चुनाव नहीं, युद्धभूमि बना मोकामा! दुलारचंद यादव की हत्या अनंत सिंह ने नहीं तो फिर किसने की? सोशल में मचा बवाल
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की दिनदहाड़े हत्या से बिहार की सियासत गरमा गई है. प्रचार के दौरान कथित रूप से अनंत सिंह समर्थकों से भिड़ंत के बाद गोलियां चलीं और एक वाहन ने उन्हें कुचल दिया. पोस्टमार्टम में फेफड़े फटने और पसलियां टूटने की पुष्टि हुई. ग्रामीणों ने पुलिस कार्रवाई की मांग करते हुए शव नहीं उठाने दिया. सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप जारी, पर अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं.
एक बार फिर गोलियों की गूंज और खून से लाल बिहार की राजनीति सुर्खियों में है. मोकामा विधानसभा क्षेत्र के लिए गुरुवार ऐसा काला दिन बन गया, जिसने चुनावी अभियान को शोकसभा में बदल दिया. जन सुराज समर्थक और इलाके के प्रभावशाली चेहरे दुलारचंद यादव की दिनदहाड़े हत्या ने पूरे सियासी माहौल को हिला दिया है.
जिस सड़क पर नारे, पोस्टर और प्रचार के ढोल बज रहे थे, वहीं कुछ मिनट बाद गोलियों की आवाज़ गूंजने लगी. स्थानीय लोग कहते हैं कि यह सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि बिहार की जड़ जमाई दबंग राजनीति की खतरनाक तस्वीर है. जहां सत्ता की लड़ाई गोलियों से निपटाई जाती है, वोट की नहीं. अब इसे लेकर कई सवाल सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं.
अंतिम संस्कार में नहीं दिखे पीयूष प्रियदर्शी
कई वीडियो वायरल हुए जिनमें दावा किया गया कि जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी अंतिम संस्कार में नहीं दिखे. समर्थकों ने इसे “राजनीतिक दूरी” बताया, जबकि पार्टी ने कहा, “न्याय की लड़ाई जरूरी है, सिर्फ सांत्वना नहीं.”
गोली किसने चलाई?
दुलारचंद यादव के पोते ने मीडिया को बताया था कि अनंत सिंह के दो लोग उसके दादा को घसीटकर ले गए और अनंत सिंह ने गोली चलाई. अब सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिख रहा है कि अनंत सिंह वहां से चले गए थे. अब सवाल उठता है कि जब वो चले गए तो गोली किसने चलाई?
क्या बोले अखिलेश यादव?
दुलारचंद यादव की मौत पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि आखिर भारत सरकार क्या कर रही है? लॉ एंड आर्डर के नाम पर दूसरे दलों को घेर रहे हैं. चुनाव के समय इतनी बड़ी घटना हो रही है सवाल उठ रहा है. उन्होंने बिहार सरकार और केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
प्रचार यात्रा बनी मौत का रास्ता
सुबह करीब 10 बजे दुलारचंद यादव जन सुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के साथ तारतार–बसावनचक इलाके में जनसंपर्क कर रहे थे. दर्जनों कार्यकर्ता, गाड़ियां और बैनर इस अभियान का हिस्सा थे, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि यह कारवां हूक-हल्ले के बीच लहूलुहान हो जाएगा.
अचानक टकराव, नारेबाज़ी से हिंसा तक
रिपोर्ट्स के मुताबिक रास्ते में काफिले की भिड़ंत कथित रूप से अनंत सिंह के समर्थकों से हो गई. पहले नारे लगे, फिर गालियां चलीं और अगले ही पल लाठियां, गोलियां और भगदड़. राजनीतिक रंजिश चंद मिनट में जानलेवा टकराव में बदल गई.
गोलियां और फिर गाड़ी चढ़ा दी गई
चश्मदीदों के मुताबिक दुलारचंद को पहले पैर में गोली मारी गई, फिर सिर और शरीर पर निशाना साधा गया. ज़मीन पर गिरने के बाद भी हमला नहीं रुका. भीड़ में मौजूद एक वाहन उनके ऊपर चढ़ गया. यह दृश्य देखकर समर्थक बेकाबू हो गए और पूरा इलाका दहशत में भर गया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला दर्दनाक सच
पोस्टमार्टम में साफ हुआ कि दुलारचंद के फेफड़े फट गए थे, कई पसलियां टूट चुकी थीं. यानी गोली से ज्यादा, वाहन से कुचले जाने की चोटें घातक साबित हुईं. रिपोर्ट सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा और तेज़ हो गया.
गांव में तनाव, तीन घंटे तक ‘लाश’ सड़क पर
ग्रामीणों ने शव उठाने से इनकार कर दिया और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए रास्ता जाम कर दिया. पुलिस देर से पहुंची, और 1:30 से 4 बजे तक हालात बिगड़ते रहे. लोगों ने कहा, “हत्या हुई है, हादसा नहीं, पहले गिरफ्तारी, तभी दाह संस्कार.”
फोरेंसिक टीम की एंट्री, सबूत इकट्ठे
शाम 4:30 बजे पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची. वहां से गोलियों के खोखे, लाठी–डंडे और गाड़ियों के टायर के निशान बरामद किए गए. FIR दर्ज होने की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन कार्रवाई को लेकर सवाल अभी भी बरकरार हैं.
रात में सियासी बयानबाज़ी, पर गिरफ्तारी नहीं
रात 9 बजे पटना IG रेंज की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. पुलिस ने इसे “राजनीतिक रंजिश में हुई सुनियोजित हत्या” बताया लेकिन अब तक कोई औपचारिक गिरफ्तारी नहीं हुई. बयान तेज़ हुए, कार्रवाई धीमी और सवाल वही, क्या बिहार में चुनाव का मतलब सिर्फ वोट नहीं, गोलियां भी हैं?





