घर पर हुई महागठबंधन की बैठक में शामिल नहीं हुए तेजस्वी, पर क्यों? दबाव की राजनीति या...
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के बीच महागठबंधन (RJD, कांग्रेस और वाम दल) में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत मंगलवार को मुकाम तक नहीं पहुंच पाई. पटना में आयोजित बैठक में कांग्रेस और वामपंथी दलों के नेता मौजूद रहे, लेकिन सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव नहीं पहुंचे. इससे यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा या फिर तेजस्वी की कोई रणनीति पर काम कर रहे हैं.

बिहार चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे का मामला पहले से ज्यादा पेचीदा हो गया है. इसको लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच सियासी खींचतान चरम पर पहुंच गया है. खास बात यह है कि मंगलवार को पटना में महागठबंधन में शामिल दलों के नेताओं की इस मसले पर बैठक हुई. बैठक तेजस्वी यादव के आवास पर हुई. इसके बावजूद वह इसमें शामिल नहीं हुए. उसके बाद से सवाल उठ रहा है कि क्या वास्तव में तेजस्वी यादव की तबीयत खराब है. अगर नहीं, तो वो बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए? जबकि महागठबंधन कोआर्डिनेशन कमेटी के वह प्रमुख हैं.
महागठबंधन की 23 सितंबर को पटना बैठक में तेजस्वी यादव का शामिल न होने से गलत मैसेज गया है. राजनीतिक हलकों में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या वजह रही कि आरजेडी नेता और सीएम फेस के प्रत्याशी बैठक से दूर रहे? इसको लेकर बिहार के सियासी नेता जो आरजेडी से जुड़े हैं, का कहना है कि ऐसा कर तेजस्वी यादव ने सियासी नासमझी का परिचय दिया है. इससे यह मैसेज जाएगा कि राहुल गांधी की वजह से उन्हें असुरक्षा का बोध है.
राहुल की राजनीति नहीं समझ रहे तेजस्वी
तेजस्वी यादव यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि जब कांग्रेस के पास सीएम बनने के लिए जैसा नेता चाहिए, वो नहीं है, तो फिर ये जिद क्यों कि कांग्रेस उन्हें सीएम फेस क्यों घोषित नहीं कर रही है? अगर तेजस्वी यह सोचते हैं कि राहुल गांधी कन्हैया कुमार, पप्पू यादव, या किसी और को सीएम बना देंगे तो यह उनके समझ का फेर है. राहुल गांधी कभी भी इन्हें बिहार का सीएम नहीं बनाएंगे. राहुल इस बात को जानते है कि बिहार में कांग्रेस के पास अभी सीएम फेस नहीं है.
'कांग्रेस RJD की बी टीम नहीं'
आरजेडी नेता अनवर हुसैन का कहना है, 'कांग्रेस नेता तो बिहार में केवल पार्टी का जनाधार बढ़ाना चाहते हैं. अपने हिसाब से सीट चाहते हैं. यही वजह है कि सीट बंटवारे पर पेंच फंस गया. तेजस्वी मीटिंग में शामिल नहीं हुए. जबकि उन्हें फ्रंट पर आकर कांग्रेस से तालमेल बनाने की जरूरत है, ताकि महागठबंधन बरकरार रहे. ऐसा न कर तेजस्वी यादव गलत कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'एक बात और है, राहुल गांधी अभी भी नीतीश कुमार के लिए दरवाजा खोलकर रखना चाहते हैं. अगर चुनाव बाद परिणाम हंग असेंबली के चांस बना तो नीतीश को अपने पाले में ला सकें. और बीजेपी को बिहार में सत्ता से बेदखल कर सकें. आखिर कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी को सीएम फेस मानने से इनकार तो नहीं किया है ना. इसके उलट जबकि तेजस्वी यादव दबाव की राजनीति कर रहे हैं. वह यह इम्प्रैशन देना चाहते हैं कि साथ नहीं दोगे, तो हम अकेले चुनाव लड़ लेंगे. वह इस बात को भी नहीं समझ पा रहे हैं कि कांग्रेस RJD बी टीम नहीं है.'
महागठबंधन की राह नहीं आसान
तेजस्वी की गैरहाजिरी से यह संदेश गया कि महागठबंधन में तालमेल उतना मजबूत नहीं है, जितना दिखाने की कोशिश की जा रही है. अगर यही स्थिति बनी रही तो सीट बंटवारे की खींचतान महागठबंधन के चुनावी गणित को नुकसान पहुंचा सकती है. अब देखना यह है कि अगली बैठक में तेजस्वी यादव की मौजूदगी और उनकी भूमिका अहम होगी. महागठबंधन को चुनाव से पहले एकजुटता दिखानी होगी. वरना, NDA इसका फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगा.
किसने क्या मांगा?
पटना में हुई बैठक में कांग्रेस, CPI, CPM और CPI-ML के नेता शामिल हुए. कांग्रेस ने 70 से ज्यादा सीटों की मांग की. जबकि वाम दलों में सीपीआईएल ने 45 सीटें मांगी.सीपीआई एमएल ने अपने पुराने प्रदर्शन और जनाधार के आधार पर हिस्सेदारी मांगी है. वीआईपी ने 60 सीटें तो सीपीआई ने 20 सीट देने को कहा है. इसके अलावा, लोक जनशक्ति पार्टी, जेएमएम, पार्टियों को भी सीट आवंटित होना है. बैठक में आरजेडी ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी 135 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. बिहार में विधानसभा की कुल सीटें 243 हैं. ऐसे में सीटों का तालमेल के साथ अवंटन मुश्किल है.