Bihar Chunav 2025: दूसरे चरण की 122 सीटें निर्णायक, NDA और महागठबंधन में कहां-किसकी पकड़ मजबूत?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होना है. इन सीटों पर एनडीए और महागठबंधन दोनों के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है. यादव-मुस्लिम बहुल इलाकों में आरजेडी की पकड़ मजबूत है. जबकि अति पिछड़ा और महिला वोटरों पर एनडीए को बढ़त मिलने की संभावना है. जानें, कौन-कहां मजबूत है और किसकी रणनीति असर दिखा रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का दूसरा चरण काफी अहम माना जा रहा है. इस चरण में 122 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला पहले चरण की तुलना में ज्यादा टफ है. इस चरण में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सभी सामाजिक समीकरणों की परीक्षा है. ऐसा इसलिए कि दूसरे चरण में ज्यादातर सीटें दक्षिण बिहार, सीमांचल, मगध, और मध्य बिहार के हिस्से में आते हैं. इन क्षेत्रों में जातीय और विकास दोनों मुद्दे चुनावी समीकरण को प्रभावित कर सकते हैं.
एनडीए पीएम मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चेहरे पर भरोसा जता रही है. जबकि महागठबंधन तेजस्वी यादव और कांग्रेस के गठजोड़ के दम पर मुकाबले में है. सीमांचल सहित कुछ सीटों पर ओवैसी की AIMIM, जमुई में चिराग पासवान की LJP (Ram Vilas) और निर्दलीयों मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है.
दूसरे चरण की सीटें निर्णायक
दूसरे चरण में जिन जिलों में चुनाव होने हैं, उनमें मधुबनी, जहानाबाद, अरवल, रोहतास, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, भागलपुर, जमुई, सीतामढ़ी, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, बांका, नवादा, औरंगाबाद, गया, शिवहर, कैमूर और सुपौल जिले शामिल हैं. इनमें से आठ जिलों में एनडीए और 10 में महागठबंधन और दो में दोनों का असर है. मधुबनी, कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और नवादा में मुस्लिम यादव समीकरण मजबूत है.
जेडीयू का प्रभाव ग्रामीण इलाकों और अति पिछड़े वर्गों में ज्यादा है. जबकि बीजेपी की स्थिति शहरी क्षेत्रों में ज्यादा है. EBC (अति पिछड़ा वर्ग) और महिला वोटरों का बड़ा हिस्सा NDA के साथ दिखाई दे रहा है. महागठबंधन (RJD + Congress + Left) का दबदबा करीब 50 से 55 सीटों पर माना जा रहा है. कुछ सीटों पर स्थिति स्पष्ट नहीं है.
निर्णायक फैक्टर EBC और महिला वोटर
दूसरे चरण में EBC (अति पिछड़ा वर्ग) की हिस्सेदारी लगभग 34-36 फीसदी है. यही वर्ग तय करेगा कि कौन-सा गठबंधन बाजी मारेगा. नीतीश कुमार के शासन में आरक्षण, पंचायत प्रतिनिधित्व और महिला सशक्तिकरण को लेकर जो नीतियां बनीं, उनका असर इस बार भी साफ दिख रहा है. दूसरी ओर, RJD का वोट बैंक मुस्लिम–यादव (MY) समुदाय तक सीमित नजर आ रहा है, लेकिन महागठबंधन ने दलित और महादलित वर्ग को भी जोड़ने की भरपूर कोशिश की है.
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार NDA के साथ EBC और महिला मतदाताओं पर पकड़ है. RJD की MY एकजुटता व युवा जोश मजबूत पक्ष है. इन दोनों के बीच सीधा संघर्ष हैत्र. हालांकि, ग्राउंड रिपोर्ट्स बताती हैं कि NDA को बढ़त मिल रही है. खासकर शहरी और सेमी-अर्बन इलाकों में. महागठबंधन ग्रामीण वोट बैंक और बेरोजगारी के मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है. 6 नवंबर की वोटिंग के बाद तय होगा कि EBC बनाम MY, विकास बनाम बेरोजगारी - इनमें से कौन-सा मुद्दा जनता के दिल में ज्यादा गहराई से बैठा है.
इन सीटों पर 22-22 प्रत्याशी मैदान में
दूसरे चरण में 20 जिलों के 122 निर्वाचन क्षेत्रों में 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. राज्य के मुख्य निर्वाचन कार्यालय के अनुसार गया टाउन, रोहतास जिले के सासाराम और कैमूर जिले की चैनपुर सीट पर सर्वाधिक 22-22 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. तीन विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम पांच-पांच उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं. सुपौल जिले की त्रिवेणीगंज, पूर्वी चंपारण जिले की लौरिया और सुगौली सीट से सबसे कम पांच पांच प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.





