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Electoral Battle In Tirhut: NDA vs MGB के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, क्या है माहौल और चुनावी समीकरण?

बिहार में चुनावी कैंपेन चरम पर पहुंच गया है. पूरे प्रदेश की तरह तिरहुत प्रमंडल के 12 जिलों में भी चुनावी माहौल गरमा गया है. तिरहुत के हार जीत से ही तय होता है किसकी बनेगी बिहार में सरकार? जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और गठबंधन की मजबूती के बीच जनता किसे चुनने जा रही है? जानिए हर जिले का सियासी गणित.

Electoral Battle In Tirhut: NDA vs MGB के बीच त्रिकोणीय मुकाबला, क्या है माहौल और चुनावी समीकरण?
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बिहार चुनाव 2025 का सबसे दिलचस्प मैदान तिरहुत प्रमंडल बन गया है. मैथिली और उत्तर बिहार के इस इलाके में राजनीति हमेशा जातीय समीकरणों और सामाजिक गठबंधनों पर टिकी रही है. इस बार भी 12 जिलों में एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है. मुस्लिम-यादव-कुशवाहा गठजोड़ बनाम सवर्ण-पासवान-ओबीसी कार्ड यहां पूरे दम से खेला जा रहा है.

तिरहुत क्षेत्र के 12 जिले

तिरहुत क्षेत्र में मुख्य रूप से वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, महराजगंज, सारण, हाजीपुर, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और शिवहर आते हैं. इन जिलों में एनडीए यानी बीजेपी, जेडीयू व अन्य दल. महागठबंधन यानी RJD, कांग्रेस और अन्य के बीच मुकाबला है. बिहार के अन्य क्षेत्रों की तरह इन जिलों में कास्ट फैक्टर का असर होता है. कभी-कभी कुछ सीटों पर स्थानीय दल और निर्दलीय भी निर्णायक साबित हो जाते हैं.

चुनावी समीकरण

वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण

वाल्मीकि नगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण क्षेत्रों में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग मजबूत है. इन जिलों में एनडीए का आधार. खासकर बीजेपी का ग्रामीण वोट बैंक, JDU का यादव-पिछड़ा वोट उनके मजबूती के आधार हैं. महागठबंधन RJD और कांग्रेस की पिछड़ा-मुस्लिम वोट पर नजर है. गोपालगंज, सीवान और महराजगंज में यादव और मुस्लिम वोटिंग ब्लॉक निर्णायक होता है. इन जिलों में RJD की पकड़ मजबूत है, लेकिन बीजेपी और JDU कुछ सीटों पर चुनौती दे सकती है.

सारण, हाजीपुर, वैशाली

ये मिथिला क्षेत्र से जुड़े महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं. यहां खेती-किसानी और युवाओं में बेरोजगारी प्रमुख मुद्दा है. JDU का प्रभाव यहां काफी है. कुछ सीटों पर RJD का भी प्रभाव अच्छा है. कांग्रेस केवल कुछ खास विधानसभा क्षेत्रों में ही मुकाबला करने की स्थिति में है.

मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर

मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर जिले में पिछड़ा वर्ग, दलित और मुस्लिम वोट निर्णायक माने जाते हैं. इन जिलों में भी RJD मजबूत है, लेकिन एनडीए की स्थिति भी लगातार मजबूत हुई है. इन जिलों में युवा और महिला वोटरों का रुझान अहम साबित हो सकता है.

तिरहुत क्षेत्र में 60 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र आते हैं. RJD महागठबंधन मजबूत हैं, लेकिन एनडीए इस बार टक्कर देने की स्थिति में आ गई है. कुल मिलाकर, यह क्षेत्र कठिन मुकाबले वाला और सीट-बैलेंस वाला माना जा रहा है.

मुद्दे और रुझान

  • कृषि और रोजगार: किसानों और युवा बेरोजंगारों पर सभी पार्टियों का ध्यान.
  • सामाजिक न्याय और पिछड़ा वर्ग: जातिगत समीकरण अभी भी निर्णायक.
  • मिथिला संस्कृति और स्थानीय मुद्दे: पाग विवाद, छठ पूजा जैसे सांस्कृतिक मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं.
  • राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे: एनडीए केंद्र सरकार की नीतियों का असर.

RJD और एनडीए में कांटे की टक्कर

बिहार सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2023 को जारी जाति आधारित सर्वेक्षण 2022 के अनुसार बिहार की कुल आबादी 13.07 करोड़ है. अति पिछड़ा वर्ग (EBC) 36.01% (4.70 करोड़), पिछड़ा वर्ग (OBC) 27.12% (3.54 करोड़), अनुसूचित जाति (SC) 19.65% (2.56 करोड़), अनुसूचित जनजाति (ST) 1.68% (21.99 लाख), सामान्य जाति (Forward Castes) 15.52% (2.02 करोड़) है.

तिरहुत में आदिवासी यानी ST वोट सीमित हैं. जबकि EBC और OBC वोट दोनों गठबंधन के लिए निर्णायक साबित होंगे. RJD और एनडीए के बीच कांटे की टक्कर है. मुस्लिम–यादव गठजोड़ (RJD), सवर्ण–पासवान–कुशवाहा गठजोड़ (NDA) और कुछ सीटों पर AIMIM और निर्दलीय उम्मीदवार भी प्रभाव डाल सकते हैं.

राजनीतिक माहौल क्या है?

एनडीए को मोदी-नीतीश की जोड़ी की लहर पर भरोसा है. एनडीए यही वजह है कि एनडीए में शामिल दल इस क्षेत्र में विकास बनाम जाति की बात कर रही है. महागठबंधन बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और जातीय असमानता को मुद्दा बना रही है.स्थानीय मुद्दे बाढ़, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन हो जोरदार तरीके से उठाया जा रहा है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025नीतीश कुमारलालू प्रसाद यादवसम्राट चौधरी
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