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तेजस्वी का वादा हारा, नीतीश की रणनीति जीती - सुशासन बाबू ने फिर कर दिया कमाल! जानें जनता ने फिर क्यों दिया साथ?

बिहार चुनाव 2025 के नतीजों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि एग्जिट पोल्स आंकड़ों का खेल ही नहीं जनता के मूड का असली पैमाना भी है. नीतीश कुमार प्रशासनिक छवि, महिलाओं और ग्रामीण वोट बैंक पर पकड़ और एनडीए की संयुक्त रणनीति के दम पर एग्जिट पोल्स की भविष्यवाणी को मात देते आए हैं. इस बार भी वही होने की संभावना है. यही वजह है कि “बिहार ने फिर कहा - शोर नहीं, स्थिरता चाहिए.” आखिर किन मुद्दों ने वोटिंग पैटर्न बदल दिया. जानें विस्तार से.

तेजस्वी का वादा हारा, नीतीश की रणनीति जीती - सुशासन बाबू ने फिर कर दिया कमाल! जानें जनता ने फिर क्यों दिया साथ?
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बिहार चुनाव 2025 में हार जीत को लेकर एनडीए महागठबंधन के बीच स्थिति लगभग साफ है. एग्जिट पोल ने अपने अनुमानों में एनडीए की जीत का दावा किया है. हालांकि, ओपिनियन पोल के इस दावे से महागठबंधन के नेता आश्वस्त नहीं हैं. तो फिर ऐसी कौन सी बात है कि बिहार में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई और नीतीश कुमार फिर से सीएम बनने बनने के करीब हैं. ऐसा उस समय हुआ जब तेजस्वी यादव ने हर घर के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. इतना ही नहीं, उन्होंने महिलाओं से अपील की थी वो आरजेडी का साथ दें. सरकार बनने में मकर संक्रांति से पहले उनके अकाउंट में 30 हजार रुपए पहुंच जाएगा.

इसके बावजूद नीतीश कुमार का ही मैजिक चला और महिला समेत सभी वर्गों के लोगों ने बंपर वोटिंग कर सबको भौचक्का कर दिया. अब अहम सवाल यह है कि आखिर जनता ने इस बार भी नीतीश पर भरोसा क्यों जताया? क्या यह विकास और स्थिरता का वोट था या महागठबंधन की रणनीतिक स्तर पर कोई बड़ी चूक? आखिर इसकी वजह क्या है? 5 प्वाइंट में जाने सब कुछ.

1. 'स्थिरता' बनाम 'परिवर्तन'

बिहार की जनता पिछले कुछ चुनावों में लगातार यह संदेश दे रही है कि वह बार-बार सत्ता परिवर्तन नहीं चाहती. नीतीश कुमार भले ही राजनीतिक रूप से कई बार गठबंधन बदल चुके हों, लेकिन प्रशासनिक स्थिरता और शासन के अनुभव ने उन्हें जनता के बीच भरोसेमंद चेहरा बना रखा है. मतदाताओं के रुझान से साफ है कि 'नीतीश से असहमति हो सकती है, लेकिन बिहार में अराजकता (जंगलराज) की कीमत पर परिवर्तन नहीं चाहिए. प्रदेश की जनता को नियंत्रित कानून व्यवस्था, विकास और स्थिरता चाहिए.

2. महिलाओं का भरोसा

बिहार की कुल आबादी में 48 प्रतिशत महिलाओं की हिस्सेदारी है. साल 2005 से ही नीतीश कुमार महिलाओं के लिए नई नई योजना लेकर आते रहे हैं. जैसे मुख्यमंत्री साइकिल योजना, कन्या उत्थान योजना, आजीविका दीदी योजना, आशा दीदी योजना, स्थानीय निकाय के चुनावों में महिलाओं को आरक्षण, शराबबंदी, स्वरोजगार के लिए दस हजारी स्कीम जैसे कदमों ने ग्रामीण महिलाओं में उनकी लोकप्रिय बनाए रखा है. इस बार तो उन्होंने ये भी वादा किया है कि निकायों यानी (नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद, नगर कमेटियों) के चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देंगे.

यही वजह है कि इस बार भी महिला मतदाताओं की रिकॉर्ड भागीदारी ने एनडीए को निर्णायक बढ़त दी है. ऐसा अनुमान एग्जिट पोल से भी सामने आया है, जो सर्वेयर एजेंसियों के कर्ताधर्ताओं के लिए चौंकाने वाला है. माना जा रहा है कि एग्जिट पोल्स ने इस साइलेंट वोट बैंक का अनुमान नहीं लगाया था. लेकिन नीतीश के मैजिक ने इस बार भी अपना असर दिखाया और एक बार उन्हीं पर भरोसा जता दिया है.

3. जातीय समीकरण

महागठबंधन की ओर से सीएम फेस तेजस्वी यादव ने साल 2020 में सबका साथ सबका विकास को नीति को छोड़कर अपने पिता लालू यादव के यादव-मुस्लिम यानी माई समीकरण पर फोकस किया. जबकि एनडीए ने अति पिछड़ा वर्ग (EBC), महादलित, और महिला मतदाताओं को साथ जोड़ा. इसके अलावा, महागठबंधन ने यादव वोट बैंक पर भी डोरा डाल रखा था. यह वही वर्ग है जो एग्जिट पोल सैंपलिंग में कम प्रतिनिधित्व पाता है, लेकिन वोटिंग में निर्णायक साबित होता है. इस फैक्टर ने कई सीटों पर अप्रत्याशित परिणाम देने वाले साबित होंगे.

4. मोदी फैक्टर और एनडीए में एका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे की लोकप्रियता अब भी ग्रामीण बिहार में मजबूत है. मतदाताओं ने एनडीए को डबल इंजन की सरकार मानते हुए स्थानीय मुद्दों से आगे बढ़कर स्थिरता को प्राथमिकता दी. ग्रामीण इलाकों में मोदी-नीतीश की संयुक्त अपील ने महागठबंधन की बढ़त को काट दिया.

बिहार के राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एग्जिट पोल्स में ग्रामीण बूथों और महिला मतदाताओं को शामिल करने का अनुपात कम होता है. साथ ही, कई मतदाता “सामाजिक दबाव” में अपनी वास्तविक पसंद नहीं बताते. यही कारण है कि लगभग हर चुनाव में एग्जिट पोल्स का आकलन नतीजों से उलट जाता है.

5. स्थानीय मुद्दों पर फोकस

महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों के बावजूद, कई इलाकों में नीतीश सरकार की योजनाओं जैसे 'हर घर नल का जल', सात निश्चय योजना और ग्रामीण सड़क निर्माण ने एनडीए के लिए पॉजिटिव माहौल बनाया. युवाओं में भी पहली बार वोट देने वालों ने बड़े पैमाने पर एनडीए को वोट किया, क्योंकि उन्हें 'स्थिर सरकार' चाहिए थी. चार से छह लेन की सड़कों निर्माण, रेल और रोड ब्रिज का निर्माण, औद्योगीकरण की शुरुआत, हवाई पट्टियों से एयर सेवा का शुरू होना, भी नीतीश के पक्ष में गया है.

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