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असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल की 24 सीटों पर करेंगे खेला! अब एकतरफा प्यार नहीं, देंगे करारा जवाब

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने महागठबंधन से पूरी तरह से दूरी बनाने का फैसला लिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि अब एकतरफा मोहब्बत नहीं चलेगी. उनकी पार्टी किसी भी हाल में महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी. कांग्रेस और आरजेडी पर तीखा हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि AIMIM को बीजेपी की बी टीम बताना महज झूठा प्रचार था.जानिए क्या है ओवैसी की पूरी रणनीति?

असदुद्दीन ओवैसी सीमांचल की 24 सीटों पर करेंगे खेला! अब एकतरफा प्यार नहीं, देंगे करारा जवाब
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एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी का कहना है कि वे नहीं चाहते कि बिहार चुनाव के बाद फिर एनडीए सरकार बने. लेकिन महागठबंधन में शामिल होने की उनकी तमाम कोशिशों को आरजेडी और कांग्रेस ने नजरअंदाज किया. एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने आरोप लगाया कि इंडिया गठबंधन वाले खुद नहीं चाहते कि वंचित तबकों का नेतृत्व अपने दम पर उभरे. अल्पसंख्यक समाज को ज्यादा नेतृत्व मिले. उन्होंने बिहार की जनता से AIMIM को मौका देने की अपील करते हुए यह भी याद दिलाया कि 2020 में सीमांचल की 5 सीटों पर जीत हासिल की गई थी. हालांकि, बाद में AIMIM के चार विधायक RJD में शामिल हो गए थे.

थर्ड फ्रंट की तैयारी

महागठबंधन के रुख से नाराज बिहार AIMIM अध्यक्ष अख्तरुल ईमान साफ संकेत दिया है कि उनकी पार्टी तीसरा मोर्चे बनाने की तैयारी में जुटी है. यह मोर्चा बिहार के सीमांचल क्षेत्र पर फोकस करेगा. इस इलाके में 24 सीट है. हमारी पार्टी ने पहले RJD से गठबंधन की इच्छा जताई थी लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने के बाद अब AIMIM छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का मन बना रही है.

AIMIM अब मायावती की BSP और जन अधिकार पार्टी जैसे दलों के साथ सीमांचल में तालमेल तलाश रही है, जिससे एक तीसरा फ्रंट उभरे जो मुस्लिम, दलित और पिछड़े वोटरों को एक मंच पर ला सके. इस मोर्चे में एनडीए और महागठबंधन से बाहर के दल शामिल हो सकते हैं.

दरअसल, सीमांचल में पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले शामिल हैं. इन जिलों में विधानसभा की कुल 24 सीटें आती हैं. यह क्षेत्र मुस्लिम बहुल आबादी वाला है. सीमांचल की मुस्लिम बहुल सीटों पर AIMIM के सक्रिय होने से आरजेडी और कांग्रेस को साल 2020 विधानसभा चुनाव में बड़ा नुकसान हुआ था. आरजेडी सिर्फ एक सीट जीत पाई थी.

सीमांचल में खिसक सकती है महागठबंधन की जमीन

असदुद्दीन ओवैसी के इस कदम से बिहार की सियासी जमीन से महागठबंधन के पैरों तले खिसक सकती है. ओवैसी की पार्टी को अब इस इलाके में बेहद कम समय में संगठन को मजबूत करना होगा. साथ ही उम्मीदवार का चयन करना होगा. इसके बाद ही बिहार की राजनीति में फिर से AIMIM अपनी पहचान बना पाएगी.

अब सीधे हक की मांग

एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने बार-बार इस बात का भी खुलासा किया है कि विपक्षी गठबंधनों में मुस्लिम नेतृत्व को केवल वोट बैंक समझा जाता है. इस बार AIMIM का नारा साफ है,“हमें प्रतिनिधित्व चाहिए, सिर्फ भाषण नहीं. इसलिए अब सीधे सियासी हक की मांग करेंगे.”

2020 का प्रदर्शन बना आत्मविश्वास की वजह

बता दें कि साल 2020 विधानसभा चुनाव में सीमांचल में 5 सीटें जीतकर AIMIM ने सभी को चौंका दिया था. भले ही बाद में कुछ विधायक टूटकर RJD में शामिल हो गए, लेकिन ओवैसी इसे ‘राजनीतिक खरीद-फरोख्त’ करार दिया था. वो बार-बार कहते हैं, "हमें हराया नहीं गया, हमारे विधायक खरीदे गए."

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