बिहार चुनाव में ‘जननायक’ की जंग! भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की उपाधि को लेकर कांग्रेस-आरजेडी और बीजेपी आमने-सामने
बिहार चुनाव से पहले 'जननायक' की उपाधि को लेकर सियासी जंग छिड़ गई है. कांग्रेस ने राहुल गांधी, आरजेडी ने तेजस्वी यादव और सपा ने अखिलेश यादव को 'जननायक' बताया. वहीं बीजेपी और जेडीयू का कहना है कि असली 'जननायक' केवल भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर हैं. उनकी विरासत पर यह राजनीति बिहार की सियासत में नई बहस छेड़ रही है.
बिहार चुनाव से पहले एक नया सियासी संग्राम छिड़ गया है. मुद्दा है 'जननायक' की उपाधि का, जो अब कांग्रेस, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है. कभी समाजवाद के प्रतीक और जनता के मसीहा कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर अब सियासी दलों के लिए वोट बैंक की कुंजी बन गए हैं.
कांग्रेस ने राहुल गांधी को “जननायक” बताकर इस विवाद की शुरुआत की, तो आरजेडी ने तेजस्वी यादव को और सपा ने अखिलेश यादव को इस सम्मान का हकदार बताया. वहीं बीजेपी और जेडीयू ने इस पर तीखा पलटवार किया, यह कहते हुए कि “जननायक” केवल कर्पूरी ठाकुर हैं, जिन्हें जनता ने वह दर्जा दिया, किसी पार्टी ने नहीं.
कांग्रेस की पहल से शुरू हुआ विवाद
कांग्रेस ने राहुल गांधी को बिहार का “जननायक” बताने का ऐलान किया, जिसे विपक्षी दलों ने तुरंत चुनौती दी. कांग्रेस का तर्क है कि राहुल गांधी जनता की आवाज़ बन चुके हैं, लेकिन विपक्ष ने इसे 'राजनीतिक नौटंकी' बताया.
आरजेडी और सपा ने भी ठोकी दावेदारी
आरजेडी की ओर से कहा गया कि तेजस्वी यादव ही असली “जननायक” हैं, क्योंकि वे बेरोजगारी और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर युवाओं की उम्मीद हैं. वहीं समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि अगर कोई पार्टी अपने नेता को “जननायक” कह सकती है, तो सपा भी अखिलेश यादव को यह दर्जा दे सकती है. वहीं, तेज प्रताप यादव ने भी इस मामले पर कहा कि में अपने छोटे भाई को जननायक नहीं मानता.
जननायक सिर्फ कर्पूरी ठाकुर: बीजेपी
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्पष्ट कहा, “बिहार में एक ही जननायक हैं- भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर. उनकी नकल करने की कोशिश कोई करे, जनता उसे स्वीकार नहीं करेगी.” बीजेपी ने कांग्रेस पर “टाइटल चोरी” का आरोप लगाया और इसे “वोट चोरी” जैसी हरकत बताया.
नीतीश कुमार का व्यंग्यात्मक तंज
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सोशल मीडिया पर लिखा, “आजकल कुछ लोग खुद को जननायक बताने में लगे हैं. जनता के दिलों से मिले सम्मान को खुद घोषित करना शर्मनाक है.” खुद को कर्पूरी ठाकुर के शिष्य माने जाने वाले नीतीश ने कहा कि ठाकुर की विरासत को राजनीति में हथियार बनाना गलत है.
जनता की नजर में कौन असली जननायक?
जनता के बीच भी इस बहस ने नया मोड़ ले लिया है. कई लोग इसे चुनावी चाल बताते हैं, तो कुछ का कहना है कि ठाकुर की विरासत पर राजनीति करना उनकी सादगी और समाजवादी सोच का अपमान है. कर्पूरी ठाकुर के गांव में लोग कहते हैं, “जननायक का मतलब है जो जनता के लिए जिए, न कि चुनाव के लिए.”
कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर सियासी दांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ठाकुर के गांव जाकर श्रद्धांजलि दी और उनके आदर्शों की बात की. कांग्रेस ने जवाब दिया कि 70 के दशक में जनसंघ (बीजेपी की पूर्व पार्टी) ने ही ठाकुर को निशाना बनाया था. दोनों दल एक-दूसरे पर “कर्पूरी ठाकुर की राजनीति करने” का आरोप लगा रहे हैं.
सादगी और समाजवाद का प्रतीक
24 जनवरी 1924 को जन्मे कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने शराबबंदी लागू की और पिछड़ों को आरक्षण देकर नई सामाजिक दिशा दी. आज, जब चुनावी मैदान में हर पार्टी “जननायक” का नाम लेने लगी है, तो सवाल उठता है. क्या यह उनके आदर्शों का सम्मान है या सिर्फ सियासी हथियार?





