ञों की निगरानी में उसका इलाज और मानसिक स्वास्थ्य का उपचार चल रहा है. आश्रम संचालकों के अनुसार लिसा की हालत बेहद नाजुक थी. शारीरिक रूप से कमजोर, मानसिक रूप से सदमे में और वर्षों की बंदिशों ने उसके सामान्य जीवन जीने की क्षमता को बुरी तरह प्रभावित किया है. घरौंदा आश्रम की टीम उसे फिर से सामान्य जीवन की ओर लौटाने के प्रयास में जुटी है.

पूरे बस्तर में आक्रोश

इस दर्दनाक घटना ने पूरे बस्तर क्षेत्र को हिला दिया है. लोगों के मन में यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या डर इतना बड़ा हो सकता है कि एक पिता अपनी ही बेटी का पूरा जीवन छीन ले? विभाग इस मामले को गंभीर अपराध मानते हुए जांच आगे बढ़ा रहा है और कानूनी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.

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