'टाल के बादशाह' बदल देते थे जातीय समीकरण, गाने के चलते अनंत सिंह से हुई दुश्मनी; जानें कौन थे लालू के करीबी रहे दुलारचंद यादव
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा में जन सुराज समर्थक और लालू के पूर्व करीबी दुलारचंद यादव की हत्या से सियासत गरमा गई है. जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह पर हत्या का आरोप लगा है, जबकि वे इसे साजिश बता रहे हैं. दुलारचंद की मौत से टाल क्षेत्र का जातीय और बाहुबली समीकरण बदलने लगा है, जिससे मोकामा एक बार फिर राजनीतिक हिंसा का केंद्र बन गया है.
 
  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोकामा में हुई गोलीबारी ने पूरे राज्य की राजनीति को झकझोर दिया है. गुरुवार, 30 अक्टूबर को जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के साथ प्रचार में निकले दुलारचंद यादव की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई. गोली लगने के बाद उन्हें गाड़ी से कुचल दिया गया. यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में वर्चस्व और बाहुबल की उस पुरानी परंपरा की वापसी है, जिसे लोग भुला देना चाहते थे.
मोकामा के घोषबरी इलाके में हुई इस घटना ने यह साबित कर दिया कि बिहार की राजनीति में बाहुबल अब भी जिंदा है. दो काफिलों के आमने-सामने आने से शुरू हुआ विवाद गोलियों की आवाज़ में बदल गया. देखते ही देखते दुलारचंद यादव ज़मीन पर गिर पड़े और बिहार एक बार फिर हिंसक चुनावी तस्वीर के साए में आ गया.
कौन थे दुलारचंद यादव?
दुलारचंद यादव कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी माने जाते थे. 80 और 90 के दशक में वे मोकामा-टाल क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे. ‘टाल का बादशाह’ कहे जाने वाले दुलारचंद का रसूख इतना था कि कई चुनावों में उन्होंने जातीय समीकरण बदल दिए थे. बता दें टाल पटना जिले का वो इलाका जहां दूर दूर तक आदमी का नामों निशान नहीं मिलता. सिर्फ खेत ही खेत नजर आता है.
वक्त बदला और दुलारचंद यादव का सियासी रुख भी. 2025 में उन्होंने राजद से दूरी बनाकर जन सुराज के उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी का साथ दे दिया. धानुक समाज से आने वाले प्रियदर्शी के लिए उन्होंने चुनावी रणनीति और प्रचार दोनों की कमान संभाली थी.
अनंत सिंह से टकराव की पृष्ठभूमि
दुलारचंद और अनंत सिंह का रिश्ता कभी दोस्ती का था, लेकिन धीरे-धीरे यह कड़वाहट में बदल गया. चुनाव के दौरान दुलारचंद ने अनंत सिंह के खिलाफ कई बयान दिए और एक चुनावी गाना भी रिलीज किया, जिसमें अनंत सिंह पर तीखा व्यंग्य था. स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यही बयानबाजी टकराव की असली वजह बनी.
हत्या का घटनाक्रम
गुरुवार की दोपहर, जब जन सुराज का काफिला तारतर गांव के पास पहुंचा, तभी जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह का काफिला सामने से आ गया. बहस, गाली-गलौज, और फिर अचानक गोलियों की आवाजें. दुलारचंद यादव को गोली लगी, और गिरने के बाद उन पर गाड़ी चढ़ गई. चश्मदीदों का दावा है कि यह सब पहले से ‘प्री-प्लान्ड’ था.
परिजनों का आरोप और सनसनी
दुलारचंद के पोते नीरज कुमार ने आरोप लगाया कि “यह हत्या अनंत सिंह के इशारे पर हुई.” उनका कहना है कि जब गोली चली, तो अनंत सिंह के लोग उनके दादा को खींचकर अपनी गाड़ी की ओर ले गए. उन्होंने यह भी दावा किया कि “अनंत सिंह की गाड़ी में हथियार हमेशा रहते हैं और किसी की जांच नहीं होती.” परिवार का कहना है कि जब तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, वे अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.
पुलिस की जांच और बयान
पटना पुलिस ने दुलारचंद यादव के पुराने आपराधिक रिकॉर्ड की पुष्टि की है. 2019 में उन्हें ‘कुख्यात गैंगस्टर’ के तौर पर गिरफ्तार किया गया था. उन पर हत्या, अपहरण और रंगदारी जैसे गंभीर मामले दर्ज थे. पुलिस ने बताया कि अब तक कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही कारण स्पष्ट होगा.
अनंत सिंह की सफाई
अनंत सिंह ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है. उनका कहना है कि “मेरे काफिले पर पहले हमला हुआ. दुलारचंद के लोगों ने हमारी गाड़ियां तोड़ीं और भीड़ में किसी ने गोली चला दी.” उन्होंने इस घटना के पीछे सूरजभान सिंह की साजिश का आरोप लगाया और कहा कि “यह सब मेरी छवि खराब करने के लिए किया गया है.”
मोकामा की राजनीति का बाहुबली चेहरा
मोकामा विधानसभा हमेशा से बाहुबली नेताओं का गढ़ रही है. अनंत सिंह, सूरजभान सिंह और दुलारचंद यादव. तीनों ने यहां अपनी ताकत और डर से राजनीति की. हर चुनाव में यह इलाका गोलियों की आवाज़ और जुलूसों की भिड़ंत से गूंजता रहा है. इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है.
चुनावी समीकरणों पर असर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दुलारचंद की हत्या से यादव और धानुक वोटों का समीकरण बदल सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पीयूष प्रियदर्शी को सहानुभूति का लाभ मिलता है या यह मामला अनंत सिंह के पक्ष में ‘कानूनी सहानुभूति’ का कारण बनता है.
मोकामा बना बिहार चुनाव का बारूदी मैदान
घटना के बाद पूरे इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. माहौल तनावपूर्ण है और जांच जारी है. बिहार चुनाव 2025 में मोकामा अब सिर्फ एक सीट नहीं रही- यह सत्ता, साख और साज़िश की जंग का नया मैदान बन चुकी है.







