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Bihar Election 2025: किन पांच सीटों पर फंस गया कांग्रेस-आरजेडी का पेंच, महागठबंधन में छाए संकट के बादल

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर टकराव गहराता जा रहा है. कांग्रेस और आरजेडी के बीच सहरसा, कहलगांव, बायसी, बहादुरगंज और रानीगंज सीटों पर मतभेद जारी हैं. दोनों दल अपने-अपने दावे से पीछे हटने को तैयार नहीं. देर रात तक चली बैठकों के बावजूद फैसला नहीं हो पाया. महागठबंधन पर अंदरूनी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

Bihar Election 2025: किन पांच सीटों पर फंस गया कांग्रेस-आरजेडी का पेंच, महागठबंधन में छाए संकट के बादल
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( Image Source:  sora ai )
नवनीत कुमार
Curated By: नवनीत कुमार

Updated on: 11 Oct 2025 7:57 AM IST

बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और ऐसे में कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे को लेकर टकराव गहराता जा रहा है. महागठबंधन के भीतर लगातार बैठकें हो रही हैं, मगर नतीजा अब तक नहीं निकल सका है. सूत्रों के मुताबिक, पांच प्रमुख सीटें सहरसा, कहलगांव, बायसी, बहादुरगंज और रानीगंज पर दोनों दलों के बीच राय नहीं बन पा रही है. देर रात तक चली रणनीतिक बैठकों में भी कोई हल नहीं निकला, जिससे उम्मीदवारों की घोषणा एक बार फिर टल गई.

सहरसा सीट को लेकर कांग्रेस और आरजेडी दोनों के अपने-अपने दावे हैं. शुरुआत में खबर आई थी कि यह सीट कांग्रेस अपने सहयोगी इंडिया इनक्लूसिव पार्टी (IIP) को देगी और वहां से आईपी गुप्ता उम्मीदवार होंगे. लेकिन अब आरजेडी का दावा है कि सहरसा की राजनीतिक ज़मीन पर उसका जनाधार ज्यादा है. 2015 के चुनाव में इस सीट से आरजेडी की उम्मीदवार लवली आनंद को बीजेपी के आलोक रंजन ने करीब 20 हजार मतों से हराया था. आरजेडी का तर्क है कि यह सीट वह बहुत कम अंतर से हारी थी, इसलिए उसे दोबारा मौका मिलना चाहिए. वहीं, कांग्रेस मानती है कि सीमांचल की सामाजिक समीकरणों को देखते हुए यहां उसका उम्मीदवार बेहतर प्रदर्शन करेगा.

कहलगांव: कांग्रेस की सीट पर आरजेडी का दावा

कहलगांव सीट पर कांग्रेस किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. यह वही सीट है जहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह लगातार कई बार विधायक रहे और इसे पार्टी का गढ़ माना जाता है. पिछले चुनाव में हालांकि यहां बीजेपी को जीत मिली थी, लेकिन कांग्रेस का दावा है कि स्थानीय स्तर पर उसका संगठन अब भी मज़बूत है. आरजेडी इस सीट पर अपने नए चेहरे को मौका देना चाहती है, मगर कांग्रेस साफ कह रही है कि वह इस “विरासत सीट” को छोड़ नहीं सकती. यही वजह है कि महागठबंधन में इस सीट पर गतिरोध गहराता जा रहा है.

सीमांचल की दो सीटों पर कांग्रेस का जोर

सीमांचल की राजनीति हमेशा से बिहार में खास अहमियत रखती रही है. बायसी और बहादुरगंज सीटों पर कांग्रेस का रुख बिल्कुल साफ है — पार्टी इन दोनों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस का कहना है कि लोकसभा चुनाव में सीमांचल क्षेत्र में उसके प्रदर्शन में सुधार हुआ है और यदि पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी (JAP) को साथ रखा जाए तो सीमांचल में महागठबंधन को निर्णायक बढ़त मिल सकती है. गौरतलब है कि पिछली बार बायसी और बहादुरगंज से ओवैसी की पार्टी AIMIM ने जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में दोनों विधायक आरजेडी में शामिल हो गए. कांग्रेस का कहना है कि इन विधायकों के खिलाफ जनता में नाराजगी है, इसलिए अब इन सीटों को उसे दिया जाना चाहिए.

रानीगंज: हार के बावजूद आरजेडी का दावा

रानीगंज सीट पर भी टकराव जारी है. आरजेडी का दावा है कि वह पिछली बार यहां से मात्र 2,500 वोटों के अंतर से हारी थी, इसलिए इस बार पार्टी को मौका मिलना चाहिए. दूसरी ओर, कांग्रेस का तर्क है कि 2020 के चुनाव के बाद क्षेत्र में उसके संगठन का विस्तार हुआ है और कई स्थानीय नेता अब कांग्रेस के साथ हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह सीट सामाजिक समीकरणों के लिहाज से बेहद जटिल है. यहां दलित और पिछड़ी जातियों का मत निर्णायक भूमिका निभाता है, जिस पर दोनों पार्टियां बराबरी का दावा करती हैं.

गठबंधन पर संकट के बादल

इन पांचों सीटों पर मतभेद सिर्फ चुनावी रणनीति तक सीमित नहीं है. यह विवाद अब महागठबंधन की दिशा तय करने वाला मुद्दा बन गया है. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने पर भी कांग्रेस और आरजेडी के बीच राय नहीं बन पा रही है. कांग्रेस का मानना है कि फिलहाल चेहरे की घोषणा से पहले साझा घोषणा पत्र और उम्मीदवारों की सूची पर फोकस करना चाहिए, जबकि आरजेडी चाहती है कि तेजस्वी को तुरंत आगे किया जाए ताकि कार्यकर्ताओं में स्पष्ट संदेश जाए.

कांग्रेस के पर्यवेक्षक और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मीडिया से कहा, “अभी बातचीत जारी है. सीटों पर सहमति देर से भले हो, लेकिन सही तरीके से हो.” अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि आने वाले दिनों में महागठबंधन इस अंदरूनी खींचतान से निकलकर एकजुट होकर मैदान में उतर पाता है या नहीं.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025
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