बिहार में सत्ता की बाजी किसके नाम, NDA का पलड़ा भारी या महागठबंधन करेगा करिश्मा? आज खुलेगा नतीजों का पिटारा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना आज यानी 14 नवंबर को है. राज्य की 243 सीटों में से 122 के बहुमत के लिए मुकाबला बेहद दिलचस्प बना हुआ है. एग्जिट पोल्स में एनडीए (NDA) को बढ़त दिख रही है, जबकि महागठबंधन (RJD-कांग्रेस-लेफ्ट) पिछड़ता नजर आ रहा है. हालांकि, क्षेत्रीय विविधता, सीट-वार मुकाबले और नए दलों की एंट्री से नतीजे चौंका सकते हैंय इस बार रिकॉर्ड 66.9% मतदान हुआ है, जो राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा है.
Bihar Election 2025 Counting, NDA Vs Mahagathbandhan: बिहार की 243 विधानसभा सीटों के नतीजों का इंतज़ार अब खत्म होने वाला है. आज यानी 14 नवंबर को मतगणना शुरू होगी और यह तय होगा कि राज्य में सत्ता की कुर्सी पर फिर से NDA बैठेगा या तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन वापसी करेगा. हालांकि शुरुआती एग्जिट पोल्स ने NDA को बढ़त दी है, लेकिन बिहार की जटिल राजनीतिक बुनावट को देखते हुए अंतिम नतीजे कई चौंकाने वाले मोड़ ला सकते हैं.
संख्याओं का खेल: क्या कहता है ग्राउंड डेटा?
- कुल सीटें: 243
- बहुमत का आंकड़ा: 122
- पहले चरण की वोटिंग (6 नवंबर): 65.08%
- दूसरे चरण की वोटिंग (11 नवंबर): 68.76%
- कुल औसत मतदान: करीब 66.9% , जो बिहार के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक है.
- इतनी बड़ी भागीदारी बताती है कि जनता में इस बार चुनाव को लेकर असाधारण उत्साह था.
एग्जिट पोल्स का रुझान: NDA को बढ़त, RJD पीछे
देश की कई प्रमुख सर्वे एजेंसियों ने मतदान समाप्त होने के बाद अपने एग्जिट पोल्स जारी किए हैं. ज्यादातर सर्वेक्षणों में NDA को बहुमत के पार बताया गया है, जबकि महागठबंधन (RJD, कांग्रेस और वाम दलों का गठजोड़) पिछड़ता हुआ दिख रहा है. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे विविध राजनीतिक परिदृश्य में एग्जिट पोल्स पूरी तस्वीर नहीं दिखा पाते. सीट-स्तर पर मामूली वोट शेयर का अंतर भी परिणामों को उलट सकता है.
क्यों चौंका सकते हैं नतीजे
- क्षेत्रीय असमानता: बिहार की राजनीति एकरूप नहीं है. पश्चिमी बिहार में जहां भाजपा का दबदबा है, वहीं मध्य और उत्तर बिहार में RJD का प्रभाव देखा जाता है. भोजपुर बेल्ट और सीमांचल जैसे इलाकों में स्थानीय दलों और जातीय समीकरणों की भूमिका निर्णायक हो सकती है.
- सीट बनाम वोट शेयर: वोट प्रतिशत में मामूली बढ़त भी सीटों में बड़ा अंतर ला सकती है. कई सीटों पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबले हुए हैं, जिससे अप्रत्याशित परिणाम संभव हैं.
- छोटे दलों और नए खिलाड़ियों की भूमिका: आम आदमी पार्टी (AAP) सहित कई छोटे दलों ने सभी 243 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं. इनके वोट कटने से बड़ी पार्टियों का नुकसान या फायदा दोनों हो सकता है.
- रिकॉर्ड टर्नआउट का असर: अधिक मतदान का लाभ किसे मिलेगा, NDA को या महागठबंधन को, यह तय करेगा कि जनता के मूड को कौन बेहतर भांप पाया.
- मुख्य गठबंधन और समीकरण: NDA ने इस चुनाव में भाजपा, जद(यू) और अन्य सहयोगी दलों के साथ तालमेल के तहत मैदान में उतरकर सीटों का बंटवारा किया. वहीं, महागठबंधन ने RJD और कांग्रेस के बूते सत्ता में वापसी का दावा किया. तेजस्वी यादव ने युवाओं, रोजगार और महंगाई को मुख्य मुद्दा बनाया, जबकि NDA ने विकास, कानून व्यवस्था और मोदी-नीतीश नेतृत्व पर भरोसे को केंद्र में रखा.
अब सबकी नजरें मतगणना के नतीजों पर
एग्जिट पोल्स ने NDA को थोड़ी बढ़त दी है, लेकिन बिहार का इतिहास बताता है कि अंतिम परिणाम कई बार राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका चुके हैं. उच्च मतदान, त्रिकोणीय मुकाबले और क्षेत्रीय विविधता मिलकर नतीजों की दिशा किसी भी तरफ मोड़ सकते हैं. आज का दिन तय करेगा, क्या नीतीश कुमार फिर सत्ता में लौटेंगे, या तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति का नया चेहरा बनेंगे.





