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बिहार चुनाव में राहुल गांधी की चुप्पी क्यों? अब तक प्रचार से दूर कांग्रेस नेता, जानें साइलेंट स्ट्रेटजी

बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में जहां पीएम मोदी, अमित शाह, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और लालू यादव अपने-अपने प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी अब तक प्रचार से दूर हैं. आखिर क्या है इसके पीछे की रणनीति? जानिए वजह और कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति.

बिहार चुनाव में राहुल गांधी की चुप्पी क्यों? अब तक प्रचार से दूर कांग्रेस नेता, जानें साइलेंट स्ट्रेटजी
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( Image Source:  ANI )

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रथम चरण का प्रचार चरम पर है. सभी दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तेजस्वी यादव तक जनता के बीच धुआंधार प्रचार कर रहे हैं. मगर इस चुनावी शोर में एक नाम चर्चा (conspicuously missing) में नहीं है. वो नाम है राहुल गांधी . कांग्रेस के स्टार प्रचारक और पार्टी के चेहरा माने जाने वाले राहुल गांधी अब तक बिहार के चुनावी रण में नहीं उतरे हैं. सवाल उठ रहा है कि आखिर राहुल गांधी प्रचार से दूरी क्यों बनाए हुए हैं?

क्या बिहार चुनाव प्रभारी और प्रदेश के अन्य नेताओं ने उन्हें धोखा दिया. अगर नहीं तो वह चुनाव प्रचार में क्या नहीं उतर हैं. जबकि पहले चरण का चुनाव प्रचार के लिए अब आठ दिन ही शेष रह गए हैं.

पैसा लेकर दिया टिकट - रहमानी

साल 2020 में दरभंगा के जाले सीट से मार्जिनल वोट से हारे डॉ. मश्कूर उस्मानी ने कहा, 'बिहार प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से टिकट आवंटन में घालमेल किया है. कुछ सीटें बेच दी गई हैं. कुछ तो आरएसएस बैकग्राउंड के लोगों को पैसा लेकर टिकट दे दिया.'

प्रचार से दूर हो गए राहुल गांधी

डॉ. मश्कूर उस्मानी ने आगे कहा कि हाल ही में इसको लेकर बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु पर इसका आरोप भी लगा था. कांग्रेस आलाकमान ने इस मामले की रिपोर्ट भी देने को पार्टी के नेताओं से कहा है. जब इसको लेकर विवाद बढ़ा और मामला आलाकमान यानी सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे तक पहुंच गया. उसके बाद राहुल गांधी सहित सभी शीर्ष नेता पार्टी से नाराज चल रहे हैं. यही वजह है कि राहुल गांधी चुनाव प्रचार के लिए बिहार नहीं आ रहे हैं.

कांग्रेस की साइलेंट स्ट्रेटजी

दूसरी तरफ ये भी कहा रहा है कि कांग्रेस इस बार बिहार में सीमित सीटों पर चुनाव लड़ रही है और पार्टी ने रणनीति के तहत अपने प्रचार को ‘लोकल फोकस’ रखा है. राहुल गांधी की बजाय प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी और मनीष ठाकुर जैसे क्षेत्रीय नेता प्रचार संभाल रहे हैं. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी की एंट्री अंतिम चरणों में करने की योजना है ताकि 'मोमेंटम' को बनाए रखा जा सके.

बिहार में कांग्रेस की सीमित भूमिका

साल 2025 के इस चुनाव में कांग्रेस केवल 48 सीटों पर मैदान में है. इस वजह से पार्टी का मुख्य फोकस गठबंधन (महागठबंधन) के साथ सामंजस्य पर है. राहुल गांधी की रैलियां तभी कराई जाएंगी जब RJD और अन्य सहयोगी दलों के साथ तालमेल तय हो जाएगा.

तेजस्वी यादव का सेंट्रल रोल

महागठबंधन में इस बार तेजस्वी यादव ही मुख्य चेहरा हैं. कांग्रेस यह नहीं चाहती कि राहुल गांधी की ज्यादा रैलियां होने से फेस-फोकस बदल जाए या 'लीडरशिप क्लैश' का संकेत मिले. इसी कारण पार्टी ने फिलहाल राहुल को 'बैकफुट स्ट्रेटजी' पर रखा है।

इमेज मैनेजमेंट पर फोकस

लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने पूरे देश में 150 से अधिक सभाएं की थीं. कांग्रेस चाहती है कि बिहार में उनका रोल 'माइक्रो-मोमेंट' पर आए. यानी जब प्रचार अपने अंतिम दौर में राहुल गांधी मैदान में उतरें. ताकि उनकी मौजूदगी का असर वोटिंग पर सीधा पड़े.

कांग्रेस की डिजिटल अप्रोच

इस बार पार्टी ने सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के बयानों, भारत जोड़ो यात्रा और जनसंवाद के वीडियो के जरिए अप्रत्यक्ष प्रचार का मॉडल अपनाया है. डिजिटल कैंपेन टीम लगातार बिहार से जुड़ी सामग्री पोस्ट कर रही है. जबकि ग्राउंड रैलियां फिलहाल टाली गई हैं.

संभावित एंट्री की तारीखें

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी नवंबर के पहले सप्ताह में भागलपुर, पटना और गया में सभाएं कर सकते हैं. यह चुनाव के तीसरे चरण से ठीक पहले होगा. तब तक पार्टी उनके प्रचार को ‘फाइनल राउंड ब्लिट्ज’ के रूप में पेश करना चाहती है.

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