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घोषणा के नाम पर धोखा! तेजप्रताप का गदर निकला फुस्स पटाखा, अब इज्जत पर आई बात

आरजेडी के विधायक और पूर्व मंत्री रहे तेज प्रताप यादव शुक्रवार को गदर मचाने का वादा मीडिया और लोगों से किया था, लेकिन कोई घोषणा नहीं हुई. यहां तक कि मीडियाकर्मी घंटो तक प्रेस कॉन्फ्रेंस का इंतजार किया. अंत में सभी को निराशा हाथ लगी, जबकि मीडियाकर्मी आरजेडी और लालू परिवार के खिलाफ बगावत की लगाए बैठे थे. अब तेजप्रताप की चुप्पी पर सवाल उठने लगे हैं. देखें पूरी कहानी, ड्रामा और सियासी मजबूरी का पूरा सच.

घोषणा के नाम पर धोखा! तेजप्रताप का गदर निकला फुस्स पटाखा, अब इज्जत पर आई बात
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( Image Source:  Tej Pratap Yadav/@TejYadav14 )

राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख और बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव ने शुक्रवार को नई पार्टी की घोषणा करने का वादा किया था, लेकिन उनका यह वादा फुस्स साबित हुआ. तेज प्रताप यादव ने न तो परिवार के खिलाफ बगावत की, न ही पार्टी के खिलाफ. न ही तेजस्वी यादव के खिलाफ कोई मोर्चा खोला. नई पार्टी बनाने का दावा, बगावत की हुंकार और RJD से दूरी की बातें-सब कुछ महज एक सियासी ड्रामा बनकर रह गया.अब इसके पीछे का सच निकल कर आया है कि तेज प्रताप से न तो उनके भाई तेजस्वी न ही पापा लालू यादव बात कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक तेज प्रताप चाहते हैं कि उन्हें आरजेडी से महुआ या हसनपुर से चुनाव लड़ने का आश्वासन मिल जाए.

गदर का एलान, नतीजा सन्नाटा

तेज प्रताप यादव ने बिहार की राजनीति में हलचल मचाने का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि वो कोई बड़ी घोषणा करने वाले हैं, जिसकी गूंज पटना से दिल्ली तक सुनाई देगी?. लेकिन न तो बगावत दिखी, न नया राजनीतिक मंच. तेज प्रताप सिर्फ इधर-उधर की बातें करते रहे वो भी सिर्फ पोस्टर में.

पार्टी में दरकिनार होने की पीड़ा?

तेजप्रताप लंबे समय से आरजेडी में खुद को अनदेखा महसूस कर रहे हैं. कभी लालू यादव से दूरी, कभी तेजस्वी के साथ तनाव। ऐसे में ये गदर की धमकी कई लोगों को उनका विद्रोह लगी, लेकिन शायद कोई समझौता हुआ, या कोई अंदरूनी डील. क्योंकि न वो गरजे, न बरसे... और अब चर्चा सिर्फ़ इस बात की है कि वो चुप क्यों हैं?

इज्जत बचाने की जुगत में तेज प्रताप?

गदर का इतना प्रचार करने के बाद जब कोई धमाका नहीं हुआ, तो तेजप्रताप की राजनीतिक साख पर सवाल उठना लाजमी है. सोशल मीडिया पर उनका मजाक उड़ाया जा रहा है और विरोधी इसे ‘नौटंकी’ बता रहे हैं. अब तेजप्रताप के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो अपनी साख कैसे बचाएं? वो आगे क्या करेंगे? फिर से चौंकाएंगे? या सिर्फ चुप्पी ही जवाब होगी?

'तेज' को लेना होगा बोल्ड स्टेप - अनवर हुसैन

तेज प्रताप यादव के इस रुख पर बिहार आरजेडी के पूर्व प्रवक्ता अनवर हुसैन का कहा, 'पार्टी पर तेजस्वी यादव का एकाधिकार है. वह जो चाहते हैं, पार्टी में वही होता है. वो सभी काम संजय यादव के इशारे पर करते हैं. यहां तक कि लालू यादव की भी पार्टी में नहीं चलती है. तेज प्रताप यादव के समर्थक लोग और कार्यकर्ता हैं, लेकिन उनकी संख्या इतनी नहीं कि वो नई पार्टी लॉन्च कर लें. उनके समर्थक नई पार्टी बनाने के पक्ष में हैं, लेकिन लालू यादव के बड़े लाल अभी इस बात की घोषणा करेंगे तो मजबूत होने के बजाय कमजोर पड़ जाएंगे.'

अनवर हुसैन ने कहा कि संभवत: यही सोचकर उन्होंने नई पार्टी के एलान का कार्यक्रम आगे के लिए टाल दिया हो. लालू यादव के परिवार में भी कुछ लोग समय-समय पर तेज प्रताप के पक्ष में दिखाई देते हैं. यह विवाद इसलिए चल रहा है कि आरजेडी पर लोग अपना-अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते हैं.

फिलहाल, तेज प्रताप यादव के पास दो विकल्प है. एक ये कि आपस में बात कर वो हसनपुर या महुआ से चुनाव लड़ें और जीतकर शांत बने रहें. दूसरा विकल्प यह है कि उत्तराधिकार के रेस में बने रहना चाहते हैं तो सीधे राघोपुर से तेजस्वी के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दें. इससे पार्टी के अंदर उनके समर्थकों को ताकत मिलेगी और उनका कद बड़ा होगा. साथ ही तेजस्वी यादव पर इसका सियासी असर भी होगा.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025बिहार
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