बिहार के इस सीएम को लोग कहते थे 'मौलाना', RJD के तेवर से बौखलाई BJP, अब बीजेपी तेजस्वी को क्यों दे रही यह नाम?
बिहार में पिछले कुछ दिनों से मुसलमानों के समर्थन और विरोध को लेकर घमासान की बीजेपी और आरजेडी के बीच घमासान की स्थिति है. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया का बयान आने बाद आरजेडी सांसद मनोज झा ने पलटवार करते हुए कहा कि इस देश में सब कुछ चलेगा. मंदिर पूजा अर्चना और भरत तो मस्जिद में नमाज भी पढ़ें जाएंगे.

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच आरजेडी नेताओं द्वारा वक्फ कानून को कूड़ेदान में फेकने और शरिया की पैरोाकरी करने वाले बयान को लेकर बीजेपी ने बड़ा हमला बोला है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया के बयान से तो बिहार चुनाव में पाकिस्तान की भी एंट्री हो गई है. गौरव भाटिया ने कहा है कि जिन्हें शरिया कानून चाहि वो चले जाएं पाकिस्तान.
बीजेपी प्रवक्ता यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने तंजिया लहजे में तेजस्वी यादव को बिहार का नया 'मौलाना' करार दिया. अब उनके इस बयान को लेकर बिहार की सियासी बवाल मचा है. यह मामला पटना से दिल्ली तक पहुंच गई है. दोनों पार्टियों के बीच सियासी आरोप-प्रत्यारोप चरम पर पहुंच गया है. आइए, हम आपको बताते हैं कि किसने क्या कहा?
इस तरह की टिप्पणी सही नहीं - रंजन सिंह
स्टेट मिरर न्यूज वेबसाइट के प्रतिनिधि ने जब बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया द्वारा वक्फ कानून और शरिया को लेकर जारी विवाद के बीच तेजस्वी यादव को 'मौलाना' करार देने पर एलेजपीआर प्रवक्त से सवाल किया तो उन्होंने कहा, 'इसे किसी भी नजरिए से सही नहीं कह सकते. इस तरह किसी सनातनी हिंदू को 'मौलाना' कहना गलत है. हमारी पार्टी इस तरह के विवादों में कभी नहीं पड़ती. धर्म के आधार पर किसी के साथ इस तरह की टिप्पणी को सही नहीं का जा सकता. फिर, लालू प्रसाद यादव का परिवार सनातनी परिवार है. वे लोग हमेशा से हर अवसर पर सनातनी परंपरा को फॉलो करते आए हैं. हिंदुओं के सभी पर्व त्याहोर मनाते हैं.
ऐसा नहीं है कि तेजस्वी यादव को ही 'मौलाना' की उपधि मिली है, इससे पहले बिहार में तीन बार सीएम रहे जगन्नाथ मिश्रा को भी लोग 'मौलाना जगन्नाथ कहते थे, जबकि वो धर्म से हिंदू थे और जाति से ब्राह्मण? उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा बतौर सीएम दिया था. फिर भी उनका मौलाना नाम क्यों पड़ा? उस दौर में भी ऐसा हुआ तो उसे भी सही नहीं कहा जा सकता.
जेडीयू सांसद बोले - बीजेपी वाले ही बताएंते ऐसा उन्होंने क्यों कहा?
तेजस्वी यादव को मौलाना कहने के मसले पर नालंदा से जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार का कहना है इस पर मैं क्या कहा सकता हूं. ये तो बीजेपी वाले ही सही से बताएंगे कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा? हो सकता है कि ये विचार गौरव भाटिया की निजी हो.
जिन्हें एक साथ सब कुछ पसंद नहीं वो जाएं देश से बाहर - मनोज झा
आरजेडी के सांसद मनोज झा ने गौरव भाटिया के बयान पर कहा, 'इस देश में सब कुछ चलेगा. इस देश में मंदिर में भजन और पूजन भी होगा. इस देश में मस्जिद में नमाज भी पढ़े जाएंगे. गुरुद्वारों में अरदास भी होगा. चर्च में घंटा भी बजेगा. जिन्हें ये सब एक साथ पसंद नहीं, वे देश से बाहर चले जाएं. ऐसे लोग भारत में नहीं रह सकते.
क्या कहा था गौरव भाटिया ने?
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान तेजस्वी यादव पर हमला बोला था. उन्होंने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा, 'शरिया वाले पाकिस्तान चले जाएं. देश का पीएम कहीं भी जा सकता है. भड़काव भाषण देने वालों को देश में कहीं भी जगह नहीं है. उन्होंने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को नया 'मौलाना' करार दिया है.'
गौरव भाटिया के इस बयान के बाद वक्फ को लेकर बिहार में जारी सियासी जंग में दूसरा चैप्टर शुरू हो गया. गौरव भाटिया ने आगे गहा कि मौलाना तेजस्वी यादव बताइए, जब सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश के लिए इस मामले को आर्डर के लिए रिजर्व किया हुआ है. फिर वक्फ कानून को लेकर आपका इतना अराजक रवैया क्यों? उन्होंने पूछा तेजस्वी यादव एससी की अवमानना क्यों कर रहे हैं.
जगन्नाथ मिश्रा को लोग प्यार से कहते थे 'मौलाना'
तेजस्वी यादव बिहार के पहले मौलाना नहीं है, उनसे पहले बिहार के सबसे युवा और तीन बार सीएम बने जगन्नाथ मिश्रा को भी प्रदेश के मुसलमान ही नहीं सभी जातियों व धर्मों के लोग प्यार से 'जगन्नाथ मौलाना' कहते थे. प्यार से इसलिए कि वो जाति से ब्राह्मण और धर्म से हिंदू होने के बावजूद सीएम पद रहते हुए उर्दू को प्रदेश को दूसरी राजकीय भाषा घोषित किया था. इस लाभ हजारों युवाों को उर्दू अनुवादक और बतौर शिक्षक सरकारी कर्मचारी काम करने का मौका मिला. इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय के लिए उन्होंने कल्याणकारी योजनाओं का शुभारंभ किया था.
केंद्रीय मंत्री ललित नारायण मिश्रा का समस्तीपुर बम कांड में निधन के बाद जगन्नाथ मिश्रा पहली बार सबसे कम उम्र यानी 38 साल की उम्र में सीएम बने थे. दूसरी बार सीएम 1980 में बने और तीसरी 1989 में सीएम बने. उसके बाद बिहार में अब तक कोई कांग्रेसी सीएम नहीं बना. भागलपुर सांप्रदायिक हिंसा की वजह से प्रदेश के मुसलमान नाराज हो गए और कांग्रेस को वोट नहीं दिया. उस दौर में जगन्नाथ मिश्रा से मुसलमान खुश थे और प्यार से मौलाना ही कहते थे. जगन्नाथ मिश्रा इंदिरा और राजीव गांधी दोनों का सियासी संरक्षण हासिल करने में सफल रहे थे, सही वजह है कि राजीव गांधी के जिंदा रहने ते जगन्नाथ का कद बिहार कांग्रेस में सबसे बड़ा रहा.