बिहार चुनाव 2025: सर्वे में कांटे की टक्कर, NDA को मामूली बढ़त - महागठबंधन पीछे लेकिन खेल अभी बाकी
JVC ओपिनियन पोल के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए को मामूली बढ़त मिलती दिख रही है. सर्वे में एनडीए को 120–140 सीटें और महागठबंधन (MGB) को 93–112 सीटें मिलने का अनुमान है. वोट शेयर में भी एनडीए को 41–43% और महागठबंधन को 39–41% वोट मिलने की संभावना जताई गई है. बिहार में दो चरणों में मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. मुकाबला बेहद कांटे का रहने वाला है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बार फिर सियासी संग्राम अपने चरम पर है. ताजा टाइम्स-नाऊ JVC ओपिनियन पोल के अनुसार, इस बार मुकाबला बेहद रोमांचक होने वाला है. सर्वे में एनडीए को मामूली बढ़त दिख रही है, जबकि महागठबंधन उसके ठीक पीछे है.
बिहार की 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा - पहले चरण में 6 नवंबर और दूसरे में 11 नवंबर को. मतगणना 14 नवंबर को होगी. एनडीए की अगुवाई भाजपा और जेडीयू कर रही हैं, जबकि महागठबंधन की कमान तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी के हाथों में है. इस सर्वे के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि सत्ता का रास्ता इस बार भी आसान नहीं होगा और कुछ सीटों का अंतर तय करेगा कि बिहार का सिंहासन किसे मिलेगा.
NDA को मिली मामूली बढ़त
JVC पोल के मुताबिक, एनडीए गठबंधन को 120 से 140 सीटों के बीच जीत मिलने का अनुमान है. वहीं, महागठबंधन (MGB) को 93 से 112 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. यानी दोनों गठबंधनों के बीच सिर्फ कुछ सीटों का फासला है - जो बताता है कि जनता का मूड अब भी पूरी तरह किसी एक पक्ष में झुका नहीं है.
एनडीए के अंदर सबसे ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी (BJP) को मिलता दिख रहा है. सर्वे के अनुसार बीजेपी को 70 से 81 सीटें मिल सकती हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) [JD(U)] को 42 से 48 सीटों के बीच जीत का अनुमान है. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5 से 7 सीटें, जीतनराम मांझी की हम पार्टी को 2 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोकमत पार्टी (RLM) को 1 से 2 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है.
तेजस्वी यादव के लिए मुश्किल लेकिन उम्मीद बाकी
महागठबंधन की बात करें तो आरजेडी के नेतृत्व में गठबंधन को 93 से 112 सीटें मिलने की संभावना है. इनमें से अकेले आरजेडी को 69 से 78 सीटें मिल सकती हैं, जबकि कांग्रेस 9 से 17 सीटें जीत सकती है. वामदलों - सीपीआई(एमएल), सीपीआई और सीपीएम - को मिलाकर 14 से 17 सीटें मिलने का अनुमान है. सर्वे यह भी दर्शाता है कि महागठबंधन के लिए यह चुनाव ‘करो या मरो’ की स्थिति में बदल चुका है. आरजेडी उपाध्यक्ष तेजस्वी यादव के लिए यह मौका अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता साबित करने का भी है, खासकर तब जब पिछली बार सत्ता उनके हाथ से फिसल गई थी.
नए खिलाड़ियों की एंट्री
इस चुनाव में प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पार्टी’ पहली बार मैदान में है. सर्वे के अनुसार, पार्टी एक सीट खोल सकती है और लगभग 6 से 7 प्रतिशत वोट शेयर हासिल कर सकती है. यह वोट शेयर आने वाले चुनावों में बिहार की राजनीति का समीकरण बदल सकता है. वहीं, एआईएमआईएम, बीएसपी और अन्य छोटे दलों को मिलाकर कुल 8 से 10 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. ये सीटें अगर निर्णायक रहीं तो ‘किंगमेकर’ का रोल भी निभा सकती हैं.
वोट शेयर में भी एनडीए आगे
सिर्फ सीटों में ही नहीं, बल्कि वोट शेयर में भी एनडीए को मामूली बढ़त दिखाई गई है. JVC सर्वे के मुताबिक एनडीए को 41% से 43% वोट मिलने का अनुमान है, जबकि महागठबंधन को 39% से 41% वोट मिलने की संभावना है. जन सुराज पार्टी को 6% से 7% वोट और बाकी दलों को 10% से 11% वोट मिलने का अनुमान है. यानी वोट शेयर का अंतर केवल 2% है, जो चुनाव के अंतिम चरण में किसी भी समय पलट सकता है.
दो चरणों में मतदान, 14 नवंबर को नतीजे
चुनाव आयोग ने 6 अक्टूबर को बिहार विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित किया था. 243 सीटों पर मतदान दो चरणों में होगा - पहला चरण 6 नवंबर और दूसरा चरण 11 नवंबर को. मतगणना 14 नवंबर को होगी. इस बार का चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि यह तय करेगा कि क्या नीतीश कुमार और भाजपा की जोड़ी फिर से सत्ता में लौटेगी या तेजस्वी यादव बिहार में बदलाव का नया अध्याय लिखेंगे.
बिहार का चुनावी माहौल और प्रमुख मुद्दे
बिहार के मतदाता इस बार जातीय समीकरणों से आगे बढ़कर विकास, रोजगार, शिक्षा और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर भी विचार कर रहे हैं. पिछले कुछ महीनों में अपराध के मामलों में बढ़ोतरी, बाढ़, किसान समस्याएं और बेरोजगारी जैसे विषय लोगों की चर्चा में हैं. एनडीए जहां “विकास, स्थिरता और शासन” का नारा दे रही है, वहीं महागठबंधन “नौकरी, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और युवाओं की आवाज” पर फोकस कर रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार का मुकाबला सिर्फ नीतीश बनाम तेजस्वी नहीं, बल्कि ‘पुराने शासन बनाम नई उम्मीदों’ के बीच है.





