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बिहार चुनाव में इस बार क्या Gen-Z बनाएगा सरकार, क्या है इनकी पसंद और किसे करेंगे वोट?

Bihar Elections 2025: बिहार में इस बार विधानसभा चुनाव सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच नहीं, बल्कि Gen-Z की सोच और निर्णय पर भी टिका है. पहली बार वोट देने वाले लाखों युवा यह तय करेंगे कि प्रदेश की सत्ता किसके हाथ में जाएगी. उनका सोशल मीडिया व्यवहार, राजनीतिक जागरूकता और स्थानीय मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता चुनावी नतीजों को नया मोड़ दे सकते हैं.

बिहार चुनाव में इस बार क्या Gen-Z बनाएगा सरकार, क्या है इनकी पसंद और किसे करेंगे वोट?
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( Image Source:  Sora AI )

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार Gen-Z वोटर्स (खासकर पहली बार वोट डालने वाले) अहम भूमिका निभाएंगे. ऐसा इसलिए कि पहली बार वोट डालने वाले 18 के युवाओं की संख्या की दो मिलियन से ज्यादा है. जेन-Z (18-25 वर्ष) के मतदाता की बात करें तो उनकी 1.2 करोड़ है. जनरेशन Z के मतदाता रोजगार, शिक्षा और सामाजिक मुद्दों पर अपनी प्राथमिकताओं के साथ पारंपरिक जाति और गठबंधन की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित कर सकते हैं. यानी बिहार चुनाव 2025 में Gen Z की भूमिका महत्वपूर्ण होगी. उनकी प्राथमिकताएं और सोच आगामी चुनाव परिणामों को प्रभावित करने वाले साबित होंगे.

1. Gen-Z वोटर्स अहम क्यों?

इस बार बिहार में पहली बार वोट देने वाले Gen-Z (18-25 वर्ष) वोटर्स की संख्या लगभग 1.2 करोड़ है.ये वोटर्स कुल मतदाता सूची का लगभग 20% हिस्सा हैं. इनमें से करीब 20 लाख वोटर्स तो पहली बार वोट डालने वालों में शामिल है.

2. राजनीतिक प्राथमिकताएं

रोजगार और उद्यमिता: युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी ने रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता बना दिया है.

शिक्षा और कौशल विकास: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की मांग बढ़ रही है.

महिलाएं और सामाजिक सुरक्षा: लैंगिक समानता और सुरक्षा के मुद्दों को, विशेष रूप से शहरी महिला मतदाताओं के बीच, पुरजोर समर्थन मिल रहा है.

डिजिटल कनेक्टिविटी और शासन: जेनरेशन Z के कई मतदाता सोशल मीडिया अभियानों और सरकारी डिजिटल सेवाओं से प्रभावित हैं.

स्थानीय नेतृत्व अहम: पारंपरिक राजनीतिक धड़ों से अलग ये वोटर्स माइक्रो इश्यूज और स्थानीय नेतृत्व को महत्व देते हैं.

3. सोशल मीडिया और डिजिटल प्रभाव

Gen-Z वोटर्स ज्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (Instagram, X, YouTube, Threads) से राजनीतिक जानकारी प्राप्त करते हैं. वायरल ट्रेंड, वीडियो, और डिजिटल कैंपेन उनकी राय पर प्रभाव डाल सकते हैं. युवाओं की इन प्राथमिकताओं को देखते हुए सियासी दलों ने रणनीति बदल दिए हैं. जैसे तेजस्वी यादव और राजद ने रोजगार और स्टार्टअप योजनाओं के वादों के साथ युवाओं अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है. सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू शासन की उपलब्धियों और कौशल विकास कार्यक्रमों पर जोर देने का वादा. जबकि भाजपा और एनडीए के अन्य सहयोगी युवा मतदाताओं को जोड़ने के लिए विकास, बुनियादी ढांचे और डिजिटल अभियानों पर ध्यान केंद्रित करने में जुटी है.

4. पहले मतदान का असर

पहली बार वोट देने वाले युवा अक्सर नए उम्मीदवारों और पार्टियों के पक्ष में वोट करते हैं. राजनीतिक दलों के लिए यह समूह ‘खुली चुनौती’ है, जिसे अपने पक्ष में करने के लिए प्रभावी रणनीति और युवा आधारित योजनाओं पर सियासी दलों को जोर देना होगा.

5. क्षेत्रीय और लैंगिक अंतर

शहरी Gen-Z युवा अक्सर प्रगतिशील मुद्दों पर ध्यान देते हैं. इस श्रेणी में आने वाली ग्रामीण और शहरी महिला वोटर्स की प्राथमिकताएं स्थानीय विकास और सुरक्षा से जुड़ी होती हैं.

6. मतदान पैटर्न

पिछले चुनावों के आधार पर युवा वोटर्स की मतदान दर 60-65% रही है. इस बार यह बढ़ सकती है, जिससे कुछ निरपेक्ष सीटों का रुख बदल सकता है.

7. राजनीतिक दलों की रणनीति

युवाओं को आकर्षित करने के लिए डिजिटल अभियान, लाइव सेशंस, और नई सोच वाले उम्मीदवार पर जोर दिया जा रहा है. Gen-Z को लुभाने के लिए साफ-सुथरी छवि और प्रभावशाली नीतियां अहम हैं.

8. जनरेशन Z को शामिल करने में चुनौतियां

सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएं और राजनीतिक उदासीनता जेन-जैड के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. ग्रामीण क्षेत्रों में पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं को पार्टी के वादों की जानकारी सीमित होती है, जिसका जमीनी स्तर पर प्रचार करना जरूरी है.

9. जनसांख्यिकीय बदलाव

बिहार एक जनसांख्यिकीय बदलाव बड़े पैमाने पर हो रहा है. 2025 के विधानसभा चुनावों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है. पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या में बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी हुई है. 2000 के बाद जन्मे ये युवा मतदाता पहले से कहीं अधिक जागरूक, सामाजिक रूप से जुड़े और विचारों से ओतप्रोत हैं. पारंपरिक मतदाताओं के विपरीत, जनरेशन Z जाति या विरासत की राजनीति की तुलना में रोजगार, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन और महिला सुरक्षा को प्राथमिकता दे सकता है. राजनीतिक दल अब डिजिटल अभियानों, युवा-केंद्रित वादों और अभिनव प्रचार के माध्यम से इस समूह को जोड़ने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

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