Begin typing your search...

Bihar Elections : प्रदेश की वे 11 सीटें जहां 2020 में जीत का अंतर 1000 वोटों से भी था कम, इस बार क्या होगा?

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में फिर उन सीटों पर सबकी नजरें टिकी हैं, जहां 2020 में हार-जीत का अंतर 1000 वोटों से भी कम था. जानिए कौन-कौन सी हैं ये 11 सीटें, किन दलों के बीच हुआ था कांटे का मुकाबला और इस बार समीकरण कैसे बदल रहे हैं. हिलसा सीट पर तो सिर्फ 12 वोट से हार जीत का फैसला हुआ था.

Bihar Elections : प्रदेश की वे 11 सीटें जहां 2020 में जीत का अंतर 1000 वोटों से भी था कम, इस बार क्या होगा?
X
( Image Source:  ANI )

बिहार चुनाव 2025 का सियासी पारा चढ़ता जा रहा है. हर पार्टी अपनी जीत का गणित दुरुस्त करने में लगी हैं. इस बीच राज्य की 11 ऐसी सीटें एक बार फिर सुर्खियों में है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के बीच जीत-हार का फैसला 1000 वोटों से भी कम था. इन सीटों पर एक-एक वोट का बड़ा असर पड़ा था. अब इन इलाकों में फिर से सियासी जंग दिलचस्प हो चुकी है, क्योंकि महिलाओं ने जमकर वोटिंग की है. जानें, इस रुझान को 11 सीटों पर कितना होगा असर.

महिला और युवा मतदाताओं का पड़ेगा असर!

चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार हिलसा में जेडीयू उम्मीदवार सिर्फ 12 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. हिलसा के चुनाव परिणाम को राष्ट्रीय जनता दल ने चुनौती दी थी. ये सीटें इस बार चर्चा का विषय इसलिए बनी हुई हैं कि पहले चरण के चुनाव में बंपर वोटिंग हुई है. महिलाओं और युवाओं ने बढ़ चढ़कर वोट डाले हैं. ऐसे नतीजा कुछ भी हो सकता है.

कैसा रहा था 2020 का चुनाव परिणाम?

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 243 सीटों वाली विधानसभा में 125 सीटें जीतीं थी. आरजेडी 75 सीटें जीतने और 23.03 फीसदी वोट शेयर के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, जो बिहार विधानसभा चुनाव में किसी भी एक पार्टी के लिए सबसे अधिक है. भाजपा ने 19.46 फीसदी वोट शेयर के साथ 74 सीटें हासिल की और जेडीयू ने 15.40% वोट शेयर के साथ 43 सीटें जीतीं.

कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से केवल 19 पर ही जीत हासिल कर पाई. वामपंथी दलों ने 29 सीटों में से 16 पर जीत हासिल की थी. चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने लगभग 150 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा और सिर्फ एक सीट पर जीत दर्ज की.

एआईएमआईएम 24 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और पांच सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी. साल 2020 में चिराग पासवान का विरोध करने की वजह से सबसे ज्यादा चुनावी नुकसान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने उठाया था.

1. कुरहनी से आरजेडी के अनिल कुमार साहनी ने बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता को 712 वोट से हराया था.

2. भोरे से जेडीयू के सुनील कुमार ने सीपीआई-एमएल के जितेंद्र पासवान को 462 वोट से हराया था.

3. बछवाड़ा से बीजेपी के सुरेंद्र मेहता ने सीपीआई के अबधेश कुमार राय को 484 वोट से हराया था.

4. मटिहानी से लोजपा रामविलास के राजकुमार सिंह ने जेडीयू के नरेंद्र कुमार सिंह को 333 वोट से हराया था.

5. बखरी से सीपीआई के सूर्यकांत पासवान ने बीजेपी के रामशंकर पासवान को 777 वोट से हराया था.

6. परबत्ता से जेडीयू के डॉक्टर संजीव कुमार ने आरजेडी के दिगंबर प्रसाद तिवारी को 951 वोट से हराया.

7. बरबीघा से जेडीयू के सुदर्शन कुमार ने कांग्रेस के गजानंद शाही को 113 वोट से हराया.

8. हिलसा से जेडीयू के कृष्ण मुरारी शरण ने आरजेडी के अत्रि मुनि को 12 वोट से हराया था.

9. रामगढ़ से आरजेडी के सुधाकर सिंह ने बीजेपी के सतयनारायण सिंह को 181 वोट से हराया था.

10. डेहरी से आरजेडी के फते बहादुर सिंह ने बीजेपी के सत्यनारायण सिंह को 464 वोट से हराया था.

11. चकाई से निर्दलीय सुमित कुमार सिंह ने आरजेडी की सावित्री देवी को 581 से वोट से हराया था.

क्यों अहम हैं ये सीटें?

इन 11 सीटों पर करीब 10 से 12 लाख वोटर हैं, जिनमें OBC और युवा मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. कई जगह स्थानीय मुद्दे (रोजगार, सड़क, बाढ़ नियंत्रण, शिक्षा) निर्णायक बन सकते हैं. RJD और NDA दोनों गुटों के लिए ये सीटें ‘साइक्लोजोन’ की तरह हैं, जहां मामूली लहर से भी पासा पलट सकता है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025बिहार
अगला लेख