कौन हैं संजय यादव जिन्हें कहा जा रहा RJD का 'जयचंद'? तेज प्रताप के बाद रोहिणी आचार्य ने उठाए सवाल
बिहार की राजनीति में संजय यादव का नाम सुर्खियों में है. तेजस्वी यादव के खासमखास और राज्यसभा सांसद संजय यादव पर आरोप है कि वे न सिर्फ पार्टी की रणनीति तय करते हैं बल्कि लालू परिवार के भीतर दरार की वजह भी बन रहे हैं. जानिए कौन हैं संजय यादव, कैसे बने तेजस्वी के सबसे करीबी, कितनी है उनकी संपत्ति और क्रिकेट से राजनीति तक का पूरा सफर.

बिहार की राजनीति हमेशा से ही परिवार और पार्टी के अंदरूनी समीकरणों के लिए जानी जाती है. लेकिन इस बार मामला और गहरा हो गया है. लालू प्रसाद यादव के परिवार में तनाव की खबरें लगातार बाहर आ रही हैं. तेज प्रताप यादव पहले ही नाराज़गी जाहिर कर चुके हैं और अब बहन रोहिणी आचार्य और मिसा भारती भी खुले मंच से असंतोष जताने लगी हैं. इस खींचतान के केंद्र में हैं एक ऐसे शख्स, जो लालू परिवार का हिस्सा नहीं हैं बल्कि तेजस्वी यादव के सबसे करीबी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद संजय यादव.
कहा जा रहा है कि संजय यादव न सिर्फ तेजस्वी की राजनीतिक रणनीति तय करते हैं, बल्कि धीरे-धीरे परिवार में दरार डालने वाले किरदार के रूप में देखे जा रहे हैं. यही वजह है कि सोशल मीडिया पर लालू परिवार के ही सदस्य खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं. अब सबके मन में सवाल है कि आखिर कौन हैं संजय यादव और क्यों उनका नाम बिहार की राजनीति का इतना चर्चित विषय बन गया है?
कौन हैं संजय यादव?
संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म 24 फरवरी 1984 को हुआ. उन्होंने भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की. करियर की शुरुआत दिल्ली की मल्टीनेशनल कंपनियों से हुई, लेकिन 2010 के बाद उन्होंने राजनीति में सक्रियता दिखाई. 2012 में आरजेडी से जुड़े और 2024 में राज्यसभा सांसद बने.
क्यों शुरू हुआ विवाद?
मामला तब विवाद में आया जब तेजस्वी यादव की सीट पर संजय यादव को बैठा देखा गया. इसके बाद उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने आपत्ति जताई. इसके बाद तेज प्रताप यादव ने भी बहन का समर्थन किया. संजय यादव के बढ़ते प्रभाव ने लालू परिवार के अंदर असहमति की लकीरें खींच दी हैं. तेज प्रताप यादव ने पहले ही उन्हें ‘NRI’ कहकर निशाना साधा था. अब बहन रोहिणी आचार्य ने भी सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर साफ कहा कि उन्हें राजनीति की भूख नहीं, बल्कि आत्मसम्मान चाहिए. आरोप है कि आरजेडी के फैसलों से लेकर प्रचार सामग्री तक पर संजय का सीधा नियंत्रण है.
तेजस्वी और संजय कैसे बने करीबी दोस्त?
तेजस्वी और संजय की दोस्ती की शुरुआत क्रिकेट से हुई. जब तेजस्वी दिल्ली डेयरडेविल्स टीम से जुड़े थे, तब उनकी मुलाकात संजय से हुई. बाद में लालू प्रसाद यादव के जेल जाने और तेजस्वी की राजनीति में एंट्री के समय, संजय को पटना बुलाया गया. यहीं से उनकी भूमिका तेजस्वी के सबसे करीबी सलाहकार की बन गई. धीरे-धीरे संजय पार्टी में तेजस्वी के "आंख-कान" कहे जाने लगे.
क्रिकेट कनेक्शन
संजय यादव का तेजस्वी यादव से रिश्ता क्रिकेट मैदान पर बना. तेजस्वी के IPL करियर के दौरान ही उनकी मुलाकात हुई थी. संजय भी उस दौर में तेजस्वी के साथ क्रिकेटिंग सपनों से जुड़े थे. लेकिन जैसे ही तेजस्वी ने राजनीति में कदम रखा, संजय भी दिल्ली छोड़कर पटना आ गए और आरजेडी की डिजिटल और जमीनी रणनीति का हिस्सा बन गए.
संजय यादव का राजनीतिक सफर
2012 से आरजेडी में सक्रिय, संजय यादव ने 2015 और 2020 बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई. उनकी छवि चुनावी डेटा और ग्राउंड एनालिसिस करने वाले रणनीतिकार की है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी को "युवा और आधुनिक नेता" के रूप में स्थापित करने में संजय यादव की बड़ी भूमिका रही है.
विवाद और आरोप
संजय यादव विवादों से भी घिरे रहे हैं. 2021 में तेज प्रताप यादव ने उन्हें निशाने पर लिया था. उन पर जमीन घोटाले से जुड़े मामलों में CBI की पूछताछ भी हो चुकी है. साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि झंडे और पोस्टर जैसी प्रचार सामग्री भी उनकी कंपनियों से ही खरीदी जाती है.
कितनी है संजय की संपत्ति?
एक हलफनामे के मुताबिक, संजय यादव के पास कुल लगभग 2 करोड़ रुपये की संपत्ति है. इसमें एक लाख कैश, 44 लाख बैंक डिपॉजिट, 7 लाख पोस्टल सेविंग्स और 9 लाख रुपये बीमा व निवेश शामिल हैं. बतौर राज्यसभा सांसद उन्हें हर महीने करीब 2 लाख रुपये वेतन मिलता है.
परिवार और पार्टी में बढ़ती खींचतान
संजय यादव की तेजस्वी पर पकड़ से परिवार के अन्य सदस्य असहज हैं. हाल ही में ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें संजय तेजस्वी के साथ फ्रंट सीट पर बैठे थे. इस पर रोहिणी आचार्य ने नाराज़गी जताई. इससे यह साफ हो गया कि पार्टी के अंदर अब असहमति खुलकर सामने आ रही है.
खींचतान का पड़ेगा प्रभाव!
संजय यादव सिर्फ सांसद नहीं, बल्कि तेजस्वी के रणनीतिक सलाहकार के तौर पर आरजेडी और लालू परिवार के समीकरणों को प्रभावित कर रहे हैं. सवाल यह है कि क्या उनका बढ़ता प्रभाव तेजस्वी को राजनीतिक मजबूती देगा या परिवार के भीतर दरार को और गहरा करेगा? बिहार की राजनीति में यह खींचतान आने वाले समय में बड़े घटनाक्रम की वजह बन सकती है.