तेजस्वी को CM का चेहरा बनाने पर कांग्रेस को क्या है परेशानी? कहीं 'VIP' फैक्टर राह में रोड़ा तो नहीं!
Bihar Mahagathbandhan News: बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीएम फेस को लेकर सियासी खींचतान जारी है. आरजेडी का कहना है कि कांग्रेस तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करे, लेकिन राहुल गांधी इसको लेकर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते. वह चाहते हैं कि आरजेडी चुनाव पूर्व और चुनाव बाद कांग्रेस को उसका वाजिब हक देने का वादा करे.

Bihar Mahagathbandhan Seat Sharing News: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी दलों के बीच सीट बंटवारे पर अधिकारिक चर्चा शुरू हो गई है. कांग्रेस ने अभी तक तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित नहीं किया है. आरजेडी का दबाव है कि कांग्रेस इसका एलान करे. दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता न तो तेजस्वी को सीएम फेस मानने से इनकार कर रहे हैं, न ही उसका औपचारिक तरीके से घोषणा कर रहे हैं. ऐसा करने कांग्रेस बच रही है. पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस ऐसा करने पहले अपना हित साधना चाहती है. वो आरजेडी का पिछलग्गू नहीं, बराबरी का दर्जा चाहती है.
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी अनौपचारिक तौर पर तेजस्वी यादव को सीएम को चेहरा मानती है, लेकिन सार्वजनिक तौर पर इस बात को स्वीकार करने से भी बच रही है. यानी कांग्रेस नेता सीधे मुंह अपनी शर्तें न बता, गठबंधन कोटे के तहत ज्यादा सीट चाहते हैं. इसके अलावा, अपनी भूमिका को लेकर भी चिंचित है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि हमारी पार्टी देश की सबसे पुरानी पार्टी है. हाल ही में पार्टी के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में 18 दिन लगातार वोटर अधिकार यात्री निकाली गई है. उसके बाद से बिहार में सियासी माहौल बदल गया है. लालू यादव को पहले उसका सम्मान करना होगा.
1. वीआईपी फैक्टर
बदले हालात में कांग्रेस चाहती है कि 243 विधानसभा सीटों में उसे सम्मानजनक सीटें मिले. कांग्रेस ने 90 सीट पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है. इस पर अभी सहमति नहीं बनी है. बशर्ते, आरजेडी की गठबंधन कोटे के तहत कांग्रेस को इस बार 70 से कम सीट देने की योजना है. जबकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी की पृष्टिभूमि और राहुल गांधी के प्रयासों को देखते हुए आरजेडी उसका सम्मान करे. अगर आरजेडी वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी को 15 से 25 सीटें दे सकती है, तो फिर कांग्रेस को 70 उससे ज्यादा सीटों क्यों नहीं?
2. तो कांग्रेस को चाहिए बराबरी का दर्जा
चुनाव बाद अगर सरकार बनती है और कांग्रेस के विधायक सही संख्या में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचते हैं तो प्रदेश की राजनीति में उसकी भूमिका क्या होगी? इन मुद्दों पर फैसला किए बगैर आगे बढ़ने से कांग्रेस नेता परहेज कर रहे हैं. यानी पार्टी प्रेसर पॉलिटिक्स के आड़ में अपना उल्लू सीधा करना चाहती है. कांग्रेस को आशंका है कि ऐसा न करने से लालू यादव और तेजस्वी यादव पार्टी को चुनाव बाद तवज्जो नहीं देंगे. बिहार में कांग्रेस पार्टी पिछलग्गू पार्टी बनकर नहीं रहना चाहती. पार्टी नहीं चाहती कि उसकी भूमिका सिर्फ 'सपोर्टिंग पार्टनर' तक सीमित हो जाए. ऐसे में अगर तेजस्वी को सीएम चेहरा घोषित किया गया तो कांग्रेस की दावेदारी पूरी तरह खत्म हो जाएगी.
3. नेतृत्व पर भरोसे का संकट
सूत्रों के अनुसार तेजस्वी यादव अपेक्षाकृत युवा हैं और उन पर भ्रष्टाचार के पुराने मामले भी रहे हैं. कांग्रेस के कई नेता मानते हैं कि उनकी छवि 'विकास बनाम जातीय समीकरण' की लड़ाई में उतनी मजबूत नहीं है. कांग्रेस को डर है कि तेजस्वी का चेहरा बीजेपी के लिए “लक्षित हमला” करने का आसान मौका देगा.
4. राहुल गांधी का असर
कांग्रेस चाहती है कि चुनाव प्रचार में फोकस “राष्ट्रीय मुद्दों” पर भी रहे, ताकि पार्टी को देशभर में लाभ मिले. अगर पूरा चुनाव तेजस्वी यादव के चेहरे पर लड़ा गया तो कांग्रेस की “ब्रांड वैल्यू” और राहुल गांधी का नेरेटिव कमजोर पड़ सकता है.
5. श्राद्ध पक्ष के बाद कांग्रेस करेगी विचार - राजेश राठौर
बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता राजेश राठौर का कहना है कि यह पूछे जाने पर कि आपकी पार्टी तेजस्वी यादव को सीएम का फेस घोषित करने से बच क्यों रही हैं? इसका जवाब देने के बदले उन्होंने सियासी मुस्कान बिखेरते हुए कहा कि समय से सब कुछ हो जाएगा. अभी सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है. फिर, कोई काम अशुभ नक्षत्र में नहीं होना चाहिए. पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) समाप्त होने पर ये सब काम होगा. जोर देने पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा चुनावी कार्यक्रम घोषित होने के बाद इस मसले का भी समाधान निकल आएगा. अपनी बात को समाप्त करने से पहले उन्होंने कहा कि तेजस्वी नहीं तो और कौन होगा? वही बनेंगे चेहरा.
6. CM फेस पर जल्दी में नहीं कांग्रेस - डॉ. उस्मानी
बिहार कांग्रेस के युवा नेता डॉ. मस्कूर अहमद उस्मानी का कहना है कि चुनावी राजनीति में हर चीज की एक प्रक्रिया होती है. तेजस्वी यादव बिहार में बड़े नेता हैं, इसको लेकर सभी की राय एक है. लेकिन उससे पहले गठबंधन में शामिल दलों के बीच कई पहलुओं फैसला होना बाकी है. इन पहलुओं में कौन कहां से चुनाव लड़ेगा, चुनावी मुद्दे क्या होंगे व चुनाव लड़ने का प्रारूप क्या होगा, ये सब अभी तय होना बाकी है. इन सियासी मसलों पर चर्चा के बाद सीएम फेस भी घोषित कर दिए जाएंगे. उन्होंने ये भी कहा राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के तहत 18 दिन लगातार लोगों से जनसंपर्क किया. उसके बाद से सियासी माहौल बदला है. बदले माहौल के हिसाब सभी दल चर्चा करेंगे.