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वाह रे राजनीति! नीतीश अपने दम पर कभी नहीं बना पाए सरकार, फिर भी 2005 से 2025 तक 9 बार रहे CM

Bihar Election 2025: जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं जिन्हें प्रदेश में नौ बार और सबसे लंबे समय तक सीएम बनने का मौका मिला. बतौर सीएम अपने पहले 5 साल कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों के लिए यादव किए जाते हैं. दूसरी तरफ उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वो बदलते सियासी मिजाज का रुख पहले भांप लेते हैं और अपना पाला बदल लेते है. ऐसा कर वह करीब चार दशक के सियासी करियर में प्रासंगिक बने हुए हैं.

वाह रे राजनीति! नीतीश अपने दम पर कभी नहीं बना पाए सरकार, फिर भी 2005 से 2025 तक 9 बार रहे CM
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Bihar Chunav 2025: बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार का 9 कार्यकाल वहां के मतदाताओं के लिए सबक के साथ सबसे ज्यादे बार सीएम बनने का रिकॉर्ड है. यह बिहार की राजनीति की एक ऐसी सच्चाई है जिसमें एक बार भी नीतीश कुमार खुद की ताकत से सीएम बनने की स्थिति में नहीं थे. इसके बावजूद वह जातीय आधार पर बंटे मतदाताओं की वजह सीएम बने. इसी समीकरण की वजह से अब प्रदेश के लोग यह आये दिन यह कहने से नहीं चूकते कि चाहे कुछ भी हो जाए बिहार में तो नीतीश ही सीएम बनेंगे. ये बात अलग है कि अब इस नारे को इस्तेमाल लोग तंजिया में लहजे में करते हैं.

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने बिहार पर सबसे लंबे समय तक शासन किया, लेकिन वह अपने सहयोगियों के साथ कभी भी शांति से नहीं रहे. खुद को सियासी तौर पर कमजोर होने का संकेत मिलते ही,पाला बदलकर नई सरकार में सीएम बनते रहे हैं. ऐसा वह बीजेपी और आरजेडी की सियासी मजबूरियों की वजह से करने में हर बार सफल होते हैं. दोनों पार्टियां सब कुछ जानते हुए भी नीतीश कुमार के नेतृत्व को सहज भाव से स्वीकार करते है.

सीएम नीतीश कुमार की एक खासियत यह है कि वह को कमजोर होने का संकेत मिलते ही अपने अनुभव और नरम स्वभाव के कारण पासा बदल लेते हैं. साल 2013 में बीजेपी से सिर्फ इसलिए नाता तोड़ लिया कि गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का बीजेपी में राष्ट्रीय उत्थान हुआ था और वह पीएम पद के दावेदार बन गए थे. उन्होंने पहले से तय खिचड़ी पार्टी तक रद्द कर दी थी.

नीतीश कुमार इसलिए बार-बार बनते हैं CM, समझें सियासी समीकरण

चार दशकों के राजनीतिक करियर में बिहार में नीतीश कुमार की छवि विकास के समर्थक, समाजवादी सोच और अवसरवादी नेता की छवि है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव तो उन्हें 'पलटू चाचा' कहते हैं. हालांकि, काफी संख्या में उनके प्रशंसक हैं जो उन्हें भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और कुशासन के दागों से दूर रहने और धार्मिक बहुसंख्यकवाद के आगे कभी नहीं झुकने वाला नेता मानते हैं. बतौर सीएम नीतीश कुमार के पहले पांच साल को उनके आलोचकों द्वारा भी प्रशंसा के साथ याद किए जाता है. उस दौरान राज्य में कानून और व्यवस्था, बिजली, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित अन्य क्षेत्रों में उन्होंने बड़े पैमाने पर काम किया था.

पहला कार्यकाल: 2000

नीतीश कुमार ने 3 मार्च 2000 को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. उन्होंने दुश्मन से सहयोगी बने लालू प्रसाद यादव के ‘जंगल-राज’ के खिलाफ अभियान चलाया और सीएम बन गए, लेकिन वह केवल 7 दिनों तक पद पर रहे. ऐसा इसलिए कि वह विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सके. उन्होंने विधानसभा में विश्वास मत से पहले ही 10 मार्च, 2000 को इस्तीफा दे दिया. साल 2000 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 23, बीजेपी 67, जेडीयू 21, आरजेडी 124, समता पार्टी 34, आरएलएसपी 2, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी एमएल 3, जेएमएम ने 12 और 4 प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव जीते थे.

दूसरा कार्यकाल: 2005

नीतीश कुमार ने बीजेपी के समर्थन से नवंबर 2005 में दूसरे कार्यकाल के लिए 2005 बिहार विधानसभा चुनाव जीता. जबकि नीतीश की जेडीयू) ने 88 सीटें जीतीं और बीजेपी ने 55 सीटें जीतीं और 243 सदस्यीय सदन में 122 के बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया. मुख्यमंत्री के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल के पहले वर्षों को आलोचक भी प्रशंसा के साथ याद करते हैं, क्योंकि इस दौरान राज्य में कानून और व्यवस्था की बहाली में व्यापक सुधार हुआ, जो प्रतिद्वंद्वी मिलिशिया द्वारा नरसंहार और फिरौती के लिए अपहरण की घटनाओं के लिए सुर्खियों में रहा था.

तीसरा कार्यकाल: 2010

नीतीश ने 2010 में सहयोगी बीजेपी के साथ सत्ता हासिल की और एक बार फिर मुख्यमंत्री बने। उन्हें 'सुशासन बाबू' कहा जाता था, यह एक लोकप्रिय नाम था जो नीतीश ने अपने विकास और सक्षम प्रशासन के लिए अर्जित किया था. इस चुनाव में जेडीयू 115, बीजेपी 91 और आरजेडी 22 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. उन्होंने 2013 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने के बाद 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव अकेले लड़े. अपनी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पार्टी नेता जीतन राम मांझी को कार्यभार संभालने की अनुमति दी. मांझी का 10 महीने (20 मई, 2014 से 21 फरवरी, 2015 तक) बिहार के मुख्यमंत्री रहे.

चौथा कार्यकाल: 2015

जीतन राम मांझी के इस्तीफे के बाद फरवरी 2015 में नीतीश ने फिर से मुख्यमंत्री पद संभाला. उनकी पार्टी जेडीयू ने महागठबंधन के साथ गठबंधन किया, जिसमें आरजेडी और कांग्रेस जैसी पार्टियां शामिल थीं.

पांचवें कार्यकाल: 2015

2015 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन (ग्रैंड अलायंस) ने 243 सदस्यीय सदन में 178 सीटें हासिल करके जीत हासिल की. आरजेडी 80, जेडीयू 71, बीजेपी 53 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थी. नीतीश कुमार ने पांचवीं बार सीएम के रूप में शपथ ली, जबकि आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने. दो साल बाद उन्होंने आरजेडी से नाता तोड़ लिया और बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया.

छठा कार्यकाल: 2017

तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद महागठबंधन सरकार पर दबाव था. जबकि आरजेडी ने कथित तौर पर आरोपों का जवाब देने से इनकार कर दिया. 2017 में वह आरजेडी पर भ्रष्टाचार और राज्य में शासन को बाधित करने का आरोप लगाते हुए एनडीए में लौट आए और आरजेडी गठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में शामिल हो गए.

सातवां कार्यकाल: 2020

एनडीए 125 सीटों के साथ बहुमत को पार करने में सफल रहा. जबकि आरजेडी 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जेडीयू 43 और बीजेपी के पास 74, कांग्रेस 19, वामपंथी गठबंधन 16 सीटें जीतने में कामयाब हुई. नीतीश कुमार ने 16 नवंबर, 2020 को सातवें कार्यकाल के लिए सीएम के रूप में शपथ ली.

आठवां कार्यकाल: 2022

उन्होंने एक बार फिर बीजेपी पर जेडीयू को तोड़ने का आरोप लगाते हुए उससे नाता तोड़ लिया और अगस्त 2022 में महागठबंधन में शामिल हो गए. उन्होंने बहुदलीय गठबंधन के साथ एक नई सरकार बनाई जिसमें राजद, कांग्रेस और तीन वामपंथी दल शामिल थे. उन्होंने 2022 में आठवीं बार सीएम के रूप में शपथ ली. जबकि तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने.

नौवां कार्यकाल: 2024

नीतीश ने महागठबंधन के दलों से रिश्ता बिगड़ने पर बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि महागठबंधन और विपक्षी ब्लॉक इंडिया में उनके लिए चीजें ठीक नहीं चल रही थी. बीजेपी के साथ एक नई सरकार बनाने का दावा किया, जिसे उन्होंने 18 महीने से भी कम समय पहले छोड़ दिया था. कुमार ने रिकॉर्ड नौवीं बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद तीसरी बार सीएम बने.

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