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जन सुराज से टिकट ले सुर्खियों में आए रिटायर्ड IAS-IPS, टेक्नोक्रैट और शिक्षाविद, राजनीतिक दलों में कितने कामयाब रहे हैं ऐसे नेता?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार सियासी दलों ने केवल परंपरागत नेताओं पर भरोसा नहीं किया, बल्कि रिटायर्ड IAS, IPS, डॉक्टर, इंजीनियर और प्रोफेसर जैसे विशेषज्ञों को टिकट देकर अपनी ताकत इमेज बनाने में लगे हैं. यह आने वाले समय में रणनीति और राजनीतिक परिदृश्य में नए समीकरण पैदा कर सकती है, जिसका लाभ प्रदेश को लोगों को मिल सकता है.

जन सुराज से टिकट ले सुर्खियों में आए रिटायर्ड IAS-IPS, टेक्नोक्रैट और शिक्षाविद, राजनीतिक दलों में कितने कामयाब रहे हैं ऐसे नेता?
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Bihar Elections 2025: बिहार की राजनीतिक पार्टियों ने इस बार IAS, IPS, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षाविद और प्रोफेसर नेताओं को टिकट देकर चुनावी रणनीति में नया मोड़ ला दिया है. फिलहाल, प्रशांत किशोर की 51 प्रत्याशियों की सूची में शामिल ऐसे उम्मीदवार सुर्खियों में हैं. हालांकि, राजनीति में यह कोई नई बात नहीं है. इससे पहले भी कई रिटायर्ड अधिकारी और विशेषज्ञ राजनीति में अपनी अलग पहचान से लेकर प्रदेश से केंद्र सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं.

वर्तमान में ऐसे लोगों में आरजेडी के मनोज झा हैं, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और राज्यसभा में मेंबर होने के साथ पार्टी के प्रवक्ता भी है. आरजेडी के रघुवंश प्रसाद सिंह प्रोफेसर रहे हैं. इसी तरह कांग्रेस से शकील अहमद भी शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हैं. वह केंद्र सरकार में मंत्री से लेकर सांसद और विधायक की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं.

ये लोग भी निभा रहे राजनीति में अहम भूमिका

यानी बिहार की सियासत में अब परंपरागत नेता ही नहीं, बल्कि शिक्षाविद, टेक्नोक्रेट, आईएएस, डॉक्टर,और आईपीएस भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. जैसे जन सुराज पार्टी ने ही नहीं, बल्कि कांग्रेस, बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी ने भी आईएएस, आईपीएस, प्रोफेसर, डॉक्टर और इंजीनियर जैसे पेशेवरों को टिकट देकर सुर्खियां बटोरी हैं. इस चुनावी माहौल में जन सुराज पार्टी की पहली सूची ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मुहिम में सियासी पार्टियों को कितनी सफलता मिलती है.

इससे यह संकेत मिलता है कि राजनीतिक पार्टियां अब सिर्फ जाति या क्षेत्रीय समीकरणों पर नहीं, बल्कि प्रशासनिक क्षमता और विशेषज्ञता को भी अहम मान रही हैं. इससे दो बातें साफ होती हैं:

सियासी व्यवस्था को कितना मिलेगा इसका लाभ?

इसमें पहला यह है कि ऐसा करने से पॉलिटिकल सिस्टम में तकनीकी और नीति निर्माण क्षमता बढ़ेगी. ऐसे उम्मीदवार प्रशासनिक अनुभव और विशेषज्ञता के कारण चुनाव के बाद बेहतर योजना और क्रियान्वयन को लागू करवा सकते हैं. दूसरा इससे सियासी छवि में बदलाव में बदलाव आएगा.जनता को अब पारंपरिक नेता के बजाय योग्य और सक्षम व्यक्तियों को मौका देने का आधार मिलेगा.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए जन सुराज पार्टी ने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की है, जिसमें कई पूर्व आईएएस, आईपीएस, शिक्षाविद, और टेक्नोक्रेट शामिल हैं. इस सूची में पूर्व जेडीयू नेता जयंति पटेल, जो भाजपा महिला मोर्चा की प्रवक्ता भी रह चुकी हैं और पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष विनय कुमार वरुण जैसे नाम शामिल हैं.

प्रशांत किशोर ने जन सुराज की पहली सूची को बिहार में व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में एक अहम कदम बताया है. उनका कहना है कि उम्मीदवारों का चयन उनकी योग्यता, समाज में योगदान और जनता के बीच स्वीकार्यता के आधार पर किया गया है. हालांकि, कुछ नेताओं ने टिकट वितरण में पारदर्शिता की कमी और जातिवाद का आरोप लगाया है. आइएए जानते हैं बिहार के किस दल ने किसे आगे बढ़ाया.

1. जेडीयू

नीतीश कुमार की नेतृत्व वाला जनता दल यूनाइटेड ने आर.सी.पी. सिंह – पूर्व IAS अधिकारी (UP कैडर) को काफी आगे बढ़ाया. आरसीपी सिंह न केवल जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने, बल्कि केंद्रीय मंत्री भी बने. ये बात अलग है कि कुछ मतभेदों की वजह से उन्होंने जेडीयू से दूरी बना ली. इसी तरह पूर्व अधिकारी अनूप शर्मा ने भी जेडीयू के संगठन में अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं. सुनील कुमार पिन्टू भी प्रशासनिक पृष्ठभूमि हैं और जेडीयू से जुड़े हैं. राजेश मान पूर्व IPS जेडीयू की चुनावी कमेटी में सलाहकार हैं. सुधीर कुमार (पूर्व IPS) बिहार में कानून-व्यवस्था सुधार में अहम काम कर रहे हैं.

जेडीयू से जुड़े शिक्षाविदों की बात करें तो गुलाम रसूल बलियावी शिक्षक पृष्ठभूमि से आए. राज्यसभा सांसद बने. डॉ. निखिल मंडल – समाजसेवा और मेडिकल फील्ड से हैं और जेडीयू से जुड़े हैं. मधेपुरा में सक्रिय डॉ. ललन सिंह स्वास्थ्य नीति और ग्रामीण चिकित्सा सुधार अभियानों से जुड़े हैं. टेक्नोक्रेट में नीतीश कुमार खुद इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हैं. संजय झा भी इंजीनियरिंग और कॉर्पोरेट अनुभव वाले नेता हैं. नीतीश के बेहद करीबी और मंत्री रहे शैलेश कुमार इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के हैं.

2. आरजेडी

राष्ट्रीय जनता दल बिहार की बात करें तो डॉ. फैयाज अहमद RJD के नेता और राज्यसभा सांसद हैं. मधुबीनी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का संचालन करते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने काफी काम किया है. करुणा सागर पूर्व IPS अधिकारी तमिलनाडु कैडर के IPS अधिकारी RJD में शामिल हुए, बाद में उन्होंने RJD छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह शिक्षाविद लालू यादव के करीबी नेताओं में शुमार थे.

3. बीजेपी

बिहार भारतीय जनता पार्टी में ऐसे नेताओं की कमी नहीं है. डॉ. सुनील कुमार BJP के चार बार के विधायक बिहार शरीफ पहले जनता दल यूनाइटेड के सदस्य थे, बिहार सरकार में पर्यावरण और वन मंत्री भी रह चुके हैं. डॉ. सीपी ठाकुर एशिया फेम डॉक्टर थे. डॉ. सीपी ठाकुर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी हैं. वह बिहार के एक प्रमुख चिकित्सक भी रहे हैं. डॉ. संजय कुमार सिंह बीजेपी से जुड़े हैं और बिहार विधानसभा में विधायक हैं. वह चिकित्सा सेवा क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं. इसी तरह भीम सिंह चंद्रवंशी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और 2024 से बिहार से राज्यसभा सांसद बिहार में पार्टी के उपाध्यक्ष भी हैं.

4. कांग्रेस

जय प्रकाश सिंह 2000 बैच के आईपीएस अधिकारी कांग्रेस से जुड़े रहे और हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) के रूप में कार्य किया. हाल ही में उन्होंने जन सुराज पार्टी जॉइन कर ली है. पार्टी ने छपरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है. दिनेश कुमार राय वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, जो राजस्व सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद कागारह विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. डॉ. मोहम्मद जावेद किशनगंज से कांग्रेस के मौजूदा सांसद, जो चिकित्सक भी हैं और 2010 से 2019 तक बिहार विधान सभा के सदस्य भी रहे हैं. इंजीनियर संजीव सिंह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता और पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष, जो वैशाली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

5. जन सुराज

जन सुराज पार्टी पहली बार बिहार में चुनाव लड़ रही है. उसने 51 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कि. इनमें प्रत्याशी तो सिर्फ पूर्व आईपीएस अफसर हैं, जो डीआईजी से डीज तक के पदों पर काम कर चुके हैं. जिन रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों को उन्होंने थोक के भाव में टिकट दिए हैं उनमें - जन सुराज अभियान से जुड़े सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों में समस्तीपुर से जितेंद्र मिश्रा हैं. ये सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) होम गार्ड रह चुके हैं. एस. के. पासवान (वैशाली) सेवानिवृत महानिदेशक (DG) 1979 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, केबी सिंह (सारण) सेवानिवृत पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) संचार 1983 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, राकेश कुमार मिश्रा (सहरसा) सेवानिवृत महानिदेशक (DG) 1986 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, सीपी किरण (पटना) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) पुलिस 1989 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, मो. रहमान मोमिन (भोजपुर) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) तकनीकी सेवाएं, शंकर झा सेवानिवृत इंडियन पुलिस सर्विस, दिलीप मिश्रा सेवानिवृत इंडियन पुलिस सर्विस, उमेश सिंह (बेगूसराय) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG Vigilance) 1984 इंडियन पुलिस सर्विस बैच, अनिल सिंह (सुपौल) सेवानिवृत पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) मुजफ्फरपुर, शिवा कुमार झा (सुपौल) सेवानिवृत पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) इकोनॉमिक्स अफेयर और अशोक कुमार सिंह (सिवान) सेवानिवृत पुलिस महानिरीक्षक (IG) प्रमुख हैं. इसके अलावा, पहली सूची में कुछ आईएएस और डॉक्टरों को भी पीके से टिकट दिए हैं.

जन सुराज पार्टी ने मशहूर गणितज्ञ केसी सिन्हा - कुम्हरार, पटना हाईकोर्ट के बड़े वकील वाई. बी. गिरी को मांझी, मोतिहारी के बड़े डॉक्टर डॉ एल.बी. प्रसाद को - ढाका, मुजफ्फरपुर के बड़े डॉक्टर डॉ ए.के. दास को मुजफ्फरपुर और RCP सिंह की बेटी व वकील लता सिंह को अस्थावां से टिकट दिया है.

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