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क्या बिहार में CM फेस को लेकर एकमत नहीं महागठबंधन, राज्य कांग्रेस प्रभारी क्यों उठा रहे सवाल?

Bihar Assembly Election 2025: बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने 19 जून को पटना में यह तो कहा कि महागठबंधन में शामिल सभी दल मिलकर 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. गठबंधन का फेस भी तय है. इसके बावजूद उन्होंने तेजस्वी यादव का नाम महागठबंधन दल के नेता के रूप में नहीं लिया. क्या है कांग्रेस प्रभारी की मंशा?

क्या बिहार में CM फेस को लेकर एकमत नहीं महागठबंधन, राज्य कांग्रेस प्रभारी क्यों उठा रहे सवाल?
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( Image Source:  Facebook )

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी दलों की तैयारियों के बीच रह रहकर गठबंधन में शामिल दलों के नेता अपने ही सहयोगियों की क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं. ऐसे में गठबंधन के नेतृत्व को लेकर लगातार गलत संदेश मतदाताओं के बीच जा रहा है. इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) के नेतृत्व को लेकर यह काम एक बार फिर बिहार कांग्रेस के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने किया है. इससे तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर फिर से चर्चा शुरू हो गई है.

हालांकि, हाल ही में महागठबंधन में शामिल दलों की बैठक में सभी दलों के नेताओं ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति जताई थी. इसके बावजूद शुक्रवार को पटना में राज्य कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने चुनाव से पहले महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर बड़ा बयान दे दिया, जो सुर्खियों में है.

तेजस्वी का नाम लेने से परहेज क्यों?

उन्होंने पटना में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “महागठबंधन में सीएम पद के चेहरे को लेकर कोई असमंजस नहीं है. आपके माइंड में चेहरा भले ही फाइनल नहीं हो, लेकिन हम लोगों के माइंड में कोई डाउट नहीं है. इस दौरान उन्होंने महागठबंधन नेता के रूप में तेजस्वी यादव का नाम नहीं लिया. ऐसा करने से बचते दिखाई दिए.”

उनके इस बयान के बाद से पटना के सियासी गलियारों में चर्चा है कि आखिर बिहार कांग्रेस प्रभारी महागठबंधन में क्या खिचड़ी पका रहे हैं? क्या वो आरजेडी पर ज्यादा सीट देने का प्रेशर बना रहे हैं या उनकी मंशा कुछ है? यह सवाल बहुत हद तक इसलिए वाजिब है कि जब से वो बिहार के प्रभारी बने हैं, तभी से बिहार में कांग्रेस आक्रामक मूड में है और अपना जनाधार बढ़ाने में जुटी है.

पप्पू यादव कहां हैं?

हार चुनाव से पहले एक तरफ कन्हैया कुमार को सक्रिय कर दिया गया है तो दूसरी तरफ बिहार के दलित नेता और नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार भी पार्टी के जनाधार बढ़ाने को लेकर सक्रिय हैं. दोनों नेता गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. प्रदेश प्रभारी का भी दोनों का तालमेल अच्छा है. यहां पर इस बात का जिक्र कर दें कि अल्लावारू का बिहार प्रभारी बनने के बाद से पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी चुप हैं. इससे पहले उनको लेकर यह माना जा रहा था कि वो बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए अहम भूमिका निभाएंगे.

इसी तरह बिहार कांग्रेस के पुराने नेता और केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा सहित कई नेता चुनाव नजदीक आने के बावजूद सक्रिय न के बराबर हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में अभी प्रदेश प्रभारी, कन्हैया कुमार और प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार का गुट हावी है. इस गुट से जुड़े लोग ही ज्यादा हावी हैं और पुराने नेता चुप्पी साधे हुए हैं.

दबाव की राजनीति या मंशा कुछ और

प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुन्ना मुन्ना तिवारी और विधायक संतोष मिश्रा ने हाल ही में बताया था कि कांग्रेस चुनाव मिलकर ही लड़ेगी, लेकिन हमारी पार्टी 70 से कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी. ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या कांग्रेस अपने हिसाब से टिकट पाने के लिए आरजेडी पर दबाव बनाने में जुटी है. अगर ऐसा नहीं तो फिर प्रदेश प्रभारी क्या चाहतें?

हालांकि, कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अल्लावारू ने ये भी कहा कि इंडिया गठबंधन आगामी चुनाव में एकजुट होकर सभी 243 विधानसभा सीटों पर मजबूती के साथ लड़ेगी. कांग्रेस ने यह तय किया है कि गठबंधन के हर उम्मीदवार को वह अपना प्रत्याशी मानकर प्रचार और समर्थन करेगी. सीटों के मसले पर कहा कि उस पर जल्द तय आम सहमति से फैसला ले लिया जाएगा.

हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं कृष्णा अल्लावारू, प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और विधायक दल के नेता शकील अहमद खान ने राजद नेता तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी. इस दौरान सीटों के बंटवारे को जल्द अंतिम रूप देने की मांग आरजेडी से कांग्रेस ने की थी.

महागठबंधन की बैठक में क्या हुआ था फैसला?

हाल ही में बिहार में महागठबंधन में शामिल दलों की 12 जून 2025 को पटना में हुई थी. मीटिंग में यह तय हुआ था कि तेजस्वी यादव ही इंडिया गठबंधन के नेता होंगे. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के फॉर्मूले पर विधानसभा सीटों का बंटवारा होगा. सीटों की संख्या थोड़ा आगे-पीछे हो सकता है. सभी दल तेजस्वी यादव को अपनी-अपनी सीटों की लिस्ट सौंपेंगे. इस बीच अल्लावारू के बयान ने महागठबंधन के दो प्रमुख दलों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा कर दिया है.

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