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दुविधा में महागठबंधन! राहुल-तेजस्वी नहीं ले पा रहे फैसला, ‘सहनी बने गले की हड्डी’, 2020 की तरह फिर मचेगी भगदड़?

Seat Sharing Dilema Mahagathbandhan: बिहार में महागठबंधन की सीट शेयरिंग पर संकट गहराता जा रहा है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं. जबकि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की बढ़ती मांगों ने पूरा समीकरण उलझा दिया है. जानिए-क्यों दोहराई जा रही है महागठबंधन की पांच साल पुरानी भगदड़ की स्थिति.

दुविधा में महागठबंधन! राहुल-तेजस्वी नहीं ले पा रहे फैसला, ‘सहनी बने गले की हड्डी’, 2020 की तरह फिर मचेगी भगदड़?
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( Image Source:  Sora AI )

Seat Sharing Dilema In India Alliance: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 'महागठबंधन' एक बार फिर अनिर्णय की स्थिति में है. कांग्रेस और राजद के बीच तालमेल की कोशिश तो जारी है, लेकिन सबसे बड़ा पेच चुनाव में सीएम फेस और डिप्टी सीएम की घोषणा करने को लेकर फंसा है. कांग्रेस तेजस्वी यादव को सीएम फेस की घोषणा करने में हिचक रही है. उसकी यह हिचकिचाहट अभी भी जारी है. दूसरी तरफ उपमुख्यमंत्री पद के लिए की जा रही दावेदारों को लेकर राजद ने चुप्पी साध रखी है. जबकि कांग्रेस ने तीन डिप्टी सीएम बनाने का प्रस्ताव रख दिया है. मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने अपने लिए 25 सीटों की मांग के साथ डिप्टी सीएम बनाने की शर्त रख दी है, जिससे समीकरण और बिगड़ गया है.

फिलहाल, महागठबंधन में प्रेशर पॉलिटिक्स का दौर जारी है. आज इन्हीं मुद्दों पर निर्णय लिया जाना है. इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि सीएम-डिप्टी सीएम का एलान किए बगैर सीट बंटवारे का एलान आज हो सकता है.

सहमति की कोशिश बेनतीजा

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सीट बंटवारे पर कोई ठोस निर्णय नहीं निकल पाया है. हालांकि, कांग्रेस से 55 से 60 सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ने के संकेत दे दिए हैं. इस बीच मुकेश सहनी की वीआईपी के पेंच ने स्थिति और जटिल बना दी है. मुकेश सहनी का कहा है कि हम 25 से कम सीटों पर चुनाव तो एक साथ लड़ लेंगे, लेकिन महागठबंधन के नेता उन्हें सरकार बनाने की स्थिति में डिप्टी सीएम बनाने का वादा करें. दूसरी तरफ तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा घोषित करने से अभी भी कांग्रेस कतरा रही है.

सहनी का ‘पेंच’ बना सिरदर्द

विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी जो पिछड़े वर्गों और मछुआ समुदाय में मजबूत पकड़ रखते हैं, चाहते हैं कि उन्हें पिछली बार से ज्यादा सीटें दी जाएंगी. 2020 के चुनाव में सिर्फ 11 सीटें मिलने के बावजूद सहनी ने इस बार कम से कम 25 सीटों की मांग रख दी है. अगर यह मांग मानी जाती है, तो कांग्रेस और राजद दोनों की सीटें कम हो जाएंगी, जिससे भीतर खाने असंतोष बढ़ सकता है.

राहुल-तेजस्वी में मतभेद

सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी चाहते हैं कि सहनी को गठबंधन में बनाए रखा जाए. ताकि एनडीए के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके. वहीं, तेजस्वी यादव को लगता है कि सहनी की सीट मांग से पार्टी के कई दिग्गज नेताओं का टिकट कट सकता है, जिससे संगठन में असंतोष बढ़ेगा. आरजेडी की चिंता ये भी है कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करने से बच रही है. इस बात को लेकर आरजेडी नेताओं में असुरक्षा का भाव है. महागठबंधन सूत्रों के अनुसार कुर्था विधानसभा सीट पर कांग्रेस और राजद के बीच पेच फंसा है. राजद की इस सीट को कांग्रेस मांग रही है.

दोहराई जा रही पांच साल पुरानी कहानी

साल 2015 और 2020 दोनों चुनावों में महागठबंधन को सीट बंटवारे के मसले पर भारी नुकसान उठाना पड़ा था. 2025 के इस चुनाव में भी वही स्थिति दोहराई जा रही है. अगर समाधान जल्द नहीं निकला, तो कई छोटे दल अलग राह पकड़ सकते हैं, जिससे महागठबंधन की एकता पर फिर सवाल खड़े होंगे. खासकर वीआईपी पार्टी की ओर से ऐसा करने के चांसेस ज्यादा हैं. एलजेपी पारस ने भी महागठबंधन के नेताओं को साफ कर दिया है कि अगर उन्हें उचित नहीं मिली तो वह सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है.

एनडीए के लिए अवसर

महागठबंधन की इस दुविधा का फायदा एनडीए को मिल सकता है। बीजेपी और जेडीयू पहले से सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय कर चुकी हैं और अपने उम्मीदवारों की सूची भी लगभग अंतिम चरण में है. ऐसे में देरी महागठबंधन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के अलावा, विकासशील इंसान पार्टी, सीपीआईएमएल, सीपीआईएम, सीपीआई, एलजेपी पारस और जेएमएम शामिल हैं. इतने दलों के बीच सीट आवंटन को लेकर पेच फंसा है. अभी तक जो फॉर्मूला सामने आया है उसके अनुसार आरजेडी 125 से 30, कांग्रेस 55 से 60, वामपंथी पार्टी 30 से 32, वीआईपी 14 से 18, एजलेपी पारस दो और जेएमएम को तीन सीट मिलने की संभावना है.

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