Begin typing your search...

क्या दूसरा राहुल गांधी नहीं बनना चाहते हैं प्रशांत किशोर, राघोपुर से क्यों खींच लिए पैर? तेजस्वी का रास्ता साफ़

बिहार चुनाव 2025 में बड़ा मोड़! जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने राघोपुर सीट से चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. तेजस्वी यादव के गढ़ राघोपुर से अब जन सुराज ने चंचल सिंह को उम्मीदवार बनाया है. जानिए क्यों बदली पीके ने रणनीति और क्या असर पड़ेगा इस फैसले का बिहार की सियासत पर.

क्या दूसरा राहुल गांधी नहीं बनना चाहते हैं प्रशांत किशोर, राघोपुर से क्यों खींच लिए पैर? तेजस्वी का रास्ता साफ़
X
( Image Source:  ANI )
नवनीत कुमार
Edited By: नवनीत कुमार

Updated on: 15 Oct 2025 7:48 AM IST

बिहार की सियासत में एक बड़ा मोड़ तब आया जब जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने अचानक ऐलान किया कि वे तेजस्वी यादव के गढ़ राघोपुर से चुनाव नहीं लड़ेंगे. लंबे समय से यह कयास लगाया जा रहा था कि पीके खुद मैदान में उतरकर यादव परिवार को सीधी चुनौती देंगे. मगर सोमवार को जन सुराज पार्टी ने राघोपुर सीट से चंचल सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया. पार्टी अध्यक्ष उदय सिंह ने खुद उन्हें टिकट सौंपा और कहा कि जन सुराज की लड़ाई व्यक्ति नहीं, विचार की लड़ाई है.

कुछ ही दिन पहले पीके ने राघोपुर में रोड शो करते हुए कहा था, “अगर मैं यहां से चुनाव लड़ा तो तेजस्वी को अमेठी जैसी हार मिलेगी.” इस बयान के बाद पूरे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई थी. माना जा रहा था कि प्रशांत किशोर खुद मैदान में उतरेंगे, जिससे आरजेडी को सीधी टक्कर मिलती. लेकिन अब उनके पीछे हटने से साफ है कि पीके ने “किंग मेकर” की बजाय “टीम बिल्डर” बनने की राह चुनी है. सूत्रों के मुताबिक, वे अब पूरे बिहार में अपनी पार्टी के नेटवर्क को मजबूत करने और रणनीतिक लड़ाई पर फोकस करना चाहते हैं.

उम्मीदवारों की दो लिस्ट में भी पीके का नाम नदारद

जन सुराज पार्टी अब तक दो सूचियां जारी कर चुकी है. पहली में 51 उम्मीदवारों और दूसरी में 65 उम्मीदवारों के नाम थे. दोनों ही सूचियों में प्रशांत किशोर का नाम नहीं था. यह तय करता है कि वे इस चुनाव में सीधे नहीं बल्कि बैकएंड स्ट्रैटेजिस्ट की भूमिका निभा रहे हैं. पीके का मानना है कि पार्टी को मजबूत करने के लिए एक चेहरा नहीं बल्कि स्थानीय नेतृत्व की टीम खड़ी करनी होगी.

तेजस्वी यादव के लिए तीसरी जीत की चुनौती

वहीं दूसरी ओर तेजस्वी यादव बुधवार को राघोपुर से अपना नामांकन दाखिल करेंगे. यह सीट उनके परिवार के लिए राजनीतिक विरासत की तरह रही है. लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और अब तेजस्वी तीनों ने इस सीट से जीत दर्ज की है. तेजस्वी लगातार दो बार (2015 और 2020) यहां से जीत चुके हैं. इस बार उनका लक्ष्य “हैट्रिक” जीत का है.

राघोपुर: यादव परिवार की परंपरागत सीट

वैशाली जिले की राघोपुर विधानसभा सीट को आरजेडी का अजेय किला कहा जाता है. यहां बीजेपी अब तक कोई जीत दर्ज नहीं कर सकी. हालांकि, 2010 में जेडीयू के सतीश कुमार ने राबड़ी देवी को हराकर चौंका दिया था. 2020 में तेजस्वी यादव ने सतीश कुमार को 38,174 वोटों से हराया था. यह सीट यादव-मुस्लिम समीकरण की वजह से हमेशा से आरजेडी के लिए सुरक्षित मानी जाती है.

चुनावी जंग में नया मोर्चा

प्रशांत किशोर के पीछे हटने के बावजूद जन सुराज ने यह साफ किया है कि वे तेजस्वी के खिलाफ वैचारिक लड़ाई लड़ेंगे. चंचल सिंह को एक “स्थानीय चेहरा” मानते हुए पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि जन सुराज सिर्फ पीके की महत्वाकांक्षा नहीं, बल्कि नई राजनीति का प्रयोग है. अब देखना होगा कि राघोपुर में क्या यादव परिवार की परंपरा कायम रहती है या “जन सुराज” का नया चेहरा वहां कोई सेंध लगा पाता है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
अगला लेख