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बंगाल चुनाव से पहले BJP का मास्टरस्ट्रोक? वंदे मातरम् के 150 साल पर संसद में आज होगी बड़ी बहस, PM मोदी खुद करेंगे शुरूआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को लोकसभा में ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा की शुरुआत करेंगे. यह बहस BJP और कांग्रेस के बीच वैचारिक टकराव का नया मैदान बनने जा रही है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस की प्रियंका गांधी और गौरव गोगोई समेत कई बड़े नेता इस बहस में हिस्सा लेंगे. BJP का आरोप है कि कांग्रेस ने 1937 में वंदे मातरम् के पूरे गीत को हटाकर केवल दो अंतरे अपनाए, जिससे विभाजन की मानसिकता मजबूत हुई. वहीं कांग्रेस रवींद्रनाथ टैगोर के सुझावों का हवाला देकर नेहरू के फैसले का बचाव कर रही है.

बंगाल चुनाव से पहले BJP का मास्टरस्ट्रोक? वंदे मातरम् के 150 साल पर संसद में आज होगी बड़ी बहस, PM मोदी खुद करेंगे शुरूआत
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( Image Source:  ANI )

Vande Mataram 150th Anniversary, Parliament winter session 2025: देश के राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर संसद में सोमवार से जोरदार वैचारिक बहस होने जा रही है. यह बहस केवल ऐतिहासिक स्मरण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक और वैचारिक टकराव का बड़ा मंच बनने जा रही है. लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं करेंगे, जिससे साफ संकेत मिलता है कि सरकार इस मुद्दे को बेहद गंभीर राजनीतिक और वैचारिक एजेंडे के तौर पर रख रही है.

इस मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा में 10-10 घंटे की लंबी बहस तय की गई है. लोकसभा में जहां पीएम मोदी चर्चा की शुरुआत करेंगे, वहीं राज्यसभा में मंगलवार को गृहमंत्री अमित शाह सरकार की ओर से मुख्य वक्ता होंगे. बीजेपी की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी इस बहस में हिस्सा लेंगे, जबकि कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी वाड्रा और गौरव गोगोई पार्टी का पक्ष रखेंगे..

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वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आत्मा है

बीजेपी का मानना है कि वंदे मातरम् सिर्फ एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आत्मा है, जो पार्टी की विचारधारा के केंद्र में रहा है. बीजेपी सूत्रों का दावा है कि इस बहस में वंदे मातरम् से जुड़े कई 'अनसुने और ऐतिहासिक तथ्य' सामने लाए जाएंगे, जिससे कांग्रेस को घेरने की रणनीति पर काम किया जा रहा है.

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप

दरअसल, इस बहस की पृष्ठभूमि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान से तैयार हुई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने 1937 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित वंदे मातरम् के चार में से केवल दो अंतरे ही स्वीकार किए और इसी फैसले ने बाद में विभाजन के बीज बो दिए. पीएम मोदी ने इसे कांग्रेस की 'फूट डालने वाली मानसिकता' करार दिया था.

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नेहरू की असली सोच को देश के सामने रखा जाएगा: संबित पात्रा

बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी रविवार को दावा किया कि इस बहस के दौरान 'नेहरू की असली सोच' देश के सामने रखी जाएगी. बीजेपी का आरोप है कि जवाहरलाल नेहरू को वंदे मातरम् का पूरा संस्करण मुस्लिम समुदाय को 'चिढ़ाने वाला' लगता था और उन्हें इसके भाषा-शैली को लेकर भी आपत्ति थी.

कांग्रेस अपने बचाव में क्या कहेगी?

वहीं, कांग्रेस अपने बचाव में रवींद्रनाथ टैगोर का हवाला दे रही है. पार्टी का कहना है कि वंदे मातरम् के सिर्फ पहले दो अंतरे अपनाने का सुझाव खुद टैगोर ने दिया था, क्योंकि आगे के अंतरों की भाषा कठिन थी और कुछ हिस्सों पर मुस्लिम समुदाय की आपत्ति भी थी. कांग्रेस का तर्क है कि यह फैसला समावेशी सोच के तहत लिया गया था, न कि विभाजनकारी मानसिकता से.

कई विपक्षी दल भी बहस में लेंगे हिस्सा

यह बहस अब सिर्फ बीजेपी बनाम कांग्रेस तक सीमित नहीं रही है. तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल भी इसमें कूदने की तैयारी में हैं. विपक्ष का फोकस RSS की आजादी की लड़ाई में भूमिका, और उस दौर के कुछ हिंदुत्व नेताओं की राष्ट्रवादी प्रतीकों को लेकर राय पर सरकार को घेरने का होगा.

पश्चिम बंगाल पर भी बीजेपी का फोकस

बीजेपी के लिए इस बहस का एक राजनीतिक आयाम पश्चिम बंगाल से भी जुड़ा हुआ है. चूंकि वंदे मातरम् के रचयिता बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय बंगाल से थे और इस गीत को नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी समर्थन मिला था, ऐसे में बीजेपी इसे बंगाली अस्मिता और TMC की राजनीति से जोड़कर भुनाने की रणनीति पर काम कर रही है-खासतौर पर अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए...

इतिहास में मुस्लिम लीग और कुछ इस्लामी संगठनों ने वंदे मातरम् के उन अंशों का विरोध किया था, जिनमें देवी-देवताओं का प्रतीकात्मक उल्लेख है. यही वजह थी कि कांग्रेस ने इसके पहले दो अंतरों को ही आधिकारिक रूप से अपनाया था, जो आज बीजेपी के हमले का मुख्य आधार बन चुका है.

‘चुनावी सुधार’ पर भी होगी चर्चा

वंदे मातरम् पर इस लंबी बहस के बाद संसद में ही दोनों सदनों में ‘चुनावी सुधार’ (Election Reforms) पर भी चर्चा होगी. यह मुद्दा भी सरकार और विपक्ष के बीच SIR यानी मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर एक नए सियासी टकराव का रूप ले सकता है.

कुल मिलाकर, संसद का यह सत्र देश के सबसे भावनात्मक और वैचारिक प्रतीकों में से एक, वंदे मातरम्, को लेकर बड़ी सियासी जंग का गवाह बनने जा रहा है, जहां इतिहास, राष्ट्रवाद, धर्म, राजनीति और चुनाव—सभी एक साथ टकराते नजर आएंगे.

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