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दिल्ली में रहने वाले बिहारी प्रवासियों का क्या है वहां के चुनाव से कनेक्शन? किन-किन सीटों पर निभाते निर्णायक भूमिका?

Bihar Chunav 2025: दिल्ली में रहने वाले प्रवासी बिहारियों में से अधिकांश का नाम वहीं के मतदाता सूची में आज भी दर्ज हैं. इसका सीधा असर यह होता है कि जब भी बिहार में चुनाव होता है, वे उनके परिणामों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते हैं. कुछ सीटों पर तो ये मतदाता जीत-हार का समीकरण बदल देते हैं.

दिल्ली में रहने वाले बिहारी प्रवासियों का क्या है वहां के चुनाव से कनेक्शन? किन-किन सीटों पर निभाते निर्णायक भूमिका?
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( Image Source:  Sora AI )

Bihar Assembly Chunav 2025: दिल्ली में बिहार से आने वाले प्रवासियों की संख्या लाखों में है. अनुमान के मुताबिक लगभग 45 से 50 लाख बिहार और आसपास के प्रवासी दिल्ली में रहते हैं. इनमें बड़ी संख्या मजदूरी, रिक्शा चालक, छोटे व्यापारी, नौकरीपेशा और पढ़ाई करने वाले छात्रों की है. ये लोग बिहार में चुनाव के समय मतदान करने के लिए बड़ी संख्या में दिल्ली से वहां जाते हैं. इनकी संख्या का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि चुनाव के दौरान इंडियन रेलवे स्पेशल ट्रेनें भी चलाती है. ताकि ये लोग अपने होम टाउन जाकर लोकतांत्रिक मताधिकार का प्रयोग कर सकें.

सीमांचल, कोसी, मिथिला और भोजपुर के मतदाता सबसे ज्यादा

यही वजह है कि बिहार में जब भी चुनाव होता है, तो दिल्ली में भी इसकी सरगर्मी बढ़ जाती है. अलग-अलग सियासी दलों के लोग यहां पर भी बिहार के अलग-अलग समुदायों के लोगों से संपर्क साधते हैं. ताकि उसका लाभ बिहार में चुनाव के दौरान मिल सके. खासकर सीमांचल, कोसी, मिथिला और भोजपुर इलाके के वोटर दिल्ली में सबसे ज्यादा हैं. बीजेपी, आरजेडी और जेडीयू नेता बिहार के साथ दिल्ली में प्रचार अभियान चलाते हैं.

'साइलेंट पावर हैं दिल्ली में रहने वाले मतदाता

दिल्ली में रहने वाले प्रवासी बिहार चुनाव की राजनीति में एक ‘साइलेंट पावर’ की तरह काम करते हैं. इनकी संख्या और वोटिंग पैटर्न कई विधानसभा और लोकसभा सीटों का खेल बदल देता है.

2 दर्जन जिलों की सीटों पर डालते हैं असर

पूर्वी चंपारण, सारण, सीवान, गोपालगंज, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, शिवहर, सीतामढ़ी, गया, औरंगाबाद, भोजपुर, आरा, बक्सर, रोहतास, नालंदा और पटना के आस-पास के जिलों में प्रवासी वोटरों का असर खास तौर पर दिखता है. यहां से बाहर काम करने वाले लोग अधिक संख्या में दिल्ली में रहते हैं.

राजनीतिक दलों की रणनीति

बिहार की पार्टियां जैसे आरजेडी, जेडीयू, बीजेपी और लोजपा प्रवासी बिहारी मतदाताओं को साधने की कोशिश करती हैं. त्योहारों और छुट्टियों के वक्त प्रचार वहीं केंद्रित किया जाता है. ताकि प्रवासी मतदाता घर लौटकर वोट डालें. दिल्ली में बिहार से आए प्रवासी वैसे तो हर क्षेत्र में रहते हैं. लेकिन कुछ ऐसे क्षे में जहां पर बिहार मूल के लोग काफी संख्या में रहते हैं. दिल्ली की लगभग 42 प्रतिशत वोटर आबादी पूर्वांचल से जुड़े हैं. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 35 से 40 सीटों ये असर डालते हैं. दिल्ली में जिन क्षेत्रों में इनकी संख्या ज्यादा है, उनमें:

1. पूर्वी दिल्ली

पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर, त्रिलोकपुरी, मयूर विहार, मंडावली, कड़कड़डूमा और शाहदरा दिलशाद गार्डन, सीमापुरी, जाफराबाद सहित अन्य इलाकों में बिहार के मतदाता बड़ी संख्या में रहते हैं.

2. उत्तर-पूर्वी दिल्ली

कृष्णा नगर, यमुना विहार, सीलमपुर, गोकुलपुरी, भजनपुरा, मुस्तफाबाद और करावल नगर जैसे इलाकों में बिहार के प्रवासी समुदाय का वर्चस्व है.

3. दक्षिण-पूर्वी दिल्ली

ओखला, जामिया नगर, गोविंदपुरी, संगम विहार, तुगलकाबाद, बदरपुर, आया नगर, छतरपुर, कालकाजी और बदरपुर जैसे क्षेत्रों में बिहार के लोगों की अच्छी-खासी तादाद है.

4. पश्चिमी दिल्ली

उत्तम नगर, नजफगढ़, मोती नगर, तिलक नगर और जनकपुरी के आसपास बड़ी संख्या में बिहार से आए मजदूर, व्यापारी और कर्मचारी रहते हैं.

5. मध्य और उत्तरी दिल्ली

सदर बाजार, पहाड़गंज, करोल बाग, दरियागंज और आजाद मार्केट जैसे पुराने इलाकों में भी बिहार मूल के लोगों की संख्या अधिक है.

6. औद्योगिक और श्रम बहुल क्षेत्र

दिल्ली के नरेला, बवाना, मंगोलपुरी, झिलमिल, किराड़ी और सागरपुर जैसे इलाकों में भी बिहार से आए श्रमिकों की बड़ी बस्तियां हैं. इन इलाकों में रहने वाले बिहार के लोग हर चुनाव में वहां पहुंचकर मतदान करते हैं.

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