क्या महागठबंधन में सीटों पर बन गई बात? RJD ने कम कर लीं सीटें, क्या कांग्रेस भी मानेगी?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का आधिकारिक एलान से पहले महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर सहमति बनने की खबरें सामने आ रही हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने गठबंधन कोटे के तहत खुद के सीटों की संख्या कम कर ली है. अब सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस भी इस फॉर्मूले पर राजी होगी?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां चरम पर है. चुनाव में लेकर विपक्षी महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर पिछले कई दिनों से खींचतान चल रही थी. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि राष्ट्रीय जनता दल ने अपने हिस्से की सीटें कम कर ली हैं. ऐसे में कांग्रेस पर दबाव है कि वह भी 2020 की तुलना में इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला ले ले. सूत्रों के मुताबिक विकासशील इंसान पार्टी को एडजस्ट करने के लिए तेजस्वी यादव ने राजद और कांग्रेस की सीटों की संख्या कम करने का निर्णय लिया. तो क्या महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है?
इंडिया गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक राजद ने खुद को 130 सीटों तक सीमित कर सकता है, जो कि 2020 चुनाव में लड़ी गई सीटों से 14 कम है. राजद ने पांच पहले गठबंधन के तहत राजद 144 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. इसी तरह कांग्रेस 2020 में 70 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इस बार उसके हिस्से में 58 सीटें आने के संकेत मिले हैं. यानी 12 सीटें कम. हालांकि, गठबंधन के किसी नेता ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की है.
36 सीटों पर कांग्रेस नहीं लेगी किसी की राय
बिहार कांग्रेस बहुत जल्द अपनी मानी हुई 36 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा करने की तैयारी में है. इन सीटों के लिए पार्टी किसी भी गठबंधन दल से राय नहीं लेगी. कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी इन 36 सीटों के लिए नामों को अंतिम रूप देने पर मंथन कर रही है. इन 36 सीटों में 19 पर वर्तमान में कांग्रेस के विधायक हैं. जबकि बाकी सीटें या तो पिछले चुनाव में पार्टी के लिए दूसरे स्थान पर रहीं थीं या फिर ये कांग्रेस की पारंपरिक सीट मानी जाती हैं.
CPI-ML ने की 40 सीटों की मांग
CPI-ML ने 2020 में 19 में से 12 सीटें जीती थीं. अपने मजबूत प्रदर्शन का हवाला देते हुए, पार्टी ने इस बार 40 सीटों पर दावा किया है. इनमें से कई सीटें पिछले चुनाव में राजद और कांग्रेस ने लड़ी थीं. हालांकि, माना जा रहा है कि सीपीआईएमएल को पिछले चुनाव से 8 और सीटें ज्यादा मिल सकती हैं. अन्य वामपंथी दल सीपीआई और सीपीआई (मार्क्सवादी) क्रमशः: 6 और 4 सीटें बरकरार रख सकते हैं.
महागठबंधन में तीन नए दल शामिल हुए हैं. वीआईपी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और पशुपति नाथ पारस की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा). मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वीआईपी को 14 सीटें मिल सकती हैं, जबकि जेएमएम और लोजपा दोनों को दो-दो सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है.
सीटों को लेकर नरम पड़े तेजस्वी
सूत्रों के मुताबिक तेजस्वी यादव ने राजद की सीटों की संख्या में कुछ कमी करने के संकेत दिए हैं. पहले राजद बड़ी संख्या में सीटों पर दावेदारी कर रही थी, लेकिन अब उसने गठबंधन की एकजुटता को देखते हुए अपने हिस्से की सीटों में कमी की है. उसने ऐसा वीआईपी को गठबंधन में एडजस्ट करने के लिए किया है.
कांग्रेस पर बढ़ा दबाव
इंडिया गठबंधन इलेक्शन कोआर्डिनेशन प्रमुख तेजस्वी यादव इस रुख के बाद अब कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है. सीटों की संख्या कम करने को लेकर पार्टी नेताओं के बीच मंथन जारी है. कांग्रेस चाहती है कि उसे सम्मानजनक सीटें मिले.
चुनाव पर पड़ेगा असर
अगर इंडिया गठबंधन में समय रहते सीटों पर सहमति नहीं बना पाता, तो इसका सीधा असर चुनाव नतीजों पर पड़ सकता है. बीजेपी और एनडीए इस मौके का फायदा उठाने की फिराक में हैं.