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Bihar Chunav: 'जो चाहा वो करवाया', मुकेश सहनी महागठबंधन के कैसे बने डिप्टी CM फेस, कितनी सीटों पर होगा असर?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस बनाकर बड़ा दांव खेल दिया है. कांग्रेस ने साफ संदेश दिया है कि वो बिहार चुनाव को किसी भी हाल में रेत की तरह हाथ से फिसलने नहीं देना चाहती. संभवत: यही वजह है कि कांग्रेस ने यह जानते हुए भी कि तेजस्वी के साथ मुकेश सहनी को भी डिप्टी सीएम फेस स्वीकार करने पर एनडीए के नेता सियासी हथियार डालने का आरोप लगाएंगे, फिर भी वह पीछे नहीं हटी.

Bihar Chunav: जो चाहा वो करवाया, मुकेश सहनी महागठबंधन के कैसे बने डिप्टी CM फेस, कितनी सीटों पर होगा असर?
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( Image Source:  ANI )

बीते दो चुनावों में घटते जनाधार और सीटों के नुकसान को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अपनी सियासी रणनीति में चौंकाने वाला बदलाव किया है. देश की सबसे पुरानी पार्टी के इस रुख का असर 23 अक्टूबर को उस समय देखने को मिला, जब बिहार चुनाव में सीट बंटवारे में बाजी हाथ से निकलने के बावजूद मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा बनना स्वीकार कर लिया. कांग्रेस के लिए ऐसा करना आसान नहीं था, लेकिन ऐसा निर्णय इसलिए लिया कि वो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में हर हाल में बीजेपी या एनडीए की सरकार बनते नहीं देखना चाहती.

दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किसी भी कीमत पर अपने हाथों से सत्ता की संभावनाएं फिसलने नहीं देना चाहती. यही वजह है कि महागठबंधन ने बड़ा दांव खेला है. वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित कर न सिर्फ निषाद समाज को साधने की कोशिश की है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि अब महागठबंधन ‘समाज के हर वर्ग की साझेदारी’ वाला गठजोड़ है. आइए जानते हैं कैसे हुआ ये सब संभव.

1. सहनी ने जो कहा वही हुआ

जहां तक मुकेश सहनी के लिए भी अपने नाम पर सहमति बनवाना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया - ‘जो चाहा, वो करवाया.' उन्होंने पहले ही साफ कर दिया था कि सीट कम मिले, इसे तो वह स्वीकार लेंगे, लेकिन डिप्टी सीएम फेस खुद को न बनाना स्वीकार नहीं कर सकते. उनकी पार्टी बिना सम्मानजनक हिस्सेदारी के आगे नहीं बढ़ेगी. अपने इस स्टैंड पर सहनी शुरू लेकर अब तक कायम रहे. शुरू में तो आरजेडी दो डिप्टी सीएम फॉर्मूले पर सहमत नहीं थी, लेकिन सहनी ने सीट बंटवारे और सामाजिक संतुलन का तर्क देकर महागठबंधन के नेताओं को राजी कर लिया.

2. महागठबंधन में बढ़ा सहनी का कद

बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला उत्तर बिहार में निषाद, मल्लाह और केवट समाज को एकजुट करने के लिए आरजेडी और कांग्रेस ने लिया है. इन वर्गों का प्रभाव बिहार की 243 में से करीब 55 सीटों पर माना जाता है. 2020 में वीआईपी ने एनडीए के साथ रहते हुए 4 सीटें जीती थीं. जबकि अब महागठबंधन में सहनी की भूमिका और बड़ी हो गई है. लेफ्ट दलों ने भी इस पर हामी भर दी, क्योंकि सभी जानते हैं कि बिना पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग के वोट के सत्ता की राह मुश्किल है. सहनी ने न सिर्फ डिप्टी सीएम पद पर सहमति बनवाई बल्कि अपने लिए 15–सीटों का चुनावी कोटा भी सुरक्षित कर लिया.

3. गठबंधन में नंबर दो पर वीआईपी

अब महागठबंधन ने मुकेश सहनी को तेजस्वी यादव के बाद नंबर-2 की पोजिशन लेकर विपक्ष का नया चेहरा बना दिया है. दरअसल, बिहार में करीब 6-8 प्रतिशत मल्लाह और निषाद समुदाय हैं. सहनी की पकड़ इस वोट बैंक पर काफी मजबूत मानी जाती है. 2020 में महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हुए थे. फिर एनडीए से अलग होकर विपक्ष में शामिल होकर उन्होंने भाजपा को बड़ा झटका दिया है.सहनी खुद को हाशिए पर रहे समाज की आवाज के तौर पर पेश करते हैं, जिससे वह पिछड़े और दलित वर्ग में लोकप्रिय हो रहे हैं.

4. तेजस्वी-सहनी कॉम्बिनेशन का असर

बिहार में यादव-मल्लाह समीकरण एनडीए के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगा सकता है, खासकर उत्तर बिहार में. इसका सीधा असर यह हुआ कि अब एनडीए ईबीसी वोट बैंक को साधने में जुट गया है, क्योंकि सहनी का प्रभाव कई सीटों पर निर्णायक हो सकता है. सहनी ने इस बार बयानबाजी से बचते हुए रणनीतिक और संयमित छवि अपनाई है, जिससे उनकी साख और बढ़ी है. अगर बिहार का चुनाव त्रिकोणीय हुआ, तो सहनी महागठबंधन में सबसे निर्णायक फैक्टर बन सकते हैं. सत्ता की कुंजी उन्हीं के पास होगी.

2. चुनावी इतिहास में नया ट्रेंड: पहली बार डिप्टी सीएम फेस

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में विपक्ष ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. महागठबंधन ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम फेस घोषित कर न केवल बिहार में बल्कि देश में पहली बार डिप्टी सीएम फेस भी सामने लाकर रख दिया. अभी तक राज्य की चुनावी राजनीति में सीएम फेस घोषित होते रहे हैं. इस तरह से विपक्ष में मतदाताओं के सामने दो प्रमुख पदों के लिए चेहरे तय कर दिए हैं. विपक्ष ने दोहरे नेतृत्व का मॉडल पेश कर राजनीति में नई परंपरा शुरू की है.

3. कितनी सीटों और किन-किन इलाकों में पड़ेगा फर्क?

  • बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में से मुकेश सहनी का प्रभाव लगभग 55–65 सीटों तक माना जाता है. इनमें वे सीटें शामिल हैं जहां निषाद (मल्लाह, केवट, मांझी, बिंद, बथानी, तुरहा) समाज की आबादी 8–20% तक है। जानें बिहार के मुख्य इलाके जहां असर पड़ेगा.
  • उत्तर बिहार (सबसे अधिक प्रभाव – लगभग 35 सीटें). मिथिलांचल और सीमांचल के जिलों में दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, अररिया, कटिहार, पूर्णिया में नदी किनारे बस्तियों में निषाद वोट निर्णायक हैं. मुख्य सीटों में हनुमान नगर, झंझारपुर, सहरसा, मधेपुरा, कटिहार ग्रामीण, बनमनखी, नरपतगंज आदि.
  • तिरहुत और कोसी क्षेत्र यानी मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, दरभंगा की 25 सीटों पर. यह क्षेत्र सहनी की पार्टी का मूल वोट बैंक वाला क्षेत्र है. इन क्षेत्रों की मुख्य सीटों में बोचहा, औराई, पारू, वैशाली, हाजीपुर ग्रामीण, समस्तीपुर, रोसड़ा, मुजफ्फरपुर शहरी आदि शामिल हैं.
  • पूर्वी बिहार के भागलपुर, मुंगेर, लखीसराय, बांका, खगड़िया इलाकों में सहनी की लगभग 10 से 12 सीटें पर असर है. इन इलाकों की प्रमुख सीटों में खगड़िया, सुल्तानगंज, अमरपुर, लखीसराय आदि हैं.
  • वीआईपी के सीधे प्रभाव वाले 25 से 30 सीटें ऐसी हैं, जिस पर आरजेडी को सीधा फायदा मिलेगा. जबकि वे 20–25 पर बीजेपी-जेडीयू का समीकरण बिगाड़ सकते हैं. 10 से 12 सीटों पर एनडीए का सामाजिक समीकरण डगमगा सकता है.
  • मुकेश सहनी का डिप्टी सीएम बनना सामाजिक तौर पर पिछड़ा-पिछड़ा समीकरण को मजबूत करेगा. अब उत्तर बिहार से दक्षिण बिहार तक महागठबंधन की पहुंच बढ़ेगी.

4. चुनाव को हाथ से फिसलने नहीं देना चाहती कांग्रेस

बिहार चुनाव 2025 में कांग्रेस पूरे दमखम से मैदान में उतरने की तैयारी में है. पार्टी नेतृत्व चाहता है कि इस बार चुनावी समीकरण उनके पक्ष में बने और महागठबंधन में उनकी स्थिति कमजोर न दिखे.

5. महागठबंधन के नेताओं की बदली भाषा

बीते कुछ महीनों से कांग्रेस पार्टी तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा मानने से परहेज कर रही थी, लेकिन अशोक गहलोत द्वारा तेजस्वी को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम चेहरा एलान करने के बाद से नेताओं के बयान बदल गए हैं. अशोक गहलोत ने शुद कहा, "तेजस्वी ने पिछली बार भी कमाल किया था. जिसकी कमी इस बार डिप्टी सीएम फेस मुकेश सहनी पूरा करेंगे." तेजस्वी यादव ने महागठबंधन के नेताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि "हम महागठबंधन के लोग केवल सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि बिहार बनाने के लिए एकजुट हुए हैं." तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि NDA नीतीश कुमार के साथ अन्याय कर रही है. तेजस्वी ने सवाल किया कि एनडीए के चुनाव प्रचार में नीतीश कुमार के चेहरे का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है. उनका मानना है कि नीतीश कुमार के नाम की आधिकारिक घोषणा न करना भी अन्याय है.

6. कांग्रेस ने क्यों लिया ऐसा फैसला

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “हमने महागठबंधन की एकजुटता के लिए यह फैसला स्वीकार किया है. लक्ष्य भाजपा को हराना है.” कांग्रेस का यह ‘सहमति वाला समर्पण’ बताता है कि 2025 का चुनाव महागठबंधन में आरजेडी नेतृत्व के इर्द-गिर्द ही लड़ा जाएगा.

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