First Phase Turnout: बिहार में रिकॉर्ड 65.08% वोटिंग, टूटा 75 साल का रिकॉर्ड; ECI ने जारी किया नया डाटा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में जबरदस्त मतदान हुआ. चुनाव आयोग के फाइनल आंकड़ों के मुताबिक 18 जिलों की 121 सीटों पर कुल 65.08% वोट पड़े जो 75 साल में सबसे अधिक है. महिलाओं और युवाओं की अभूतपूर्व भागीदारी ने सियासी समीकरण बदल दिए हैं. अब सबकी निगाहें 14 नवंबर के नतीजों पर हैं. क्या यह बंपर वोट बदलाव की आहट है या सरकार पर जनता का भरोसा?
बिहार की सियासत ने 6 नवंबर 2025 को एक नया मुकाम छू लिया. जब पूरे राज्य में लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव मनाया जा रहा था, तब बूथों पर उमड़े मतदाताओं ने इतिहास रच दिया. सुबह से ही गांव-शहर में एक ही जोश था कि इस बार हमारा वोट बदलेगा बिहार.” अब चुनाव आयोग ने फाइनल आंकड़ा जारी कर दिया है. पहले चरण में 65.08% वोटिंग हुई है, यानी 75 साल का रिकॉर्ड टूट गया है.
यह आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि जनता की ‘नयी सोच’ का प्रतीक है. 2020 के विधानसभा चुनावों में जहां 57.29% मतदान हुआ था, वहीं इस बार लगभग 8% की छलांग ने सत्ता और विपक्ष दोनों के गणित को हिला दिया है. सवाल यही है कि क्या यह बंपर वोटिंग बदलाव की दस्तक है या सरकार की नीतियों पर भरोसे की मुहर?
18 जिलों की 121 सीटों पर जलवा
पहले चरण का मतदान बिहार के 18 जिलों की 121 सीटों पर हुआ. सुबह 7 बजे से ही वोटिंग केंद्रों पर लंबी कतारें लग गईं. बूढ़े, महिलाएं और युवा हर कोई अपने वोट का इस्तेमाल करने को आतुर था. मतदान शांतिपूर्ण रहा, केवल कुछ जगहों पर मामूली छिटपुट घटनाओं की खबरें आईं. आयोग ने बताया कि इस बार सुरक्षा व्यवस्था पहले से कहीं अधिक मजबूत थी, जिससे मतदाताओं में भरोसा बढ़ा.
अस्थायी से फाइनल तक का सफर
मतदान के दिन जारी प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक 64.46% वोटिंग हुई थी. लेकिन राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने साफ कहा था कि यह फाइनल डेटा नहीं है. बाद में जब सभी मतदान केंद्रों से सूचनाएं मिलीं, तो यह आंकड़ा बढ़कर 65.08% पर पहुंच गया. यानी लगभग 1% की अतिरिक्त बढ़त, जो यह दिखाती है कि मतदान के अंतिम घंटों में भी बड़ी संख्या में लोग बाहर निकले.
रिकॉर्ड ब्रेकिंग वोटिंग
बिहार में इससे पहले इतनी बड़ी भागीदारी कभी दर्ज नहीं हुई थी. यह पहला मौका है जब राज्य ने 65% के आंकड़े को पार किया. 2020 के विधानसभा चुनाव में 57.29% और 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल 56.28% वोट पड़े थे. ऐसे में इस बार का मतदान प्रतिशत न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़ है, बल्कि यह संदेश भी दे रहा है कि जनता अब चुप नहीं बैठना चाहती.
मुजफ्फरपुर बना मतदान का चैंपियन जिला
अगर जिलों की बात करें तो मुजफ्फरपुर ने सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत दर्ज किया. यहां बूथों पर लोगों की लाइनें शाम तक लगी रहीं. वहीं शहरी इलाकों में अपेक्षाकृत कम, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जबरदस्त जोश देखने को मिला. आयोग के अनुसार, इस बार महिलाओं की भागीदारी भी पहले से अधिक रही, जो राज्य की राजनीति में एक निर्णायक संकेत हो सकता है.
शांतिपूर्ण हुआ मतदान
चुनाव आयोग और सुरक्षा बलों के समन्वय से बिहार में मतदान लगभग पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा. 45,341 मतदान केंद्रों में से 41,943 केंद्रों से तत्काल सूचनाएं प्राप्त हुईं. कहीं से किसी बड़े विवाद या हिंसा की खबर नहीं आई. यह दर्शाता है कि बिहार अब हिंसक चुनावों के अतीत से आगे बढ़ चुका है.
अब नजरें दूसरे चरण पर और नतीजों पर टिकीं
अब बिहार की निगाहें 11 नवंबर पर टिकी हैं, जब दूसरे चरण की वोटिंग होगी. राजनीतिक दलों ने अपने-अपने समीकरण नए सिरे से बनाना शुरू कर दिया है. वहीं, जनता की जिज्ञासा 14 नवंबर के नतीजों पर है. जब पता चलेगा कि यह रिकॉर्ड वोटिंग सत्ता बदलने आई है या उसे और मजबूत करने.
बिहार की जनता अब ‘साइलेंट’ नहीं, ‘डिसाइसिव’ है
इस बार के मतदान ने यह साफ कर दिया है कि बिहार की जनता अब केवल दर्शक नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका में है. यह वोट जाति या धर्म से नहीं, बल्कि विकास, रोजगार और उम्मीद पर पड़ा है. यह इतिहास इसलिए भी अहम है क्योंकि बिहार ने पहली बार इतने जोश से अपनी आवाज दर्ज की है और यह आवाज अब सत्ता के गलियारों में गूंजेगी.





