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नीतीश कुमार रहेंगे या जाएंगे, चुनाव की तारीखों के एलान से पहले क्या कह रहे ओपिनियन पोल?

बिहार की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है. चुनाव की तिथियां दो चार दिनों में घोषित होने की संभावना है. राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक नीतीश कुमार पिछले लगभग 20 वर्षों से बिहार की राजनीति में एक स्थिर चेहरा बने हुए हैं, लेकिन लगातार बदलते समीकरणों में उनकी स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. हालांकि, उनका मजबूत विकल्प उभरकर अभी सामने नहीं आया है.

नीतीश कुमार रहेंगे या जाएंगे, चुनाव की तारीखों के एलान से पहले क्या कह रहे ओपिनियन पोल?
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( Image Source:  Sora AI )

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा से पहले ही राजनीतिक तापमान तेज़ हो गया है. नीतीश कुमार के आगे की राह पर सवाल उठ रहे हैं. क्या वे अगली सरकार बनाएंगे या नहीं? कुछ ओपिनियन पोलों और सर्वेक्षणों ने उनके राजनीतिक भविष्य पर संकेत देना शुरू कर दिया है. हाल ही में बिहार चुनाव 2025 को लेकर चार ओपिनियन पोल आए हैं. आइए, जानते हैं क्या कहते हैं ओपिनियन पोल, कौन-कौन से फैक्टर काम कर सकते हैं और राजनीतिक दांव पर क्या अनुमान लगाया जा रहा है, इसके बारे में सब कुछ:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए हाल ही में प्रकाशित चार ओपिनियन पोल ने एनडीए की मजबूत स्थिति दिखाई है. मैट्रिक्स, जेवीसी ओपिनियन पोल, स्पीक मीडिया नेटवर्क और वोट वाइब के किए गए सर्वेक्षणों के अनुसार एनडीए को 40-52% वोट शेयर और 130-158 सीटें मिलने की संभावना है, जो 2020 के प्रदर्शन से काफी बेहतर है. इन सर्वेक्षणों से पता चलता है कि एनडीए की स्थिति मजबूत है, लेकिन महागठबंधन भी कड़ी चुनौती पेश कर रहा है. चुनाव के नतीजे नवंबर 2025 में आएंगे, जिसके बाद ही स्पष्ट होगा कि बिहार की जनता किसे चुनती है, लेकिन वर्तमान में चुनावी सर्वे के अनुमान हैं कि एनडीए 2010 वाली ऐतिहासिक जीत दोहरा सकती है. जब उसने 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 243 में से 206 सीटें जीती थीं.

सर्वे के अनुसार नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने बिहार में अपनी पकड़ मजबूत की है. ये चारो ओपिनियन पोल एक समान कहानी बयां कर रहे हैं. इसमें जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) जैसे सहयोगियों से युक्त एनडीए की मजबूत बढ़त दिख रही है.

1. मैट्रिक्स सर्वे में एनडीए को 43% समर्थन

मैट्रिक्स सर्वे में नीतीश कुमार के शासन के प्रति जनता की संतुष्टि सामने आई है. 76% लोगों ने उनके काम से संतुष्टि जताई, जिसमें 40% 'बहुत संतुष्ट और 36% 'संतुष्ट' हैं. जब पूछा गया कि कौन सी पार्टी बिहार में अच्छा शासन दे सकती है तो 35% ने बीजेपी और 18% ने जदयू को चुना और इससे एनडीए को कुल 43% समर्थन मिलता दिख रहा है. सबसे चौंकाने वाला निष्कर्ष यह कि 20 साल के मुख्यमंत्री कार्यकाल के बावजूद 42% लोग नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. यह सवाल कि अगर आज चुनाव हों तो कौन सा गठबंधन जीतना चाहिए में 52% लोगों ने एनडीए का समर्थन किया, यानी आप इसको मान सके हैं कि एनडीए को 52% वोट शेयर मिलने की संभावना है. जाहिर है यह आंकड़ा महत्वपूर्ण है, क्योंकि 2010 में एनडीए ने केवल 39% वोट शेयर के साथ 206 सीटें जीती थीं.

2. जेवीसी ओपिनियन पोल में नीतीश पहली पसंद

जेवीसी सर्वे में एनडीए को 41-45% वोट शेयर और 131-150 सीटें मिलने का अनुमान है. ओपिनियन पोल के मुताबिक राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 40% वोट और 81-103 सीटें मिलने की संभावना है. जन सुराज को 10-11% वोट और 4-6 सीटें मिल सकती हैं. नीतीश कुमार 27% समर्थन के साथ मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद बने हुए हैं. तेजस्वी यादव दूसरे स्थान पर हैं.

3. स्पीक मीडिया नेटवर्क सर्वे में 'पीके' को झटका

स्पीक मीडिया सर्वे के अनुसार एनडीए को 46% वोट शेयर के साथ 158 सीटें मिल सकती हैं. जबकि महागठबंधन को 41% वोट के साथ 66 सीटें मिल सकती हैं. जन सुराज को 8% वोट मिलने की संभावना है, लेकिन सर्वे के अनुसार प्रशांत किशोर की पार्टी को कोई सीट नहीं मिलेगी. वहीं, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडियन मजलिस-ए-इत्तेहाद मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) को चार सीटें मिल सकती हैं.स्पीक मीडिया नेटवर्क ने एनडीए को और मजबूत स्थिति में दिखाया.

4. वोट वाइब सर्वे में वोट शेयर 40% से ऊपर

वोट वाइब सर्वे ने सीधे वोटिंग प्राथमिकता के बजाय महागठबंधन की महिला रोजगार योजना (10,000 रुपये महिलाओं को) के प्रभाव पर सवाल पूछा. लगभग 34.9% लोगों ने कहा कि वे महागठबंधन को वोट देंगे, जबकि 34.8% ने एनडीए का समर्थन किया जो लगभग बराबरी की स्थिति बता रहा है. हालांकि, 5.8% लोग जो पहले महागठबंधन या जन सुराज को वोट देते थे, उन्होंने इस योजना के कारण एनडीए को वोट देने की बात कही, जिससे एनडीए का वोट शेयर 40% से ऊपर चला गया. वोट वाइब ने सीधे वोट शेयर की बजाय योजनाओं के असर को परखा.

5. सर्वे से ये बातें दिख रही हैं साफ ?

हाल ही आए सर्वे से साफ है कि उम्र का असर दिखने के बावजूद नीतीश कुमार सीएम के रेस में सबसे आगे हैं. जबकि तेजस्वी यादव दूसरे नंबर पर हैं. हालांकि, नीतीश कुमार की CM की लोकप्रियता पहले से कम हुई है. बहुत से मतदाताओं में उनकी पैठ पहले जैसी नहीं दिख रही. बिहार चुनाव 2025 में भी गठबंधन (NDA vs महागठबंधन) का समीकरण बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. अकेली JDU या अकेले नीतीश से काम नहीं चलेगा. रोजगार, पलायन (migration), विकास और वर्क ऑफर इस बार चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. एंटी-इंकम्बेंसी” (जो सत्ता पर है, उस विरोध की भावना) का असर कहीं न कहीं मौजूद है. लोग बदलाव चाहते हैं, लेकिन इसका कितना असर होगा यह स्पष्ट नहीं है.

6. नीतीश रहेंगे या जाएंगे?

नीतीश कुमार पूरी तरह बाहर नहीं होंगे, क्योंकि उनके पास अभी भी JDU प्लस NDA गठबंधन और कुछ वोट बैंक समर्थन है. माहौल के हिसाब से नीतीश कुमार का CM पद पर वापस आना कठिन जरूर लग रहा है. ऐसा इसलिए कि हो सकता है कि चुनाव बाद बीजेपी या अन्य घटक दल उन पर सीएम पद छोड़ने का दबाव डालें. यदि NDA जीतती है, तो संभावना है कि बीजेपी की भूमिका या उनका समर्थन मालूम पड़ेगा. शायद वे CM सीट किसी और को दे दें. यदि महागठबंधन मजबूत प्रदर्शन करे, तो तेजस्वी CM बनने की सम्भावना बड़ी है.

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