अगर मैं मैदान में उतरा तो... प्रशांत किशोर ने चुनाव नहीं लड़ने का किया एलान, जन सुराज के संगठनात्मक काम पर करेंगे फोकस
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने साफ किया कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे. राघोपुर सीट से चंचल सिंह को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने संगठनात्मक रणनीति पर जोर दिया है. किशोर का कहना है कि उनका मुख्य फोकस पार्टी के चुनाव प्रचार और रणनीति को मजबूत करना है. उन्होंने एनडीए की स्थिति पर भी चिंता जताई और विपक्षी गठबंधनों की अस्थिरता को चुनाव में निर्णायक बताया.

बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी नई पार्टी जन सुराज के साथ उतरने वाले प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया है कि वे खुद चुनाव नहीं लड़ेंगे. पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि वे चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे और पूरी ताकत संगठनात्मक काम पर लगाएंगे. यह निर्णय तब और स्पष्ट हुआ जब पार्टी ने राघोपुर विधानसभा सीट से चंचल सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित किया.
राघोपुर सीट आरजेडी के लिए हमेशा से मजबूत गढ़ रही है और वर्तमान में तेजस्वी यादव इसका प्रतिनिधित्व करते हैं. अगर किशोर खुद चुनाव लड़ते तो उन्हें यहां कड़ी टक्कर मिलती. इसी कारण जन सुराज ने रणनीति बदलते हुए किशोर को संगठन का चेहरा बनाकर पूरे चुनाव प्रचार को मजबूत करने का निर्णय लिया.
करगहर या राघोपुर से लड़ सकते थे चुनाव
पहली लिस्ट में जन सुराज ने करगहर से रितेश रंजन (पांडेय) को अपना उम्मीदवार घोषित किया. किशोर पहले संकेत दे चुके थे कि अगर वे चुनाव लड़ेंगे, तो या तो करगहर या राघोपुर से मैदान में उतरेंगे. इसके बाद पार्टी ने राघोपुर से चंचल सिंह को टिकट देने के बाद स्पष्ट कर दिया है कि किशोर केवल संगठनात्मक रणनीति पर ध्यान देंगे.
संगठन पर फोकस
किशोर ने कहा कि पार्टी का लक्ष्य 150 से कम सीटों पर जीत को हार माना जाएगा. वे चाहते हैं कि चुनाव प्रचार में जन सुराज की मौजूदगी हर जगह दिखाई दे, लेकिन खुद उम्मीदवार बनकर पार्टी की रणनीति को सीमित नहीं करना चाहते. उनका मानना है कि संगठनात्मक काम में उनका योगदान चुनाव जीत के लिए अहम होगा.
एनडीए के लिए खतरे की घंटी
किशोर ने एनडीए की स्थिति पर भी टिप्पणी की. उनका कहना है कि एनडीए बिहार में हार की तरफ बढ़ रही है और नीतीश कुमार की पार्टी JDU को 25 सीटों से ज्यादा जीतने में मुश्किल होगी. उनका विश्लेषण है कि सत्ता समीकरण तेजी से बदल रहे हैं और चुनावी माहौल विपक्ष के पक्ष में जा रहा है.
JDU और चिराग पासवान की तुलना
किशोर ने पिछले विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि उसी तरह चिराग पासवान ने चुनाव के पहले दिन विरोधी उम्मीदवार खड़े करके JDU के वोट शेयर को भारी नुकसान पहुंचाया था. इसी तरह की परिस्थितियां इस बार भी एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती हैं.
RJD-कांग्रेस और अन्य गठबंधन
किशोर ने विपक्षी गठबंधनों की स्थिति पर भी टिप्पणी की. उनका कहना है कि RJD और कांग्रेस के बीच लगातार झगड़े चल रहे हैं. वहीं, पूर्व राज्य मंत्री मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी भी तय नहीं है कि किस तरफ रहेगी. ये सभी अस्थिरताएं चुनाव के नतीजों को प्रभावित कर सकती हैं.
चुनाव की तारीखें और नतीजे
बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा. चुनाव परिणाम 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. किशोर की रणनीति और पार्टी की संगठनात्मक मजबूती इस चुनाव में जन सुराज की बढ़त तय कर सकती है, भले ही उनका खुद चुनाव में हिस्सा न हो.