बिहार में मोदी-नीतीश की जोड़ी का जलवा! Opinion Poll में NDA की सुनामी, 160 सीटें पार; महागठबंधन हुआ बेदम
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए, भाजपा-जदयू गठबंधन, अपनी 'डबल इंजन सरकार' की उपलब्धियों को लेकर आत्मविश्वास से भरपूर है और दावा कर रहा है कि उसने राज्य को 'जंगलराज' से बाहर निकालकर विकास की नई राह दी है. नए ओपिनियन पोल में एनडीए को 49% वोट शेयर और 150–160 सीटों का अनुमान है, जबकि महागठबंधन 36% वोट शेयर के साथ 70–85 सीटों पर सीमित रह सकता है. प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार की 'सुशासन बाबू' छवि एनडीए की ताकत हैं, जबकि विपक्ष जातीय समीकरणों को उभारकर चुनौती देने की तैयारी में है.

Bihar Assembly Election 2025 NDA vs Mahagathbandhan: बिहार विधानसभा चुनाव का राजनीतिक पारा तेजी से चढ़ रहा है, और मुकाबला अब पूरी तरह से एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच सिमट गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा-जदयू गठबंधन अपनी 'डबल इंजन सरकार' की उपलब्धियों को चुनावी मुद्दा बनाते हुए दावा कर रहा है कि उसने बिहार को 'जंगलराज से विकासराज' की ओर अग्रसर किया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दावा किया कि एनडीए सरकार ने बिहार को अराजकता और पिछड़ेपन से निकालकर विकास की नई दिशा दी है. शाह ने कहा, “बिहार अब जंगलराज से बाहर निकल चुका है, और जनता एक बार फिर विकास की राजनीति को चुनेगी.” भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी पूरा भरोसा जताते हुए कहा कि यह चुनाव बिहार के विकास को गति देने, घुसपैठियों को रोकने और कुप्रशासन की वापसी रोकने का जनादेश साबित होगा.
ओपिनियन पोल में एनडीए की बढ़त
नए Matrize Opinion Poll के मुताबिक, बिहार में एनडीए एकतरफा बढ़त बनाए हुए है. सर्वे में गठबंधन को लगभग 49% वोट शेयर और 150 से 160 सीटों का अनुमान लगाया गया है. वहीं, महागठबंधन (राजद-कांग्रेस-वाम) को करीब 36% वोट शेयर और 70 से 85 सीटें मिलने का अनुमान है. हालांकि सर्वे पूर्वानुमान हमेशा थोड़े संदेह के साथ देखे जाते हैं, लेकिन इन नतीजों ने एनडीए खेमे का उत्साह और बढ़ा दिया है.
मोदी-नीतीश की जोड़ी मचा सकती है धमाल
एनडीए अपनी चुनावी रणनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को केंद्र में रख रहा है, ताकि नीतीश कुमार के दो दशकों के शासन से उपजे संभावित मतदाता थकान (voter fatigue) को संतुलित किया जा सके. मोदी की योजनाओं में गरीब कल्याण, महिला सशक्तिकरण और बुनियादी ढांचा विकास जैसे मुद्दे शामिल हैं, जबकि नीतीश अपनी 'सुशासन बाबू' की छवि को मजबूती से आगे रख रहे हैं.
नीतीश सरकार की हालिया पहल- 27% ईबीसी आरक्षण और स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए कोटा विस्तार- ने पिछड़े वर्गों में उनकी पकड़ को और मजबूत किया है. गृह मंत्री अमित शाह की रणनीतिक भूमिका को भी एनडीए की एक बड़ी ताकत माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि उन्होंने सीट शेयरिंग फॉर्मूला को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई है, जो जल्द घोषित किया जाएगा.
चुनौतियां भी कम नहीं
हालांकि एनडीए का मनोबल ऊंचा है, लेकिन रास्ता पूरी तरह आसान नहीं है. अंदरूनी परफॉर्मेंस ऑडिट में कई मौजूदा विधायकों के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी का संकेत मिला है. इसी कारण कई सीटों पर नए चेहरों को मौका देने की योजना है, जिससे कुछ जगहों पर बगावत भी सामने आई है. इसके अलावा, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है, हालांकि एनडीए ने इस मुद्दे को सिरे से खारिज किया है.
विकास बनाम जातीय समीकरण की जंग
जहां एनडीए 'विकसित बिहार' के अपने विज़न पर चुनाव लड़ रहा है, वहीं विपक्षी INDIA गठबंधन जातीय और सामाजिक समीकरणों को उभारकर सत्ता पलटने की कोशिश में है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि विकास बनाम जातिवाद की विचारधारात्मक लड़ाई साबित हो सकता है.