Begin typing your search...

तेजस्‍वी यादव को CM फेस घोषित क्‍यों नहीं कर देते? राहुल गांधी ने फिर नहीं दिया सीधा जवाब, बोले - फिलहाल तो हमारी...

अररिया में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगे और ‘वोट चोरी’ रोकने को विपक्ष ने मुख्य एजेंडा बताया. राहुल से जब तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने पर सवाल हुआ, तो उन्होंने सीधे जवाब से बचते हुए कहा कि अभी प्राथमिकता वोट चोरी रोकना है. इस दौरान तेजस्वी ने चुनाव आयोग को 'ग़ोदी आयोग' कहा.

तेजस्‍वी यादव को CM फेस घोषित क्‍यों नहीं कर देते? राहुल गांधी ने फिर नहीं दिया सीधा जवाब, बोले - फिलहाल तो हमारी...
X
( Image Source:  ANI )
प्रवीण सिंह
Edited By: प्रवीण सिंह

Updated on: 25 Aug 2025 4:15 PM IST

बिहार की राजनीति इन दिनों लगातार सुर्खियों में है. रविवार को अररिया में हुई राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस ने न केवल चुनाव आयोग (Election Commission) की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए बल्कि महागठबंधन (Grand Alliance) की रणनीति को लेकर भी नए संकेत दिए. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछा गया कि आखिर कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा क्यों घोषित नहीं किया. हालांकि राहुल गांधी ने इस सवाल का सीधा जवाब देने के बजाय गठबंधन की एकजुटता और 'वोट चोरी' रोकने की लड़ाई पर जोर दिया.

राहुल गांधी इन दिनों बिहार में “वोटर अधिकार यात्रा” (Voter Adhikar Yatra) निकाल रहे हैं. इस यात्रा का मकसद है जनता को यह संदेश देना कि बीजेपी और चुनाव आयोग मिलकर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी कर रहे हैं. अररिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल ने दावा किया कि इस यात्रा को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है और इससे साफ है कि बिहार की जनता 'वोट चोरी' के मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़ी है.

उन्होंने आरोप लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के नाम पर वोटरों को योजनाबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है. राहुल गांधी ने कहा, “SIR वोट चोरी का संस्थागत तरीका है. इसमें चुनाव आयोग और बीजेपी की साझेदारी है.” राहुल का कहना था कि चुनाव आयोग अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने में विफल रहा है और कई राज्यों - महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक - में भी इसी तरह वोटर लिस्ट से मतदाताओं को हटाने की शिकायतें सामने आई हैं.

राहुल गांधी का कर्नाटक का उदाहरण

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कर्नाटक का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने महादेवपुरा सीट पर फर्जी वोटरों का डेटा प्रस्तुत किया, तो चुनाव आयोग ने उनसे 5 मिनट के भीतर हलफनामा (affidavit) दाखिल करने को कह दिया. लेकिन जब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसी तरह का आरोप लगाया, तो उनसे कोई हलफनामा नहीं मांगा गया. राहुल ने कहा, “यह साफ दिखाता है कि चुनाव आयोग कहां खड़ा है.”

तेजस्वी यादव का तीखा हमला

आरजेडी नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग अब 'ग़ोदी आयोग' बन चुका है और बीजेपी के सेल की तरह काम कर रहा है. तेजस्वी ने कहा कि अगर मतदाता सूची से लोगों के नाम हटाए जाते रहे, तो लोकतंत्र का मज़ाक बनकर रह जाएगा.

विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन

प्रेस कॉन्फ्रेंस में वाम दल के नेता और सीपीआई (एमएल) के महासचिव Dipankar Bhattacharya और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) प्रमुख मुकेश सहनी भी मौजूद थे. इससे यह संदेश गया कि महागठबंधन में कई विचारधारा वाले दल होने के बावजूद सभी पार्टियां 'वोट चोरी' के मुद्दे पर एकजुट हैं.

राहुल गांधी ने कहा, “हमारे बीच आपसी सम्मान है. सभी सहयोगी वैचारिक और राजनीतिक रूप से एकजुट हैं. कोई तनाव नहीं है. फिलहाल ध्यान इस बात पर है कि वोट चोरी को रोका जाए.”

मुख्यमंत्री चेहरे का सवाल और राहुल का बचाव

जब राहुल गांधी से यह पूछा गया कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा क्यों नहीं घोषित कर रही, तो उन्होंने सीधे तौर पर जवाब देने से बचते हुए कहा कि अभी प्राथमिकता 'वोट चोरी' रोकना है. इस पर राहुल का कहना था, “मुख्यमंत्री पद का मुद्दा अभी केंद्र में नहीं है. गठबंधन का फोकस फिलहाल वोट चोरी रोकने और जनता के अधिकारों की रक्षा करने पर है.” इस जवाब से यह साफ है कि कांग्रेस अभी बिहार की राजनीति में 'CM face' की घोषणा से बच रही है और गठबंधन के भीतर लचीलापन बनाए रखना चाहती है.

क्यों अहम है यह सवाल?

तेजस्वी यादव पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. नीतीश कुमार के लगातार पाला बदलने और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के बीच महागठबंधन में तेजस्वी की लोकप्रियता और नेतृत्व क्षमता बढ़ी है. लेकिन कांग्रेस, जो बिहार में अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति में है, फिलहाल तेजस्वी को खुला समर्थन देने से हिचक रही है.

इसके पीछे कुछ वजहें हो सकती हैं, जैसे...

  • कांग्रेस नहीं चाहती कि बिहार की राजनीति में पूरी कमान सिर्फ आरजेडी के हाथों में दिखाई दे.
  • कांग्रेस राहुल गांधी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री पद का चेहरा प्रोजेक्ट कर रही है. ऐसे में किसी अन्य राज्य में दूसरे दल के नेता को “CM face” घोषित करना जल्दबाजी हो सकता है.
  • सीपीआई-एमएल और वीआईपी जैसे छोटे सहयोगी दल तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित करने पर असहज महसूस कर सकते हैं.

अररिया की इस प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कई संकेत दिए. एक ओर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर बड़े आरोप लगाए और बीजेपी को “वोट चोरी” का जिम्मेदार ठहराया. वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर कांग्रेस का टालमटोल यह दिखाता है कि महागठबंधन में अभी भी अंतिम रणनीति तय नहीं हुई है.

फिलहाल राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया है कि उनकी प्राथमिकता है - 'वोट चोरी रोकना' और लोकतंत्र को बचाना. लेकिन आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को औपचारिक रूप से महागठबंधन का चेहरा मानती है या फिर इस मुद्दे को टालकर आगे बढ़ती है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025राहुल गांधी
अगला लेख