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JDU का गढ़ है हरनौत विधानसभा सीट, यहां से हैट्रिक लगा चुके हैं हरि नारायण सिंह, नीतीश कुमार कब-कब जीते यहां से चुनाव?

बिहार की हरनौत विधानसभा सीट जेडीयू का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत यहीं से की थी. अब यहां से जेडीयू के हरि नारायण सिंह लगातार हैट्रिक जीत दर्ज कर चुके हैं. इस सीट पर कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में निभाते आए हैं. जानिए हरनौत सीट पर कब-कब जीते नीतीश कुमार और क्या है यहां का जातीय समीकरण.

JDU का गढ़ है हरनौत विधानसभा सीट, यहां से हैट्रिक लगा चुके हैं हरि नारायण सिंह, नीतीश कुमार कब-कब जीते यहां से चुनाव?
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बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. सभी पार्टी के नेताओं ने बैठकों का दौर शुरू कर दिया है. बिहार की वीआईपी सीटों की बात करें तो हरनौत विधानसभा क्षेत्र इनमें से एक है. बिहार के नालंदा जिले में स्थित हरनौत विधानसभा सीट सामान्य श्रेणी की सीट है, जो नालंदा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और सीएम नीतीश का क्षेत्र भी. हरनौत नालंदा जिले में आता है और बिहार के सीएम का यह गृह नगर भी है. उनके गांव का नाम बख्तियारपुर है.

CM हरनौत से कब-कब जीते और हारे चुनाव

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हरनौत विधानसभा सीट से चार बार चुनाव लड़ा. वे 1977 और 1980 में चुनाव हार गए थे. तीसरी बार 1985 में हरनौती से जीत हासिल की. फिर 1995 में भी हरनौत से चुनाव जीते. उसके बाद उन्होंने विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना छोड़ा दिया. 21 साल से वह वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़े हैं. 2004 में वह लोकसभा का चुनाव लड़े थे. नीतीश तीश कुमार दूसरी बार राज्य के सीएम बने, उस समय वह नालंदा से सांसद थे। बिहार में उनके चेहरे पर कई चुनाव लड़े गए और उनके गठबंधन ने चुनाव में जीत भी दर्ज की लेकिन खुद 21 साल से कोई भी चुनाव नहीं लड़े. वह साल 2004 में लोकसभा चुनाव लड़े थे और एक लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे.

हरनौत जेडीयू का गढ़

नीतीश के गृह नगर नालंदा में स्थित हरनौत विधानसभा ​सीट बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण रही है, जहां जेडीयू का पिछले कुछ चुनावों में यहां दबदबा रहा. जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों के आधार पर यह सीट हमेशा चर्चा में रहती है. इस सीट को जेडीयू का गढ़ माना जाता है. विधायक हरिनारायण सिंह इस सीट पर जीत का हैट्रिक लगा चुके हैं.

कुर्मी जाति के मतदाता निर्णायक वोटर

हरनौत विधानसभा सीट ग्रामीण और अर्ध-शहरी मतदाताओं का मिश्रित क्षेत्र है. इस सीट पर कुर्मी, यादव, और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, दलित और सामान्य वर्ग के मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है. इस सीट पर बेरोजगारी, शिक्षा, सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दे मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण हैं. हरनौत में कुर्मी मतदाता जदयू के लिए मजबूत आधार प्रदान करते हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं कुर्मी समुदाय से हैं. यादव मतदाता राजद का पारंपरिक वोट बैंक हैं. यह सीट दलित और महादलित मतदाता दोनों गठबंधनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. सामान्य वर्ग के मतदाता खासकर भूमिहार और ब्राह्मण, बीजेपी के पक्ष में वोट करते हैं.

हरि नारायण सिंह की पकड़ मजबूत

नालंदा जिले की हरनौत सीट पर पिछले तीन चुनावों में जेडीयू के हरि नारायण सिंह ने अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी है. 2020, 2015 और 2010 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर उन्होंने हैट्रिक लगाई है. 2020 के विधानसभा चुनाव में हरि नारायण सिंह को 65,404 वोट मिले थे. तब इन्होंने लोजपा कि उम्मीदवार ममता देवी को हराया था. साल 2025 में बदलते राजनीतिक समीकरण, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का इस क्षेत्र में उभार हुआ है. जातीय गणित इस सीट को और रोचक बना सकते हैं.

हरनौत का इतिहास

रनौत विधानसभा का चुनावी इतिहास और परिणाम से साफ है कि JDU ने इस सीट पर पिछले कुछ चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है, विशेषकर 2010 और 2020 में. कुर्मी जाति का राजनीतिक महत्व इस क्षेत्र में बहुत बड़ा माना जाता है. इसे “Kurmistan” कहा जाना इसी बात का संकेत है.

हरनौत कुर्मी बहुल सीट है. अन्य OBC, EBC और SC समुदायों की संख्या भी मायने रखती है. अक्सर उम्मीदवार चयन, गठजोड़ और स्थानीय समीकरण इन्हीं विविध समूहों के आधार पर चुनावी नतीजे तय होते हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025बिहारनीतीश कुमार
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