क्या अपने 'राम' का साथ छोड़ देंगे चिराग पासवान? सीट बंटवारे की बातचीत के बीच अटकलों ने पकड़ा जोर
बिहार चुनाव से पहले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है. इस बीच चिराग पासवान और प्रशांत किशोर के संभावित गठबंधन की चर्चा ने सियासी हलचल बढ़ा दी है. सूत्रों के मुताबिक, LJP अध्यक्ष चिराग 40 सीटों की मांग कर रहे हैं जबकि BJP सिर्फ 25 देने को तैयार है. शाहाबाद से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे चिराग ने कहा, “मैं हर सीट पर 20-25 हजार वोट प्रभावित कर सकता हूं.” यह बयान सीटों पर दबाव की रणनीति माना जा रहा है. अब सवाल है, क्या चिराग अपने ‘राम’ यानी मोदी का साथ छोड़ देंगे?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तारीखों का एलान हो चुका है और एनडीए के साथ ही महागठबंधन भी ताल ठोक रहे हैं. हालांकि सीट बंटवारे को लेकर अब भी अंतिम दौर की बातचीत जारी है. उधार लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के अध्यक्ष चिराग पासवान की विनोद तावड़े और धर्मेंद्र प्रधान के साथ बैठक भी हुई है. लेकिन एक चर्चा जो बिहार के सियासी हलकों में तेज है वो यह कि चिराग पासवान और राजनीतिक रणनीतिकार-सियासतदान प्रशांत किशोर के बीच संभावित गठबंधन हो सकता है. NDTV की रिपोर्ट के अनुसार LJP सूत्रों ने कहा कि "राजनीति में दरवाजे हमेशा खुले रहते हैं," और इसलिए चिराग पासवान और किशोर के बीच चुनावी गठबंधन को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता.
शाहाबाद क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहते हैं चिराग
चिराग पासवान इस बार शाहाबाद क्षेत्र से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, पासवान LJP के लिए बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि BJP केवल 25 सीटें देने पर सहमत है. पिछले साल के लोकसभा चुनाव में LJP की 100 प्रतिशत सफलता दर (5 में से 5 सीटें जीतना) पासवान के आत्मविश्वास को और बढ़ा रही है.
हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गठबंधन संभावित जरूर है लेकिन संभावना कम है. किशोर के साथ हाथ मिलाने से LJP को ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है, लेकिन एक नए चेहरे के साथ गठबंधन करना पासवान की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने में मददगार साबित नहीं होगा.
केवल दबाव तो नहीं बना रहे चिराग पासवान?
LJP सूत्रों ने यह भी कहा कि इस तरह की चर्चा BJP पर थोड़ा दबाव बनाने का तरीका हो सकता है ताकि सीटों का आवंटन LJP के पक्ष में हो. पासवान ने पिछले महीने कहा था, "मैं गुणवत्ता वाली सीटें चाहता हूं," और यह भी जोड़ा कि वह सार्वजनिक मंच पर सीटों की चर्चा करना उचित नहीं मानते. LJP के लिए ‘सम्मानजनक सीटें’ सबसे अहम हैं.
'मैं हर निर्वाचन क्षेत्र में 20,000 से 25,000 वोट प्रभावित कर सकता हूं'
राजनीतिक रणनीति के तहत पासवान ने एक तरह की चेतावनी भी दी, कहा कि "मैं सब्ज़ियों पर नमक की तरह हूं… मैं हर निर्वाचन क्षेत्र में 20,000 से 25,000 वोट प्रभावित कर सकता हूं." उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान गठबंधन में रहते हुए भी उनके पास बाहर निकलने का विकल्प हमेशा है. BJP ने इस ‘चुनौतीपूर्ण संकेत’ को शांत किया है और कहा है कि पासवान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति वफादार हैं और यह केवल LJP के हार्डलाइंस को संतुष्ट करने के लिए किया गया है.
क्या सीएम बनना चाहते हैं चिराग पासवान?
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह सीट-शेयर केवल पासवान और BJP के बीच रिश्ते का एक पहलू है. दूसरा प्रमुख मुद्दा है पासवान की मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा, जिसे उन्होंने कभी छिपाया नहीं. LJP ने हाल ही में X पर ‘अबकी बारी, युवा बिहारी’ पोस्टर साझा किया, जो संदेश देता है कि पासवान मुख्यमंत्री नितीश कुमार के उत्तराधिकारी के रूप में खुद को स्थापित करना चाहते हैं और BJP तथा प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी वफादारी को भी दर्शा रहे हैं.
LJP सूत्रों के अनुसार अब पार्टी का ध्यान चिराग पासवान के नेतृत्व को बिहार में मजबूत करना है. राजनीतिक छवि बनाने की यह जंग वोटों के महत्व जितनी ही अहम मानी जा रही है. LJP की तैयारी में पासवान की छवि को RJD के तेजस्वी यादव के विरोध में एक डायनामिक विकल्प के रूप में पेश किया जा रहा है. तेजस्वी यादव विपक्षी महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखे जा रहे हैं.
इस पूरे घटनाक्रम से यह साफ हो गया है कि बिहार की सियासत में गठबंधन, सीटों की मांग और नेता की छवि अब चुनावी जंग जितने ही निर्णायक तत्व बन गए हैं. चिराग पासवान और प्रशांत किशोर के संभावित गठबंधन की अटकलें न केवल LJP और BJP के रिश्तों को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि पूरे चुनावी परिदृश्य में हलचल भी पैदा कर रही हैं.