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राहुल-तेजस्वी पहुंचे खानकाह रहमानी, जिसे कहा जाता है ‘इंजीनियरों की खान’, क्या हैं इसके सियासी मायने?

बिहार के मुंगेर का खानकाह रहमानी न सिर्फ एक धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र है बल्कि इसे ‘इंजीनियरों की खान’ भी कहा जाता है. यहां से बड़ी संख्या में मुस्लिम युवा इंजीनियरिंग और आधुनिक शिक्षा की ओर बढ़े हैं और देश भर में नाम कमाया है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का यहां आना सिर्फ आध्यात्मिक या औपचारिक मुलाकात नहीं माना जा रहा बल्कि इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.

राहुल-तेजस्वी पहुंचे खानकाह रहमानी, जिसे कहा जाता है ‘इंजीनियरों की खान’, क्या हैं इसके सियासी मायने?
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( Image Source:  @yadavtejashwi )

बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा' के क्रम में 22 अगस्त को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव मुंगेर में खानकाह रहमानी पहुंचे. दोनों नेताओं ने खानकाह रहमानी में धर्मगुरुओं से मुलाकात की. यह खानकाह साल 1901 में स्थापित हुई थी. खानकाह में शिक्षा के क्षेत्र को लेकर काफी काम किए जा रहे हैं. इसे JEE-NEET जैसे एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए शिक्षा का हब माना जाता है.

मुंगेर के जिस खानकाह रहमानी जाकर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मौलाना से मुलाकात की, उस खानकाह का लंबा इतिहास है. यह खानकाह 1901 में मौलाना मोहम्मद अली मुंगरी ने स्थापित की थी. तब से यह केंद्र सिर्फ सामाजिक सुधार का ही केंद्र नहीं रहा बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों की मदद भी करता रहा. अब यह इंजीनियरों की खान बन गया है.

नेहरू और गांधी यहां पहुंचे थे

राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पहले नेता नहीं हैं जो इस खानकाह रहमानी गए हैं. यहां महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, अबुल कलाम आजाद और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे लीडर्स भी आने के बाद रुके भी हैं. राहुल गांधी के पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी इस खानकाह का दौरा किया था. इसके अलावा, ऐसे कई नेता हैं जो इस खानकाह में जा चुके हैं.

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JEE और NEET की यहां कराई जा रही तैयारी

खानकाह रहमानी में न केवल छात्रों को कुरान पढ़ाया जाता बल्कि दीन और इस्लाम की तालीम दी जा रही है. साइंस, इंग्लिश और गणित भी पढ़ाई जा रही है. छात्रों को JEE और NEET जैसे एंट्रेंस एग्जाम के लिए तैयार किया जा रहा है. यहां पर चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) और कंपनी सेक्रेटरी (CS) परीक्षाओं की तैयारी के लिए भी सुविधा उपलब्ध है. खानकाह में B.Ed कॉलेज भी है, जिसमें महिला छात्रों की संख्या ज्यादा है. साल 2011 के बाद कई नए कोर्सेज भी यहां जोड़े गए.

लालू यादव का है इस केंद्र से बहुत पुराना कनेक्शन

राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव खानकाह रहमानी से बहुत पुराना सियासी कनेक्शन है. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पिछले साल भी खानकाह रहमानी मुंगेर पहुंचे थे. यहां उन्होंने अमीर-ए-शरीअत हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी दामत बरकातहुम से मुलाकात की थी. तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को फोन पर हजरत अमीर-ए-शरीअत से बातचीत भी कराई थी. तेजस्वी यादव ने बताया था कि उनके परिवार का खानकाह रहमानी के बुजुर्गों से हमेशा गहरा संबंध रहा है. उनके पिता का हजरत मौलाना मोहम्मद वली रहमानी साहब से बहुत गहरा रिश्ता था. उनका परिवार हमेशा खानकाह रहमानी में आता रहा है.

प्रोफेसर के रूप में वहां जाना पसंद करते थे कलाम

जामिया रहमानी के तलीमगाह भवन का उद्घाटन भारत के पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने किया था. कलाम, डॉ. कलाम पूर्व राष्ट्रपति के बजाय एक प्रोफेसर के रूप में वहां जाना जाना पसंद करते थे. उन्होंने 2003 में ही इस भवन का उद्घाटन किया था. राष्ट्रपति के मंच से वैज्ञानिक अब्दुल कलाम ने एक बार बताया था कि वो खुद मदरसा बोर्ड के छात्र रह चुके थे.

क्या है खानकाह रहमानी की अहमियत

- मुस्लिम समाज में शिक्षा और धार्मिक मार्गदर्शन का सबसे बड़ा केंद्र.

- खानकाह रहमानी के पढ़े कई छात्रों ने IIT, NIT और अन्य तकनीकी संस्थानों में नाम कमाया.

- राहुल-तेजस्वी वोट अधिकारी यात्रा के क्रम मुंगेर पहुंचने पर खानकाह के मुस्लिम धर्मगुरुओं से की मुलाकात, इसका बहुत दूर तक जाएगा संदेश.

- चुनावी मौसम में यह दौरा मुस्लिम वोटरों तक सीधा संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है.

- मुंगेर और आसपास के जिलों में इस खानकाह का मुस्लिम समुदाय पर इस केंद्र का व्यापक असर है.

तेजस्वी-राहुल मुलाकात के सियासी मायने

- राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का यह कदम मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने और NDA से नाराजगी का लाभ उठाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.

- खानकाह रहमानी जैसे प्रतिष्ठित केंद्र से जुड़ाव दिखाकर विपक्ष अपने 'इंक्लूसिव पॉलिटिक्स' का संदेश दे रहा है.

- RJD और कांग्रेस गठजोड़ मुस्लिम समाज में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं.

- राहुल गांधी का यह दौरा मुस्लिम समुदाय को यह भरोसा दिलाने की कोशिश है कि कांग्रेस उनके साथ खड़ी है.

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