15 साल में माता-पिता? 50 साल का Age गैप? बंगाल की वोटर लिस्ट पर SIR की रिपोर्ट ने मचाया हड़कंप
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण में बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पिता के नाम में गड़बड़ी, मतदाता और माता-पिता की उम्र में अवास्तविक अंतर, लाखों मृत और ट्रेस न हो पाने वाले मतदाता, एक से अधिक जगह पंजीकरण और गलत जेंडर एंट्री जैसे गंभीर मामले उजागर हुए हैं. चुनाव आयोग ने इन विसंगतियों को गंभीरता से लेते हुए Enumeration Forms की विस्तृत जांच और संदिग्ध मतदाताओं को हियरिंग के लिए बुलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के पहले चरण ने चुनावी व्यवस्था की जड़ों को हिलाने वाली तस्वीर पेश कर दी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रक्रिया में मतदाताओं की पहचान, उम्र, माता-पिता के नाम और पारिवारिक मैपिंग से जुड़ी लाखों गंभीर विसंगतियां सामने आई हैं. हालात इतने चिंताजनक हैं कि चुनाव आयोग (ECI) को अब Enumeration Forms की डिटेल वेरिफिकेशन कराने और बड़ी संख्या में मतदाताओं को हियरिंग के लिए बुलाने का फैसला लेना पड़ा है.
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सूत्रों के अनुसार, SIR के तहत 2002 की वोटर लिस्ट को आधार बनाकर नई एंट्री करने वाले मतदाताओं की पैरेंटेज और फैमिली मैपिंग की गई. इसी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पकड़ी गईं. ECI के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 58,08,232 Enumeration Forms ऐसे हैं, जो Block Level Officer (BLO) ऐप पर अपलोड ही नहीं हुए.
इन 58 लाख से ज्यादा फॉर्म्स में से
- 24,18,699 मतदाता मृत पाए गए, 12,01,462 मतदाता ट्रेस नहीं हो सके,
- 19,93,087 मतदाता स्थायी रूप से स्थानांतरित पाए गए,
- 1,37,475 मतदाता एक से ज्यादा जगहों पर पंजीकृत मिले,
- जबकि 57,509 अन्य संदिग्ध मामलों में रखे गए हैं.
पिता के नाम में गड़बड़ी सबसे बड़ा मुद्दा
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिता के नाम में गड़बड़ी सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है. करीब 85,01,486 मामलों में पिता का नाम गलत या मिसमैच पाया गया, जो राज्य के कुल मतदाताओं का 11.09% है. यह आंकड़ा अपने आप में मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.
15 साल के माता-पिता वाले 13 लाख से ज्यादा मामले
इतना ही नहीं, SIR के दौरान उम्र से जुड़ी विसंगतियां भी चौंकाने वाली रहीं. करीब 13 लाख मामलों में मतदाता और उसके माता-पिता की उम्र का अंतर 15 साल से कम पाया गया, जबकि 8,77,736 मामलों में यह अंतर 50 साल से ज्यादा है, जिसे अवास्तविक माना जा रहा है. इसके अलावा, दादा-दादी से जुड़ी फैमिली मैपिंग में भी बड़ी गड़बड़ी सामने आई. लगभग 3,29,152 मामलों में मतदाता और उसके दादा-दादी के बीच उम्र का अंतर 40 साल से कम पाया गया, जो सामान्य सामाजिक ढांचे से मेल नहीं खाता.
24 लाख से ज्यादा वोटरों के 6 से ज्यादा बच्चे
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 24,21,133 मतदाताओं के नाम पर छह से ज्यादा बच्चे दर्ज हैं, जो डेटा की गंभीर त्रुटियों की ओर इशारा करता है. वहीं, 20,74,256 ऐसे मतदाता भी मिले हैं, जिनकी उम्र 45 साल से ज्यादा है और उन्होंने पहली बार वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया है. इसे भी चुनाव आयोग संदिग्ध मान रहा है.
58 लाख फॉर्म्स कलेक्ट ही नहीं हो सके
लिंग (Gender) डेटा में भी भारी गड़बड़ी पकड़ी गई है. करीब 13,46,918 एंट्री गलत जेंडर के साथ दर्ज पाई गईं, जिससे मतदाता पहचान की सटीकता पर और सवाल खड़े हो गए हैं. 2025 की मतदाता सूची के अनुसार, पश्चिम बंगाल में कुल 7.66 करोड़ वोटर दर्ज हैं. इनमें से करीब 58 लाख फॉर्म्स कलेक्ट नहीं हो सके, लगभग 30 लाख मतदाताओं की कोई मैपिंग नहीं है, 2.93 करोड़ मतदाताओं की सेल्फ-मैपिंग, जबकि 3.84 करोड़ मतदाताओं की प्रोजेनी-मैपिंग की गई है.
चुनाव आयोग के अधिकारी के मुताबिक, “इन सभी मामलों की फील्ड सर्वे और डेटा एनालिसिस के जरिए दोबारा जांच की जाएगी. इसके बाद तय किया जाएगा कि किन मतदाताओं को हियरिंग के लिए बुलाया जाए. प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.” राजनीतिक हलकों में इस खुलासे को लेकर हलचल तेज हो गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते इन गड़बड़ियों को दुरुस्त नहीं किया गया, तो आने वाले चुनावों की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं.





