रामा सिंह के दबदबे पर भारी पड़ेंगे खान सर के दोस्त विपीन सर! चिराग को दे पाएंगे चुनौती? जानें महनार सीट का गुणा-गणित
महनार विधानसभा सीट से शिक्षक नेता बिपिन सर की एंट्री ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. दबंग रामा सिंह के दबदबे वाले इस क्षेत्र में अब सोशल मीडिया स्टार और मुखिया बिपिन सर ने ताल ठोक दी है. क्या चिराग पासवान और उनके खेमे को इस बार युवा मतदाताओं की चुनौती झेलनी होगी? जानिए महनार सीट का पूरा गणित.

बिहार की राजनीति में एक नया चेहरा तेज़ी से उभर रहा है- बिपिन सर. महनार विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके बिपिन सर अब सिर्फ़ यूट्यूब के 'Maths Masti' वाले टीचर नहीं, बल्कि जनसरोकारों से जुड़े एक जुझारू जननेता के रूप में देखे जा रहे हैं. मुखिया पद से मिली ज़मीन पर अब वह विधानसभा की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.
महनार सीट से बिपिन सर का चुनाव लड़ना इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि यह इलाका रामा सिंह और चिराग पासवान के राजनीतिक प्रभाव वाला रहा है. रामा सिंह की पत्नी वीणा देवी इस समय महनार से आरजेडी की विधायक हैं और अतीत में खुद रामा सिंह भी दो बार यहां से विधायक रह चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिपिन सर चिराग के राजनीतिक दायरे में सीधी सेंध लगाने वाले हैं?
कौन हैं रामा सिंह?
रामा सिंह बिहार की राजनीति में एक चर्चित और विवादास्पद नाम हैं, जिनकी पहचान एक दबंग और प्रभावशाली नेता के रूप में रही है. रामविलास पासवान के करीबी रहे रामा सिंह वैशाली जिले की महनार विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं. रामा सिंह 2014 में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के टिकट पर सांसद भी बने थे, जहां उन्होंने आरजेडी के दिग्गज नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को करीब 1 लाख वोटों से हराया था. उन पर बिहार और झारखंड में कई आपराधिक मुकदमे दर्ज रहे हैं, और जेल में रहते हुए भी उन्होंने 2000 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा में कदम रखा था. बाद में वे आरजेडी में शामिल हो गए और 2020 में अपनी पत्नी वीणा देवी को महनार से टिकट दिलवाकर विधायक बनवाया, जिससे यह साबित हुआ कि उनका राजनीतिक दबदबा अब भी कायम है.
उमेश कुशवाहा की दावेदारी भी मजबूत
महनार की राजनीति में एक और बड़ा नाम है जेडीयू के उमेश सिंह कुशवाहा का. 2015 में उन्होंने बीजेपी को हराकर सीट जीती थी. 2020 में वे भले आरजेडी की वीणा देवी से हार गए हों, लेकिन अब खबर है कि वह फिर से मैदान में उतर सकते हैं. ऐसे में बिपिन सर को एक नहीं, दो दिग्गज नेताओं से सीधा मुकाबला करना होगा.
जातिगत समीकरणों में उलझा महनार
महनार सीट जातिगत दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील है. अनुसूचित जाति की आबादी 21.54% है, जो किसी भी उम्मीदवार की जीत-हार तय कर सकती है. इसके अलावा यादव, कुशवाहा और मुस्लिम वोटर्स का भी भारी प्रभाव है. ऐसे में बिपिन सर की चुनौती होगी कि वे जातियों की पारंपरिक दीवार को तोड़ते हुए परफॉर्मेंस आधारित राजनीति को आगे ला सकें.
विपिन सर की डिजिटल ताकत
बिपिन सर की सबसे बड़ी ताकत है उनका सोशल मीडिया इंफ्लुएंस. उनके चैनल ‘Maths Masti’ पर 5.9 मिलियन और ‘Vipin Sir Mukhiya’ पर 1.3 मिलियन सब्सक्राइबर हैं. वह खान सर जैसे लोकप्रिय शिक्षकों के करीबी माने जाते हैं, जिससे यह कयास लगने लगे हैं कि क्या खान सर खुद उनके लिए प्रचार में उतरेंगे? कयास इसीलिए लगाया जा रहा है कि ग्राम पंचायत चुनाव के समय विपीन सर के समर्थन में खान सर ने चुनाव प्रचार किया था.
महनार से तीनों दलों को मिला है मौका
महनार विधानसभा सीट ने 2010 से अब तक तीन अलग-अलग दलों को मौका दिया है. बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी सभी यहां से जीत दर्ज कर चुके हैं. इसका सीधा मतलब है कि यहां का वोटर किसी पार्टी का स्थायी समर्थक नहीं, बल्कि परफॉर्मेंस और विश्वास के आधार पर अपना नेता चुनता है. यही वजह है कि बिपिन सर की उम्मीदें भी ज़मीन पर टिकती दिख रही हैं.
मुकाबला दिलचस्प, गणित कठिन
महनार में अब मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। एक ओर हैं रामा सिंह और उमेश कुशवाहा जैसे परंपरागत दिग्गज, वहीं दूसरी ओर हैं बिपिन सर जैसे डिजिटल युग के प्रतिनिधि. क्या सोशल मीडिया की ताकत और ज़मीनी संघर्ष बिपिन सर को जीत दिला पाएगा? या फिर महनार एक बार फिर जाति और परंपरा की ओर झुकेगा? जवाब 2025 में मिलेगा, लेकिन सस्पेंस अभी से गहरा है.