शाहाबाद-मगध की इन 48 सीटों पर कितना काम आएगा पवन सिंह का फैक्टर, क्या है समीकरण, NDA को कितना मिलेगा लाभ?
बिहार चुनाव 2025 में भोजपुरी स्टार पवन सिंह सिर्फ सिनेमा के मंच पर नहीं, बल्कि राजनीतिक मंच पर भी चर्चा में हैं. शाहाबाद और मगध की 48 विधानसभा सीटों पर उनके प्रभाव को लेकर सियासी गलियारों की राजनीति सुर्खियों में है. सवाल ये है - क्या ‘पवन फैक्टर’ एनडीए के लिए वरदान साबित होगा या विपक्ष के लिए चुनौती बनेगा? सीटों के समीकरण और जातीय संतुलन के लिहाज से यह क्षेत्र पवन सिंह की वजह से दिलचस्प हो गया है.

शाहाबाद और मगध क्षेत्र की 48 सीटें बिहार की राजनीति का केंद्र मानी जाती हैं. भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, गया, और औरंगाबाद जिलों की इन सीटों पर भोजपुरी संस्कृति, जातीय समीकरण और स्टार पावर-तीनों का गहरा असर पड़ता है. पवन सिंह का प्रभाव मुख्य रूप से भोजपुर-रोहतास बेल्ट में है, लेकिन उनकी लोकप्रियता अब गया और औरंगाबाद तक पहुंच चुकी है. एनडीए में शामिल होकर उन्होंने बीजेपी के लिए यादव, राजपूत, कोइरी और युवा मतदाताओं में एक नया समीकरण तैयार किया है. हालांकि, यह भी देखना होगा कि क्या उनका स्टारडम वोटों में तब्दील हो पाएगा या यह सिर्फ चुनावी शोर रहेगा.
इस बीच सोलह महीने बाद भोजपुरी एक्टर पवन सिंह ने अपने सियासी घर लौटने और 6 अक्टूबर को चुनाव आयोग द्वारा इलेक्शन कार्यक्रमों का एलान करने के बाद से राजनीति चरम पर पहुंच गया है. ऐसा इसलिए कि पवन सिंह को अपने पाले में बीजेपी के नेता शाहाबाद और मगध क्षेत्र की 48 सीटों पर वोटिंग से पहले विरोधियों के खिलाफ लीड लेने की राजनीति पर काम कर रहे हैं. इनमें से 22 सीटों पर एनडीए उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में पवन सिंह अहम भूमिका निभाएंगे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पवन सिंह ने बीजेपी में प्रवेश करते समय एक शर्त रखी थी कि उन्हें आरा विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जाए. भाजपा ने उनकी इस शर्त को मान ली है.
शाह का आशीर्वाद पवन के साथ
अब भोजपुरी स्टार पवन सिंह की बीजेपी में वापसी और आरा सीट से टिकट की अटकलें क्षेत्र का सियासी माहौल गरमा गया है. गृह मंत्री अमित शाह से आशीर्वाद ले चुके पवन का प्रभाव युवा-महिला वोटरों पर पड़ सकता है. आरजेडी यहां पलायन और बेरोजगारी पर हमला बोलेगी. जबकि जेडीयू विकास कार्ड खेलेगी. प्रशांत किशोर की जन सुराज सभी सीटों पर दांव लगाएगी.
यहां पर इस बात का जिक्र कर दें कि आरा से लोकसभा चुनाव 2024 में पवन सिंह ने काराकाट सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर 2 लाख 74 हजार से ज्यादा वोट पाकर एनडीए को नुकसान पहुंचाया था. वहीं पवन सिंह एक बार बीजेपी में लौट आए हैं. तीन दिन पहले वह उपेन्द्र कुशवाहा के साथ दिखाई दिए. उन्होंने कुशवाहा से आशीर्वाद भी मांगा था. उसके बाद से शाहाबाद और मगध क्षेत्र की 48 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और एनडीए को मजबूती मिलने की संभावना है.
BJP में भोजपुरी एक्टर का बढ़ेगा कद
बीजेपी में पवन सिंह के लौटने के पीछे पूर्व केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने पैरोकारी की थी. उनकी 'आरा से चुनाव लड़ने की संभावनाएं हैं. आरके सिंह ने खुद पार्टी पर इसके लिए दबाव भी बनाया था. इस बात को लेकर ये चर्चा भी हुई थी आरके सिंह पार्टी से नाराज चल रहे हैं. यही वजह है कि आरा विधानसभा सीट पिछले कुछ दिनों से चर्चा में है. बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार एवं रणनीति की जिम्मेदारी भी पवन सिंह को दी जा सकती है. खासकर शाहाबाद और मगध क्षेत्रों की सीटों पर.
शाहाबाद और मगध
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी पवन सिंह को शामिल करने के बाद शाहाबाद और मगध क्षेत्र की 48 सीटों में से 80% सीटों पर उनका प्रभाव बढ़ाना चाहती है. पवन सिंह सिर्फ उम्मीदवार नहीं होंगे बल्कि एनडीए के लिए प्रचार करेंगे और चुनावी रणनीति बनाने में भी भूमिका निभाएंगे.
फिलहाल, इस घटना ने भोजपुरी स्टार पवन सिंह की एनडीए में री- एंट्री ने बिहार चुनाव के समीकरणों को एक नया मोड़ दे दिया है. पिछले कुछ दिनों में पवन सिंह की राजनीतिक मुलाकातें संकेत दे रही थीं कि वह जल्द ही अपनी दूसरी राजनीतिक पारी शुरू करने जा रहे हैं. इसमें उन्होंने सीधे बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े से मुलाकात की और फिर उपेंद्र कुशवाहा जैसे एनडीए के सहयोगी नेता से मिले. पवन सिंह कुछ दिन पहले बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह से भी मिल चुके हैं. पिछले कुछ दिनों से आरके सिंह की बगावत ने भी पवन सिंह को बीजेपी में दोबारा आने का रास्ता तय कर दिया था. सियासी जानकार बताते हैं कि बीजेपी का यह दांव दोहरे खतरे से निपटने की रणनीति मानी जा रही है.
पवन ने सोशल मीडिया पर तस्वीर शेयर कर लिखा, "बिहार को विकसित बनाने में पूरा पावर लगाएंगे." इससे पहले, राष्ट्रीय लोक मोर्चा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से पैर छूकर माफी मांगी, जो 2024 लोकसभा चुनाव में काराकाट सीट पर एनडीए को नुकसान पहुंचाने वाले विवाद को सुलझा देती है."
बीजेपी बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने कहा था, "पवन सिंह बीजेपी में थे और रहेंगे." सूत्र बताते हैं, आरा विधानसभा सीट से उनका टिकट तय है. भोजपुर-बक्सर-रोहतास वाले शाहाबाद क्षेत्र की 22 सीटों पर पवन का प्रभाव युवा-महिला वोटरों को एनडीए की ओर खींच सकता है. राजपूत-यादव-कोइरी समीकरण वाली आरा पर बीजेपी का दबदबा है, जहां 2000 से लगातार जीत रही. पवन की एंट्री से सीट बंटवारे पर असर पड़ेगा, जहां जेडीयू-बीजेपी मंथन कर रही है."
इस बीच पवन सिंह पर उनकी ज्योति सिंह को लेकर बीजेपी के स्थानीय नेता ही सवाल उठा रहे हैं. बड़हरा, आरा के बीजेपी नेता अजय सिंह ने ज्योति मामले को उठाते हुए पवन पर निशाना साधा उन्होंने कहा, "एक बेटी रो-रोकर बिलख रही है, पवन को समझ नहीं आ रहा. समाज को क्या मैसेज देना चाहते हैं? हालांकि, पवन सिंह ने अपने ताजा बयान में कहा है कि ज्योति सिंह जब उनके आवास पर आईं थी तो उन्होंने ससम्मान अंदर बुलाकर उनसे डेढ़ घंटे तक बातचीत की थी.
शाहाबाद का सियासी समीकरण
चुनाव आयोग के अनुसार शाहाबाद के भोजपुर और बक्सर की विधानसभा सीटों पर पहले चरण यानी 6 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं रोहतास और कैमूर की 11 सीटों पर दूसरे चरण यानी 11 नवंबर को वोटिंग होगी. शाहाबाद की 22 विधानसभा सीटों की तो यहां 2 जिलों में पहले चरण और अन्य 2 जिलों में दूसरे चरण में मतदान होंगे. चुनाव आयोग के अनुसार शाहाबाद के भोजपुर और बक्सर की विधानसभा सीटों पर पहले चरण यानी 6 नवंबर को वोटिंग होगी. वहीं रोहतास और कैमूर की 11 सीटों पर दूसरे चरण यानी 11 नवंबर को वोटिंग होगी.
शाहाबाद का क्षेत्र- भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जिलों से मिलकर बना है. इस जिले में राजपूत, यादव, कोइरी और ब्राह्मण समीकरणों का गढ़ है. कुल 243 सीटों में ये 22 सीटें यानी करीब 9 प्रतिशत हैं इसी क्षेत्र से हैं. ये सीटें एनडीए के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं. 2020 में एनडीए ने 18 से अधिक सीटें जीतीं, लेकिन 2024 लोकसभा में पवन सिंह विवाद के बाद बीजेपी को झटका लगा.
शाहाबाद क्षेत्र की प्रमुख सीटें और वोटिंग तिथि
भोजपुर भोजपुर (7 सीटें)- आरा, अगिआंव, शाहपुर, बड़हरा, जगदीशपुर, तरारी और संदेश, 6 नवंबर
बक्सर बक्सर (4 सीटें)- बक्सर, डुमरांव, राजपुर (SC), ब्रह्मपुर, 6 नवंबर
कैमूर कैमूर (4 सीटें)- चैनपुर, मोहनिया (SC), भभुआ, रामगढ़ 11 नवंबर
रोहतास रोहतास (7 सीटें)- नोखा, डेहरी, काराकाट, करगहर, सासाराम, चेनारी, दिनारा 11 नवंबर
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मगध क्षेत्र में शामिल जिले और विधानसभा सीटें
मगध क्षेत्र (Magadh Region) बिहार का एक ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से अहम इलाका है. यह राज्य के दक्षिण-मध्य भाग में स्थित है और राजनीति, शिक्षा व संसाधनों के लिहाज से काफी प्रभावशाली माना जाता है. मगध क्षेत्र में कुल 26 विधानसभा सीटें शामिल हैं. इस क्षेत्र के प्रमुख जिले और विधानसभा सीटें.
सियासी इक्वेशन
मगध के अधिकतर ग्रामीण इलाकों में यादव समुदाय का प्रभाव है. यह आरजेडी (RJD) का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है. गया, नवादा, जहानाबाद आदि जिलों में इनकी संख्या खासकर ज्यादा है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) का यह मुख्य समर्थन आधार है. औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल और पटना के बाहरी क्षेत्रों में प्रभावी. RJD और महागठबंधन को मजबूत वोट बैंक. शहरी व कस्बाई क्षेत्रों जैसे कि नवादा, गया टाउन, जहानाबाद आदि में महत्वपूर्ण संख्या में मौजूद हैं. यादव-मुस्लिम (MY) समीकरण यहां मजबूत दिखता है. औरंगाबाद, अरवल और नवादा में भूमिहार और राजपूत समुदाय प्रभावी हैं. बीजेपी की जीत में शहरी और उच्च वर्गीय सवर्ण वोटरों की बड़ी भूमिका रही है. दलितों का प्रभाव भी कई सीटों पर निर्णायक होता है जैसे कि फुलवारी, इमामगंज, मसौढ़ी आदि. रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (अब LJP(R)) और जीतन राम मांझी की हम (HAM) पार्टी का प्रभाव कुछ दलित बहुल इलाकों में था. साथ ही, RJD और JDU दोनों ने भी दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.
1. गया जिला (10 सीटें) टिकारी, बेलागंज, गया टाउन, गया टाउन (सुरक्षित - एससी), शेरघाटी, बाराचट्टी (एसटी), बोधगया, इमामगंज (एससी), डुमरिया और गुरारू.
2. नालंदा जिला (7 सीटें) इस्लामपुर, हिलसा, हरनौत, नालंदा, बिहार शरीफ, राजगीर (एसटी), और अस्थावन.
3. जहानाबाद जिला (3 सीटें) जहानाबाद, घोसी ओर मखदूमपुर (एससी).
4. अरवल (2 सीटें) अलवर और कुरथा.
5. औरंगाबाद जिला (4 सीटें) औरंगाबाद, रफीगंज, ओबरा और कुटुम्बा (एससी).
6. नवादा जिले (4 सीटें) रजौली (सुरक्षित), हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर और वारिसलीगंज.