बिहार चुनाव 2025: ओवैसी डाल रहे तेज प्रताप यादव पर डोरे, RJD में मचेगी हलचल; क्या बनेगा नया गठबंधन?
असदुद्दीन ओवैसी अपने मिशन में कामयाब हुए तो बिहार की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है. ऐसा इसलिए कि AIMIM प्रमुख ने जनशक्ति जनता दल नेता तेज प्रताप यादव से संपर्क साधा है. दोनों नेताओं की बातचीत के बाद अटकलें तेज हैं कि क्या ओवैसी, तेज प्रताप के साथ मिलकर बिहार में नया मोर्चा बनाने की तैयारी कर रहे हैं?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के कार्यक्रमों का एलान के बाद से सियासी जंग तेज हो गई है. महागठबंधन में लालू यादव यादव जगह देने से इनकार करने से नाराज AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेज प्रताप यादव पर डोरे डालते नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि ओवैसी ने इसके लिए तेज प्रताप से संपर्क किया है. इस कदम को कई राजनीतिक विश्लेषक RJD में ‘नए समीकरण’ के संकेत के रूप में देख रहे हैं. अगर तेज प्रताप ओवैसी के प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं तो यह आरजेडी में तूफान खड़ा कर सकता है.
एआईएमआईएम प्रमुख ओवैसी ने बहुजन समाज पार्टी और पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव से संपर्क साधा है. इसके साथ ही स्वामी प्रसाद मौर्य को भी साथ लाने की कोशिश है और उनसे भी संपर्क किया है. सूत्रों ने अनुसार दो से तीन दिनों में तीसरे मोर्चे का स्वरूप सामने आ सकता है. इस बार ओवैसी की पार्टी बिहार में कम से कम सौ सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.
हमने तो सिर्फ 6 सीटें मांगी थी
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने इससे पहले आरजेडी यानी महागठबंधन के नेता से छह सीटों की मांग की थी लेकिन बात नहीं बन पाई. लालू यादव ने एआईएमआईएम को महागठबंधन में लेने या सीट देने से साफ इनकार कर दिया था. इस पर असदुद्दीन ओवैसी ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और लालू यादव पर हमला बोलते हुए कहा था, "हम लोग सिर्फ 6 सीटें ही मांग रहे थे, लेकिन उन्होंने नहीं दिया."
ओवैसी की नजर यादव वोट बैंक पर
AIMIM प्रमुख ओवैसी बिहार में अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले महागठबंधन में शामिल होने की कोशिश की थी. 2020 में संपन्न विधानसभा चुनावों में सीमांचल की 24 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन यादव वोट बैंक तक पहुंचने के लिए पार्टी को किसी स्थानीय और प्रभावशाली चेहरे की तलाश है. तेज प्रताप यादव, लालू परिवार का हिस्सा होने के साथ यादव समाज में अपनी पहचान रखते हैं, जिससे ओवैसी को बड़ा राजनीतिक लाभ मिल सकता है.
तेज प्रताप की नाराजगी का मिल सकता है लाभ
पिछले कुछ महीनों के दौरान तेज प्रताप यादव कई बार अपनी ही पार्टी के नेताओं और फैसलों से असहज नजर आए हैं. कुछ मौकों पर उन्होंने संकेत दिए कि उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा. ऐसे में AIMIM जैसे दल के साथ नया राजनीतिक समीकरण उनके लिए एक विकल्प बन सकता है.
गठबंधन बनाने में कामयाब होंगे ओवैसी!
बिहार के सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर ओवैसी और तेज प्रताप की बातचीत आगे बढ़ती है, तो बिहार में तीसरे मोर्चे की नींव रखी जा सकती है. यह गठबंधन RJD के परंपरागत वोट बैंक को झटका दे सकता है. फिलहाल, दोनों दलों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
2025 चुनाव पर क्या पड़ेगा असर
अगर AIMIM और तेज प्रताप जैसे चेहरे साथ आते हैं, तो बिहार की राजनीति में नई दिशा तय हो सकती है. ओवैसी यादव वोट बैंक में सेंध लगाने में कुछ हद तक कामयाब हो सकते हैं. खासकर सीमांचल और यादव बेल्ट के वोट एक ही मंच पर आने से कई पारंपरिक समीकरण बदल जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव AIMIM ने बिहार में पांच सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया था. पार्टी ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे.
2020 में यहां से जीती थी AIMIM
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जोकीहाट से शाहनवाज, बहादुरगंज से मोहम्मद अंजार नईमी, किशनगंज से इजहारुल हुसैन, कोचाधमन मुहम्मद इजहार असफी और बैसी से सैयद रुकुद्दीन अहमद.
तेज प्रताप यादव ने नहीं खोले पत्ते
तेजप्रताप यादव बिहार में कितनी सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे. इसके पत्ते साफ नहीं किए हैं. तेज प्रताप यादव खुद महुआ से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हुए हैं. अभी वो हसनपुर से विधायक हैं. आरजेडी ने उन्हें बाहर निकाल दिया है. इससे बिहार का चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है.